संसारी नाम और भगवान के नाम में क्या अंतर है?
-जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज की प्रवचन श्रृंखला
भारतवर्ष में भक्ति करते तो सर्वत्र दिखाई देते हैं, भगवान का नाम यहाँ बचपन से ही सुना और गाया जाता है। किन्तु भगवान के नाम के संबंध में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण बात है, जिसे यदि न समझा जाय तो भगवन्नाम का लाभ नहीं मिल पाता। अनेक लोगों को यह भी शंका होती होगी कि क्या जैसे संसार में सभी वस्तुओं, व्यक्तियों के नाम होते हैं, वैसे ही भगवान का नाम भी होता होगा? जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज समझा रहे हैं कि नहीं, नहीं, भगवान का नाम और संसारियों के नाम में तो सर्वथा अंतर है। आइये उनकी ही वाणी से नि:सृत इन शब्दों पर विचार करते हुये इस सत्य को जानें :::::::
(संसारी नाम और भगवान के नाम में क्या अंतर है? - यहां से पढ़ें..)
...भगवान के नाम में भगवान की शक्ति है और संसारी नाम केवल नाम है। उसमें नामी (अर्थात जिसका नाम है) की शक्ति नहीं है। ये अंतर है।
जहां तक माया का आधिपत्य है, वहां के समस्त पदार्थों के नाम रुप मिथ्या हैं, झूठ हैं, धोखा है, उनका कोई मूल्य नहीं है। लेकिन ईश्वर का नाम और ईश्वर का रुप सत्य है। संसार के नाम परिवर्तनशील हैं और केवल व्यवहार के लिये हैं। किन्तु ईश्वर का नाम सनातन है, नित्य है, आनन्दमय, ज्ञानमय, सत्यमय और जो जो गुण ईश्वर में है, वही उनके नाम में भी है। चैतन्य महाप्रभु ने कहा -
नाम्नामकारि बहुधा निज सर्वशक्तिस्तत्रार्पिता नियमित: स्मरणे न काल:।
एतादृशी तव कृपा भगवन् ममापि दुर्दैवमीदृशमिहाजनि नानुराग:।।
(शिक्षाष्टक - 2)
भगवान ने अपने नाम में अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को रख दिया है। इस प्वाइंट पर ध्यान देना। भगवान ने अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को अपने नाम में रख दिया है। जबकि संसार के नाम रुप मिथ्या हैं, वहां किसी शक्ति की कल्पना भी नहीं हो सकती। भगवान का नाम और भगवान दोनों एक हैं। समुझत सरिस नाम अरु नामी । दोनों एक।
क्योंकि दोनों में दोनों का नित्य निवास है, नाम में नामी और नामी में नाम। अंतर क्या हुआ? दोनों एक हो गये। चाहे कोई कहे कि पानी में दूध मिला है या दूध में पानी मिला है, दोनों एक ही बात तो है, एक परमाणु का भी अंतर नहीं है। जिस दिन इस वाणी पर कोई विश्वास कर लेगा, उस दिन भगवत्प्राप्ति के लिये कुछ करना नहीं होगा। क्योंकि वह तो प्राप्त ही है।
(प्रवचनकर्ता -जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)
(संदर्भ - साधन साध्य पत्रिका, मार्च 2016 अंक)
सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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