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 हमको आनन्द अथवा सुख-शान्ति की प्राप्ति कैसे होगी? जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु द्वारा इस प्रश्न का समाधान जानें!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 233

(भूमिका - सांसारिक पदार्थों की प्राप्ति से अलग है जीवात्मा के आनन्द की प्राप्ति का उपाय - जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के संक्षिप्त प्रवचन अंश में इसी की ओर संकेत है। आइये उनके शब्दों पर हम गंभीरतापूर्वक मनन करें...)

संसार के सामान से जो क्षणिक शान्ति मिलती है वो शारीरिक होती है, मानसिक होती है, बौद्धिक होती है बस। ये सब माया के बने हैं - शरीर माया का बना है, मन माया का बना है, बुद्धि भी माया की बनी है; इसलिए इन तीनों की जो शान्ति होती है (संसार के पदार्थ पाने पर) ये क्षणिक है। ये कोई शान्ति नहीं, इसका परिणाम तो बहुत बड़ी अशान्ति है। और हम लोग जो शान्ति चाहते हैं वो केवल जीव की चाहते हैं। जब जीव की हम शान्ति चाहते हैं तो जीव और शरीर को अलग-अलग रखना है। अगर शरीर की शान्ति को हम जीव की शान्ति का अर्थ लगा लेंगे तो हमें कभी शान्ति नहीं मिल सकती। जीव की शान्ति भगवान् को प्राप्त करके हो सकती है क्योंकि जीव भगवान् का सनातन अंश है। अतः आध्यात्मिक उन्नति से ही शान्ति हो सकती है। ये जो आत्मा की शान्ति है, यह परमात्मा की प्राप्ति से ही होगी। 

०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'विश्व-शान्ति' प्रवचन पुस्तक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

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