सीधे स्वर्ग में जाते हैं वैकुंठ एकादशी के दिन व्रत करने वाले, जानिए क्या है मान्यता और क्या करें...
मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इसे वैकुंठ एकादशी व मुक्कोटी एकादशी भी कहा जाता है। वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु के रहने का स्थान यानी वैकुंठ के दरवाजे खुले रहते हैं। इसलिए आज के दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्त होती है और आज के दिन व्रत करने वाले सीधे स्वर्ग में जाते हैं। केरल में इस तिथि को स्वर्ग वथिल एकादशी कहते हैं।
ये भी कहा जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। यही वजह है इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में माना जाता है कि मोक्ष प्राप्त किए बिना मनुष्य को बार-बार इस संसार में आना पड़ता है। मोक्ष की इच्छा रखने वाले प्राणियों के लिए मोक्षदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी गई है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है।
मोक्षदा एकादशी पर सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। भगवान विष्णु की आराधना करें। पूजा में तुलसी के पत्तों को अवश्य शामिल करें। रात्रि में भगवान श्रीहरि का भजन-कीर्तन करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर विदा करें। परिवार के साथ उपवास को खोलना चाहिए। मोक्षदा एकादशी से एक दिन पहले दशमी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए तथा सोने से पहले भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। वैकुंठ एकादशी का दिन तिरुपति के तिरुमला वेन्कटेशवर मन्दिर और श्रीरंगम के श्री रंगनाथस्वामी मन्दिर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
25 दिसंबर दिन को वैकुंठ एकादशी
-ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वैकुंठ एकादशी मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी मोक्षदा एकादशी है। इस बार यह तिथि 25 दिसंबर को पड़ रही है। मोक्षदा एकादशी को दक्षिण भारत में वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वैकुंठ एकादशी दिन भगवान विष्णु का व्रत किया जाता है।
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