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 चाणक्य नीति : इस एक काम को नहीं करेंगे तो खूब धन कमाने के बाद भी बनी रहेगी पैसों की किल्लत
चाणक्य नीति या चाणक्य नीति शास्त्र, आचार्य चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रंथ है। नीतिपरक ग्रंथों की सूची में चाणक्य नीति  का महत्वपूर्ण स्थान है।  चाणक्य नीति में अपने जीवन को सुखमय और सफल बनाने के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए गए हैं।  चाणक्य द्वारा बताए गए ये सिद्धांत और नीतियां आज के जीवन में भी प्रासंगिक हैं और अगर इन्हें अपने जीवन में सही तरीके से उतारा जाए तो न सिर्फ जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं बल्कि आर्थिक समस्याओं का भी सामना नहीं करना पड़ता। 
पैसे खर्च करने को लेकर क्या कहते हैं चाणक्य
चाणक्य नीति में एक श्लोक है- 
उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणाम।
तडागोदरसंस्थानां परीस्त्राव इवाम्भसाम।।
अर्थात कमाए हुए धन को खर्च करना, दान देना या भोग करना ही उसकी रक्षा है, क्योंकि तालाब के भीतर भरे हुए जल को निकालते रहने से ही उसकी पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है।  अगर पानी का उपयोग ना हो तो वो सड़ जाता है।  पैसों के साथ भी ठीक वही बात है।  इस श्लोक  के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कमाए गए धन  को बुरे वक्त के लिए थोड़ा बचाकर रखना अच्छी बात है, लेकिन उसका उपयोग करते रहना, जरूरतमंदों को दान करने से ही धन की रक्षा होती है। 
धन के उचित इस्तेमाल से ही होगी उसकी रक्षा
जरुरत से ज्यादा बचत करना या कंजूस बने रहना उचित नहीं है।  सही काम में और सही तरीके से धन को खर्च करके ही उसकी रक्षा की जा सकती है।  तालाब या बर्तन में रखे पानी से धन की तुलना करते हुए चाणक्य कहते हैं कि अगर पानी को खराब होने से बचाना है तो उसका उपयोग करना होगा वरना एक ही जगह पर जमा पानी सड़ जाएगा खराब हो जाएगा।  यही बात पैसों के साथ भी लागू होती है।
 

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