दक्षिणमुखी मकान भी होता है शुभ.. लेकिन इन बातों का रखें ख्याल
आम मान्यता के अनुसार दक्षिण दिशा के मकान को अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है। परन्तु निर्माण के समय अगर कुछ वास्तु के अनुसार सावधानियां बरती जाएं, तो सभी प्रॉपर्टीज और दिशाएं शुभ होती हैं। आइए जानते हैं किन वास्तु टिप्स को अपनाकर दक्षिणमुखी मकान में नहीं होता दक्षिण दोष?
- सर्वप्रथम दक्षिणमुखी मकान का दोष खत्म करने के लिए मुख्य द्वार के ऊपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र लगा देना चाहिए, नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करेगी।
-यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने मुख्य द्वार से दोगुनी दूरी पर नीम का हराभरा वृक्ष लगा देने से दक्षिण दिशा का नकारात्मक असर काफी हद तक समाप्त हो जाएगा।
-यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने मकान से दोगुना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
-दक्षिण मुखी प्लाट में मुख्य द्वार आग्नेय कोण में बनाना वास्तु की दृष्टि में उचित माना गया है। उत्तर तथा पूर्व की तरफ ज्यादा व पश्चिम व दक्षिण में कम से कम खुला स्थान छोड़ा गया है तो भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है। ऐसे प्लाट में छोटे पौधे पूर्व-ईशान में लगाने से भी दोष कम होता है।
-आग्नेय कोण का मुख्य द्वार पर पेंट लाल या मरून रंग का हो, तो श्रेष्ठ फल देता है। इसके अलावा हल्का नारंगी या भूरा रंग भी चुना जा सकता है। परन्तु किसी भी परिस्थिति में मुख्य द्वार पर नीला या काले रंग नहीं करवाना चाहिए,अन्यथा घर में वाद-विवाद की समस्या रहेगी।
-यदि आपका दरवाजा दक्षिण की तरफ है तो द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।
-दक्षिणमुखी मकान में भी रसोई बनाने के लिए घर में आदर्श स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा ही है एवं खाना पकाने के दौरान, आपका पूर्व की ओर मुंह होना चाहिए। किचन के लिए दूसरी सबसे अच्छी जगह उत्तर-पश्चिम दिशा है।
- ध्यान रखें पानी की निकासी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। भूलकर भी दक्षिण दिशा में पानी से जुड़े कार्य नहीं होने चाहिए।
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