भगवान राम और कृष्ण के अवतारकाल में हम जो उनकी लीलायें देखते हैं, क्या उनसे हमें लाभ होता है ?
जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 108
साधक का प्रश्न ::: भगवान राम और कृष्ण के अवतारकाल में हम जो उनकी लीलायें देखते हैं, क्या उनसे हमें लाभ होता है ?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::::::
अनुकूल विचार करने में जो बाधा है वह यह है कि उनका व्यवहार प्रतिकूल दिखाई देता है। बाद में जो अनुकूल विचार बन जाता है उसका कारण यह है कि उसके दिमाग में पुरखे दर पुरखे से यह भर जाता है कि वे भगवान् थे। महापुरुष-काल में जो उनके संपर्क में रहे, वे गुरु-शिष्य के सम्बन्ध को लेकर रहे अत: उनको लाभ मिल गया। भगवान के आविर्भाव काल में यह सवाल आया ही नहीं अत: उनको कौन प्यार करता क्योंकि भगवान् ने मारकाट ही की, गुरु शिष्य का कोई कार्य किया ही नहीं।
जिन लोगों ने बेटा, माँ, बाप मानकर प्यार किया, भगवान् मान कर नहीं, केवल उनका ही लाभ हो पाया। प्यार करने वाले तो उनके परिवार के ही थे। वे तो पहले से ही सिद्ध लोग थे, अत: उनके प्यार का प्रश्न ही नहीं है। राम-कृष्ण काल में लोगों का नुकसान ही अधिक हुआ क्योंकि दुर्वासा आदि के कहने से यदि किसी ने मान भी लिया कि ये भगवान हैं। किन्तु जब उसी व्यक्ति ने उनके कार्यों को देखा तो फिर वह अपना दिमाग खराब कर बैठा। अवतार काल में उनके कार्य ही ऐसे होते हैं। अवतार काल में अनुकूल भाव से उपासना करने वाले को भगवान का प्रेम मिलता है। जबकि प्रतिकूल भाव से उपासना करने वाले को मुक्ति मिलती है।
00 सन्दर्भ ::: जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
00 सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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