हम महापुरुष को देखकर या उनके फोटोग्राफ वीडियो देखकर क्यों आकर्षित हो जाते हैं?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 217
साधक का प्रश्न ::: हम महापुरुष को देखकर या उनके फोटोग्राफ वीडियो देखकर क्यों आकर्षित हो जाते हैं?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: ये ऐसा है कि जैसे चुम्बक होता है, चुम्बक पत्थर होता है न, तो वो लोहे को खींचता है। तो जितनी लिमिट में लोहा शुद्ध होगा तो उतनी जल्दी खिंचेगा।
तो भगवान् व महापुरुष ये दोनों चुम्बक हैं, जो कोई भी इनके सम्पर्क में आता है तो जिसका हृदय जितना शुद्ध है उतनी जल्दी वो खिंच जायेगा और जिसका हृदय जितना पाप का, गंदा है, मायिक है, उतनी देर में खिंचेगा। और इसका कारण जो है, वो दो है- एक तो तमाम जन्मों की हमारी साधना अगर है पूर्वजन्म की, तो अन्त:करण उससे शुद्ध हुआ है काफी, तो वो जल्दी खिंच जायेगा; या इस जन्म में उसने बहुत साधना की है तो अन्तःकरण शुद्ध हुआ है, उसका फिफ्टी (50) परसेन्ट, सिकस्टी (60) परसेन्ट, सैविन्टी (70) परसेन्ट तो वो उतना खिंच जायेगा। बहरहाल वो मन की शुद्धि की लिमिट के अनुसार ही खिंचता है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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