क्या है शकुनी के पासों का रहस्य...
महाभारत के सबसे प्रमुख पात्र होने के बावजूद शकुनि की कहानी को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है। शकुनि ने अपनी चालों से कुरु वंशजों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया। वह शकुनि ही था जिसने कौरवों और पांडवों को इस कदर दुश्मन बना दिया कि दोनों ही एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। शकुनि को महाभारत का सबसे रहस्यमय पात्र कहा जाना गलत नहीं है।
शकुनि अपनी इकलौती बहन गांधारी से बहुत प्रेम करता था, लेकिन इसके बावजूद उसने ऐसे कृत्य किए, जिससे कुरुवंश खत्म हो गया। चौसर, शकुनि का प्रिय खेल था। वह पासे को जो अंक लाने के लिए कहता हैरानी की बात है वही अंक पासे पर दिखाई देता। इस चौसर के खेल से शकुनि ने द्रौपदी का चीरहरण करवाया, पांडवों से उनका राजपाठ छीनकर वनवास के लिए भेज दिया, भरी सभा में उन्हें अपमानित किया। कथा के अनुसार जन्म के समय जब गांधारी की कुंडली बनवाई गई तो उसमें गांधारी के विवाह से जुड़ी एक परेशान कर देने वाली बात सामने आई। ज्योतिषाचार्यों ने गांधारी के पिता को बताया कि गांधारी की कुंडली में उसके दो विवाह होने के योग हैं। गांधारी की पहले पति की मौत निश्चित है, उसका दूसरा पति ही जीवित रह सकता है। फिर गांधारी का विवाह एक बकरे से कर दिया गया और फिर उसे मार दिया गया। इस तरह से गांधारी की कुंडली में पति की मौत के योग समाप्त हो गए और उसका परिवार उसके दूसरे विवाह और पति की आयु को लेकर निश्चिंत हो गया। जब गांधारी विवाह योग्य हुई तब उसके लिए धृतराष्ट्र का विवाह प्रस्ताव पहुंचाया गया। इस विवाह प्रस्ताव को गांधारी के माता-पिता ने तो स्वीकार कर लिया और जब गांधारी को पता चला कि धृतराष्ट्र दृष्टिहीन हंै तो अपने माता-पिता द्वारा दिए गए वचन की लाज रखने के लिए वह इस विवाह के लिए राजी हो गई। लेकिन शकुनि को यह कदापि स्वीकार नहीं हुआ कि उसकी इकलौती बहन एक दृष्टिहीन की पत्नी बने। कथा के अनुसार विवाह होने के बाद जब धृतराष्ट्र को गांधारी के विधवा होने जैसी बात पता चली तो वह आगबबूला हो उठा। क्रोध के आवेग में आकर धृतराष्ट्र ने गांधार नरेश पर आक्रमण किया और उस परिवार के सभी पुरुष सदस्यों को कारागार में डलवा दिया।
युद्ध के बंधकों की हत्या करना धर्म के खिलाफ है, इसलिए धृतराष्ट्र ने उन्हें भूख से तड़पा-तड़पाकर मारने का निश्चय किया। धृतराष्ट्र ने अपने सैनिकों से कहा कि गांधार राज्य के बंधकों को पूरे दिन में मात्र एक मु_ी चावल वितरित किए जाएं। ऐसे हालात में सभी बंधकों ने धृतराष्ट्र के परिवार से बदला लेने का निश्चय किया। उन्होंने सर्वसम्मति से सबसे छोटे पुत्र शकुनि को जीवित रखने का निश्चय किया। मु_ीभर चावल सिर्फ शकुनि को खाने के लिए दिए जाते, जिसकी वजह से धीरे-धीरे सभी बंधक अपना दम तोडऩे लगे।
कथा के अनुसार शकुनि के सामने धीरे-धीरे कर उसका पूरा परिवार समाप्त हो गया और उसने यह ठान ली कि वह कुछ भी कर कुरुवंश को समाप्त कर देगा। अपने अंतिम क्षणों में शकुनि के पिता ने उससे कहा कि उसकी मौत के पश्चात उनकी अस्थियों की राख से वह एक पासे का निर्माण करे। यह पासा सिर्फ शकुनि के कहे अनुसार काम करेगा और इसकी सहायता से वह कुरुवंश का विनाश कर पाएगा। ऐसा भी कहा जाता है कि शकुनि के पासे में उसके पिता की रूह वास कर गई थी जिसकी वजह से वह पासा शकुनि की ही बात मानता था।
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