मकान बनाना शुरू करने से पहले भूमि की जरूर करा लें जांच.. वरना होगा सुख का नाश....
ब्रह्मांड में विचरण करती ऊर्जा अर्थात कॉस्मिक एनर्जी वास्तुशास्त्र में विशेष महत्व रखती है। इसलिए भवन निर्माण आदि के लिए भूमि का सही चुनाव, निर्माण कार्य, इंटीरियर डेकोरेशन आदि कामों में दिशाओं, पांच महाभूत तत्वों, पृथ्वी, जल, वायु अग्नि तथा आकाश विद्युत चुम्बकीय तरंगों, गुरुत्वाकर्षण, कॉस्मिक एनर्जी तथा दिशाओं के अंशों का सुनियोजित ढंग से उपयोग वास्तुकला द्वारा किया जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान शिव आकाश के स्वामी हैं। इसके अतंर्गत भवन के आसपास स्थित वस्तु जैसे वृक्ष, भवन, खंभा, मंदिर आदि की छाया का प्रभाव भवन में रहने वाले लोगों पर पड़ता है। मनुष्य स्वास्थ्य, खुशहाली, सुख-चैन के साथ सफल जीवन जीने की प्राथमिकता के अलावा पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की संस्कृति का सदियों से पालन करता चला आ रहा है। इंसान ने जमीन पर मकान, मंदिर, मूर्तियां, किले, महल आदि का निर्माण किया, जिसने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के दायित्व का पूरा ध्यान रखा गया। किन्तु इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सूत्र है अंतरिक्ष में हमेशा बने रहने वाले ग्रह नक्षत्र और इस ज्ञान की गंगा को ज्योतिष के नाम से जाना है।
ब्रह्माण्ड में हमेशा उपस्थित रहने वाली कॉस्मिक ऊर्जा तथा पाँच महाभूत तत्वों का समायोजन वास्तुकला में जिस विद्या द्वारा होता है, वह वास्तुशास्त्र कहलाती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन के नीचे दबी हुई वस्तुओं का सकारात्मक व नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भवन और उसमें रहने वाले लोगों पर होता है। यह प्रभाव सामान्यत: दो से तीन मंजिल तक रहता है। भवन निर्माण से पहले भूमि की जांच करवाना इसी के चलते जरूरी होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दोष की स्थिति में भवन में रहने वाले के मान- सम्मान, प्रतिष्ठा में कमी आती है साथ ही सुख का नाश और दुर्भाग्य का निर्माण होता है। हमेशा मन अशांत और भवन में भय का माहौल बना रहता है। परिवार में अकारण ही अशांति रहती है और आपसी संबंध बिगडऩे लगते हैं। पाताल दोष यदि बेडरूम में है तो सोने वाले को बुरे सपने आते हैं तथा वैवाहिक जीवन में असफलता भी देखने को मिलती है। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के ऑफिस में होने पर आर्थिक तौर पर कठनाईयों का सामना करना पड़ता है। व्यापार में हानि होती है। अधिकतर वास्तुकला के जानकार दिशाओं का अंदाजा सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर, मैगनेटिक कम्पास के बिना करते हैं, जबकि इस यंत्र के बिना वास्तु कार्य नहीं करना चाहिए। दिशाओं के सूक्ष्म अंशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अत: जरूरी रेनोवेशन या निर्माण कार्य, अच्छे जानकार वास्तु शास्त्री की देखरेख में ही करवाना ठीक होता है।
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