मनुष्य शरीर पाकर जो जल्दी मर जाते हैं, उनको मनुष्य शरीर मिलने का क्या तात्पर्य है?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 192
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी! मानव देह जो मिलता है उसका एक लक्ष्य है भक्ति। लेकिन प्रायः ऐसा भी देखा जाता है कि दो साल, तीन साल में बच्चे मर जाते हैं, तो उसको मानव देह मिलने का कोई फायदा होगा?
जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: हाँ, फायदा नहीं। वो भोग योनि है। जब तक बच्चे में नॉलेज न हो जाय, उसकी जो लिमिट बताई गई है; जैसे - बारह साल। तब तक के उसके कर्म को कर्म नहीं कहते। जैसे पशुओं का कर्म ऐसे ही उनका भी कर्म। उसका उसको फल भी नहीं मिलता कुछ। वो तो भोग के लिए आये हैं दो दिन, चार दिन, दो महिना, चार महिना के लिये। इसी प्रकार कोई सौ वर्ष भी जिये और गन्दे वातावरण में, उसके माँ-बाप सब राक्षस हों और साधना न कर सके, उसको भी कोई लक्ष्य नहीं मिला मानव देह मिलने का। प्रारब्ध खराब था लेकिन शरीर मिल गया। बस।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
Leave A Comment