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 दफ्तर हो या घर गणेश जी की मूर्ति स्थापना से पहले जानें, सूंड में छुपे ये रहस्य
 गणेशजी ज्ञान और बुद्धि के देवता माने जाते हैं, साथ ही उनकी सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा भी की जाती है। गणेशजी को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए  दफ्तर या फिर घर में  गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि उनकी सूंड की दिशा क्या हो। कई धार्मिक रीतियों का पालन इन्हें स्थापित करने के दौरान ध्यान में रखना होता है।  मूर्ति या तस्वीरों में सीधी सूंड वाले गणेशजी को दुर्लभ माना जाता है। एक तरफ सूंड के मुड़े होने के चलते ही उन्हें वक्रतुण्ड भी कहा जाता है।  गणेशजी की दाई सूंड में सूर्य का प्रभाव और बाई में चंद्रमा का प्रभाव माना जाता है।
 दाईं ओर घूमी हुई सूंड
गणेशजी की सूंड अगर दाईं तरह मुड़ी हुई हो तो हठी होते हैं, इस तरह की मूर्ति और तस्वीरें ज्यादातर ऑफिस और घर में नहीं रखी जाती है।  जिस गणेशजी की सूंड दाईं तरफ मुड़ी हो उन्हें सिद्धिविनायक कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सफल हो जाता है और शुभ फल मिलता है।
 बाईं ओर घूमी सूंड
गणेशजी की ऐसी प्रतिमा जिसमें वो सिंहासन पर बैठे रहते हैं और सूंड बाई तरह मुड़ी होती है, उसे पूजा घर में रखनी चाहिए। इस प्रतिमा की पूजा से घर में समृद्धि और सुख-शांति आ जाती है। बाईं तरफ जिस गणेशजी की सूंड घूमी होती है, उन्हें विघ्नविनाशक कहा जाता है। ऐसी प्रतिमा को घर के मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए, इससे घर में किसी भी प्रकार की नेगेटिव एनर्जी प्रवेश नहीं कर पाती है और वास्तु दोष का भी नाश हो जाता है। इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रुक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती। वास्तु विज्ञान के अनुसार गणेश जी को घर के ब्रह्म स्थान (केंद्र) में, पूर्व दिशा में एवं ईशान में विराजमान करना शुभ एवं मंगलकारी होता है। इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड उत्तर दिशा की ओर हो। गणेश जी को दक्षिण या नैऋत्य कोण में नहीं रखना चाहिए।
 सीधी सूंड वाले गणेशजी
संत समाज के लोग गणेशजी की सीधी सूंड वाली मूर्ति की आराधना करते हैं। इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण,मोक्ष, समाधि आदि के उत्तम बताई जाती है।
जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं उन्हें अपने घर में बाल गणेश की प्रतिमा या तस्वीर लानी चाहिए। नियमित इनकी पूजा से संतान के मामले में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती है।
 घर में आनंद उत्साह और उन्नति के लिए नृत्य मुद्रा वाली गणेश जी की प्रतिमा लानी चाहिए। इस प्रतिमा की पूजा से छात्रों और कला जगत से जुड़े लोगों को विशेष लाभ मिलता है। इससे घर में धन और आनंद की भी वृद्घि होती है। गणेश जी आसान पर विराजमान हों या लेटे हुए मुद्रा में हों तो ऐसी प्रतिमा को घर में लाना शुभ होता है। इससे घर में सुख और आनंद का स्थायित्व बना रहता है। सिंदूरी रंग वाले गणेश को समृद्घि दायक माना गया है, इसलिए इनकी पूजा गृहस्थों एवं व्यवसायियों के लिए शुभ माना गया है।

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