इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही हो जाते हैं श्रद्धालुओं के सभी पाप दूर
हिंदी पंचांग के आखिरी महीने फाल्गुन की शुरुआत हो चुकी है और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान हर एक श्रद्धालु की यही कोशिश रहती है कि वे भोलेनाथ भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। वैसे तो देशभर में शिव जी के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं, लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है। पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं। यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सभी पाप दूर हो जाते हैं। आइये जानते हैं इन 12 ज्योतिर्लिंग की महिमा.....
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
गुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर स्थित है देश का पहला ज्योतिर्लिंग जिसे सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर शिव जी की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं और माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां रोजाना प्रात: होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है और नर्मदा नदी के किनारे पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है। यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथधाम मंदिर है। मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्फ्ल है।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में स्थित है। यहां स्थित शिवलिंग काफी मोटाई लिए हुए है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है।
7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर जिसे धर्म नगरी काशी के नाम से जाना जाता है। यहीं पर गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा विश्व नाथ का मंदिर जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्रा के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है। शिवपुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। यहां के मंदिर को वैद्यनाथधाम के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए। इसलिए इस क्षेत्र की अलग ही महिमा है।
10. नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरात
नागेश्वथर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती नदी. द्वारका के करीब स्थित है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है। यहां पर भक्त भगवान शिव में चांदी के नाग समर्पित करते हैं। .
11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
भगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में हैं। ऐसी मान्यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ।
12. घृष्णेवश्वृर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
घृष्णेवश्वृर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
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