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 संत श्री रामसुखदास जी महाराज के कल्याणकारी वचन (भाग - 1)

 ०० संत श्री रामसुखदास जी महाराज के कल्याणकारी वचन (भाग - 1)

 
(1) भगवान याद करने मात्र से प्रसन्‍न हो जाते हैं, इतना सस्‍ता कोई नहीं। 
 
(2) भगवान के किसी मनचाहे रूप को मान लो और भगवान के मनचाहे आप बन जाओ। 
 
(3) आप भगवान के बिना नहीं रह सकें तो भगवान की ताकत नहीं कि आपके बिना रह जायें।
 
(4) ज्ञानी भगवान को कुछ नहीं दे सकता पर भक्‍त भगवान को प्रेम देता है। भगवान प्रेम के भूखे हैं, ज्ञान के नहीं।
 
(5) मनुष्‍य खुद अपने कल्‍याण में लग जाये तो इसमें धर्म, ग्रंथ, महात्‍मा, संसार, भगवान सब सहायता करते हैं। 
 
(6) भगवान किसी को भी अपने से नीचा नहीं बनाते, जो भगवान की गरज करता है उसे भगवान अपने से ऊंचा बनाते हैं।
 
(7) भगवान को याद करना ही उनकी सेवा करना है, पत्र-पुष्‍प-फल की भी आवश्‍यकता नहीं। द्रोपदी ने केवल याद किया था।
 
(8) जैसे मां बालक का सब काम राजी होकर करती है, ऐसे ही जो भगवान की शरण हो जाते हैं, उनका सब काम भगवान करते हैं। 
 
(9) कलियुग उनके लिए खराब है जो भगवान का भजन-स्‍मरण नहीं करते, भगवदभजन करने वालों के लिए तो कलियुग भी अच्‍छा है।
 
(नोट - स्वामी रामसुखदास जी महाराज के कल्याणकारी वचनों से संबंधित पोस्ट प्रति शुक्रवार प्रकाशित होंगे.)
 
साभार - गीताप्रेस
प्रस्तुति - अतुल कुमार 'श्रीधर

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