भगवान में मन लगाने की सोचते हैं, किन्तु मन लगता नहीं है, एक साधक के प्रश्न पर जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा समाधान!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 152
(लगाना और लगना - इन 2 स्थितियों पर जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा मार्गदर्शन...)
मन लगाना साधना है, मन लगना - ये सिद्धि है। पहले साधना करनी है। सिद्धि तो बाद में मिलेगी। इसलिये मन लगाना है, इसका अभ्यास करना होगा। जितना अधिक अभ्यास करोगे उतना ही लगने लगेगा। देखो खराब संस्कार आते हैं न संसार संबंधी, वही डिस्टर्ब करते हैं, उस समय और ताकत लगाओ। देखो साईकिल चलाते हो तो कहीं ऊँचाई आ गई और जोर लगाते हो। ऊँचाई खतम हो गई तो फिर आराम से चली जाती है साईकिल। ऐसे ही जब गड़बड़ हो संस्कार के कारण तो और जोर से साधना करो उस समय। बस फिर ठीक हो जायेगा। करना है। लगातार करना होगा अभ्यास, बस यही एक उपाय है। अपने आप नहीं लग जायेगा। अपने आप लग जाना होता तो अनन्त जन्म क्यों बीतते?
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, मार्च 2018 अंक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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