स्वच्छता से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी देती हैं आर्थिक लाभ, जानिए दीवाली पर क्या करें क्या न करें
--दीपावली के दिन क्या करें, क्या न करें, पढ़ें....
ब्रह्म पुराण के अनुसार दीपावली पर्व पर अर्धरात्रि के समय महालक्ष्मी सद् गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। इस दिन घर-दुकान व संस्थानों को साफ सुथरा कर सजाया संवारा जाता है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी स्वच्छता को पसंद करती हैं। स्वच्छतापूर्ण वातावरण में दीपावली मनाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर स्थाई रूप से सद् गृहस्थ के घर निवास करती हैं।
ज्योतिषाचार्यों ने अनुसार दीपावली पर धनतेरस, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज इन पर्वों का मिलन एक साथ होता है। रोशनी के इस महापर्व पर श्रद्धालुओं को नशा व जुए से दूर रहना चाहिए। यह अंधविश्वास व कुप्रथा दीपावली के चलन में आ गई है कि दीपावली वाले दिन जुआ खेलना चाहिए। जबकि धर्म शास्त्रों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं। बल्कि जुआ खेलने से गृहक्लेश व दरिद्रता की स्थित बनती है।
मां लक्ष्मी को यह पसंद, यह नापसंद
ज्योतिषाचार्यों ने अनुसार एक बार रुकमणी देवी ने लक्ष्मी जी से पूछा कि, हे त्रिलोक नाथ भगवान नारायण की प्रियतम तुम इस जगत में किन प्राणियों पर कृपा करके उनके यहां निवास करती हो? कहां रहती हो? क्या सेवन करती हो? यह सब बातें मुझे यथार्थ रूप में बताओ। रुकमणी जी के इस प्रकार पूछने पर चंद्रमुखी मां लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर अद्भुत वचन देते हुए कहा...रुकमणी जी मैं ऐसे पुरुष में निवास करती हूं जो निर्भय हो, कार्यकुशल, कर्तव्यनिष्ठ, कर्म पारायण, क्रोध रहित तथा बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने वाला हो। सद्गुणों से युक्त हो, गुरुजनों की सेवा में तत्पर, मन को वश में रखने वाला, क्षमाशील, देवी-देवता का पूजन करने वाला हो साथ ही अपने घर की स्त्रियों तथा भार्या का सम्मान करने वाला हो। ऐसे पुरुषों के अंदर मैं सदा निवास करती हूं। वहीं जो स्त्रियां पतिव्रता, करुणामय, घर को स्वच्छ व साफ रखने वाली, पति व घर के बड़े-बुजुर्गों का आदर करने वाली व लज्जाशील रहकर घर का मान बढ़ाती हैं। उन स्त्रियों के साथ में सदा निवास करती हूं। जो स्त्रियां पाप करने के लिए तत्पर होती हैं, जिनकी वाणी अपवित्र होती हैं। ऐसी नारी से मैं सदा दूर रहती हूं।
--दीपावली के दिन क्या करें जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न हों
दीपावली वाले दिन प्रात: स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और संकल्प लेकर पूजन होने तक उपवास रखें।
घर को साफ-सुथरा कर घर के दरवाजे पर आम, अशोक व केले के पत्तों से तोरण लगाएं।
स्वादिष्ट भोजन के साथ फल पापड़ एवं मां भगवती को उनके प्रिय भोज खीर का भोग लगाएं।
पूरे दिन मन को शांत रखकर पूजा करें। किसी से झगड़ा ना करें, बुजुर्गों का आशीर्वाद लें, पत्नी का सम्मान करें।
उपहार भेंट करते समय अच्छा भाव रखें।
रात्रि जागरण करें।
घर के दरवाजे पर कोई भिक्षुक आए तो उसे निराश ना करें।
यथासंभव किन्नरों को उपहार के साथ कुछ दक्षिणा अवश्य दें।
घर के मुख्य दरवाजे पर सिंदूर से शुभ-लाभ, श्री, स्वस्तिक और ओम के शुभ चिन्ह बनाएं।
लक्ष्मी जी से पहले नारायण का पूजन करें, माता लक्ष्मी को सुहाग का सामान चढ़ाएं। साथ ही माता को प्रिय इत्र गुलाब का चढ़ावा दें।
पितरों की शांति के लिए 14 दीपक जौ के आटे के बनाकर पश्चिम दिशा में रखें।
दीपावली वाले दिन किसी जरूरतमंद को 9 किलो गेहूं का दान अवश्य करें।
दीपावली की खुशियां गरीबों के साथ बांटें। चाहें तो गरीब झुग्गी बस्तियों में असहाय लोगों को मिठाई के साथ वस्त्र व दक्षिणा अवश्य दें।
मां लक्ष्मी के प्रिय एरावत हाथी के लिए 3 गांठ का गन्ना पूजा में अवश्य रखें। ऐसा करने से जातकों को आर्थिक, बुद्धि व पुण्य का एक साथ लाभ होगा।
-दीपावली पर यह न करें, अन्यथा मां लक्ष्मी होंगी रुष्ठ...
नशा न करें।
जुआ न खेलें।
क्रोध न करें।
क्लेश न करें, आंसू ना निकालें।
झगड़ा न करें।
देर तक न सोए।
अपवित्र होकर रसोई न बनाएं।
प्रदोष काल में झाड़ू न लगाएं।
दीपावली पर यह रखें सावधानी...
दीपोत्सव की खुशी व उत्साह के बीच सावधानी भी रखें।
पटाखे न के बराबर जलाएं, बिना पटाखे जलाए भी दीवाली मनाई जा सकती है।
पटाखों के साथ खिलवाड़ ना करें, पटाखे जलाते वक्त उचित दूरी बनाकर रखें।
पटाखे चलाने के बाद हाथ साबुन से धोकर ही कुछ खाएं।
जो मिठाइयां शुद्धता व पवित्रता से बनी हो तथा ढकी हुई हों, वहीं खाएं।
भारतीय संस्कृत के अनुसार आदर्श व सादगीपूर्ण ढंग से दीपावली का त्योहार मनाएं।
पटाखे व दीपक से यदि दुर्घटनावश जल जाते हैं तो प्राथमिक स्तर पर तुरंत आलू का रस जले हुए स्थान पर लगाएं।
-काले कपड़े पहनकर पूजन न करें।
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