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 जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत प्रवचनों से 5-सार बातें (भाग - 11)
जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 194

०० जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत प्रवचनों से 5-सार बातें (भाग - 11) ::::::

(1) भगवान का दर्शन भगवान का ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद, जीव भगवान के बराबर धर्म वाला हो जाता है, भगवान नहीं हो जाता।

(2) भगवान योगमाया के पर्दे में रहते हैं और जीव माया के पर्दे में, अतः भगवान के साकार रूप में सामने खड़े होने पर भी हम उन्हें अपनी भावना के अनुसार ही देख पाते हैं।

(3) भगवान को अर्पित करके कर्म करने में, वह बंधनकारक भी नहीं होता और भगवान का स्मरण भी होता रहता है।

(4) जो ईश्वरीय कर्म आपसे बन जाते हैं, समझिये कि वे गुरुकृपा से ही बन पड़े हैं। उनमें अपने कर्तव्य के अहंकार को न आने दें।

(5) जब हमें यह बोध हो जायेगा कि संसार मायिक है किन्तु हम स्प्रिचुअल हैं, भगवान के अंश हैं अतः भगवान ही हमारा है, शरीर संसार का है, तभी हम भगवान की ओर उन्मुख हो पायेंगे।

०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म संदेश एवं साधन साध्य पत्रिकाएँ
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

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