इस तरह करें कुलदेवी की पूजा...होगी हर मनोकामना पूरी
हर परिवार के एक कुलदेवता या फिर कुलदेवी होती हैं। इनकी पूजा खास मौकों पर की जाती है- जैसे घर में विवाह होने पर दुल्हन को कुलदेवता के दर्शन करवाएं जाते हैं। घर में संतान होने पर बच्चे को कुलदेवता के दर्शन करवाएं जाते हैं, लेकिन कुछ लोग रोजाना कुलदेवता की पूजा करते हैं।
दक्षिण और महाराष्ट्र में आज भी कुछ परंपराएं हैं जिनमें घर में कुलदेवी के रूप में सुपारी अथवा प्रतिमा का पूजन करना, घर से बाहर लंबी यात्रा हो तो कुलदेवी को पहले पुकारना, साल में दो बार कुलदेवी पर लघुरूद्र अथवा नवचंडी करना आदि किआ जाता है। हर घर की एक कुलदेवी होती हैं। आज भारत में 70 प्रतिशत परिवार अपनी कुलदेवी को नहीं जानते। कुछ परिवार बहुत पीढिय़ों से कुलदेवी का नाम तक नहीं जानते । इसके कारण, एक निगेटिव दबाव उस घर के कुल के ऊपर बन जाता है और अनुवांशिक तकलीफें पैदा होती हैं।
1. कुलदेवी की कृपा के बिना अनुवांशिक बीमारी पीढ़ी में आती है। एक ही बीमारी के लक्षण सभी लोगों में दिखते हैं।
2. मानसिक विकृतियोंं का परिवार में आना।
3. कुछ परिवार एय्याशी की ओर इतने मुखर हो जाते हंै कि सब कुछ गवां देते हैं।
4. बच्चे गलत मार्ग की ओर भटक जाते हैं
5. शिक्षा में अड़चनें आती है।
6. परिवार में सभी बच्चे अच्छे पढ़ते हैं फिर भी नौकरी ठीक नहीं मिलती।
7. कभी कभी किसी के पास पैसा बहुत होता है पर मनासिक तकलीफों समाधान नहीं होता है।
8. यात्राओं में अपघात होते हैं अथवा यात्रा अधूरी रह जाती है।
9. बिजनेस में ग्राहक पर प्रभाव नहीं बनता अथवा आवश्यक स्थिरता नहीं आती।
10. विदेशों में बहुत भारतीय बसे हैं। पैसा होकर भी उनके जीवन में कोई न कोई अड़चन आती रहती है।
कुलदेवी के रोष से कई संस्थान, राजवाड़े, महाराजे खत्म हो जाते हैं। कई परिवारों के वंश नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कुलदेवी का पूजन पहले करें।
कैसे करें कुलदेवी की पूजा
-कुलदेवता की पूजा करते समय शुद्ध देसी घी का दीया, धूप, अगरबत्ती, चंदन और कपूर तो जलाना ही चाहिए साथ ही कुलदेवता को रोजाना स्नान भी करवाना चाहिए और प्रसाद स्वरूप भोग भी लगाना चाहिए।
-कुलदेवता को चंदन और चावल का टीका अर्पण करते समय ध्यान रखें की टूटे हुए या खंडित चावल ना हो। कुलदेवता को हल्दी में लिपटे पीले चावल पानी में भिगोकर अर्पण करना शुभ माना जाता है।
-पूजा के समय पान के पत्ते का बहुत महत्व है। यदि आप पान का पत्ता अर्पित कर रहे हैं तो साथ में सुपारी, लौंग, इलायची और गुलकंद भी अर्पण करना चाहिए। इससे कुलदेवता प्रसन्न होते हैं।
-कुलदेवता और देवी को पुष्प भी चढ़ाना चाहिए, लेकिन पुष्प चढ़ाते हुए आपको इन्हें पानी में अच्छी तरह से धोना चाहिए।
-सभी देवी-देवताओं की पूजा जिस तरह सुबह-शाम की जाती है, उसी तरह कुलदेवी और देवता की पूजा भी दीपक जलाकर सुबह-शाम करनी चाहिए। रोजाना घर में दीपक जलाने से आप घर के वास्तुदोष को भी दूर कर सकते हैं।
-आप आसन लगाकर शांत मन से कुलदेवता का ध्यान करें। ध्यान रहें, आप जिस आसन पर बैठे हैं उसका सम्मान करें और पैर से आसन को ना खिसकाएं बल्कि हाथ से ही आसन उठाकर रखें।
-यदि आपके घर में कुलदेवी या देवता की तस्वीर नहीं है तो सुपारी को पान के पत्ते में बांधकर उसके ऊपर मौली बांधकर कुलदेवता का स्मरण करते हुए लौंग लगानी चाहिए और इस पर स्वस्तिक बनाना चाहिए।
- पूजा घर में रोजाना कलश में जल रखें और कलश पर स्वस्तिक बनाएं। जल को रोजाना सूर्य देवता को अर्पण करें।
इस तरह आप कुलदेवता या देवी की पूजा करेंगे तो आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
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