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 जून और जुलाई के बीच लग रहे हैं  3 बड़े ग्रहण, जानिए क्या होगा इसका असर.....क्या करें और क्या न करें.....
रायपुर।   एक वर्ष में तीन से अधिक ग्रहण घातक माने जाते हैं, जबकि इस वर्ष 2020 में कुल 6 ग्रहण का योग बना है।  इनमें से 1 चंद्रग्रहण जनवरी 2020 में लग चुका है।  इस साल कुल दो सूर्य ग्रहण और 4 चंद्र ग्रहण लगेंगे। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लग रहा है, इसके बाद 14 दिसंबर को लगेगा। वहीं, चंद्रग्रहण  5 जून और  5 जुलाई को लग रहा है।  इसके बाद फिर 30 नवंबर 2020 को चंद्रग्रहण लगेगा। 
जाने-माने ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने इन ग्रहण को लेकर विस्तार से जानकारी दी।  उन्होंने बताया कि   जून में दो ग्रहण लग रहे हैं।  फिर इसके तुरंत बाद  5 जुलाई को भी ग्रहण लग रहा है। इस प्रकार जून और जुलाई में तीन बड़े ग्रहण लग रहे हैं। सबसे पहले चंद्र ग्रहण 5 जून को लग रहा है। फिर इसके बाद सूर्य ग्रहण  जून के आखिरी दस दिनों में यानि 21 जून को लगेगा।  इसके ठीक बाद 5 जुलाई को फिर चंद्र ग्रहण लग रहा है।  जून में लगने वाले दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई देंगे।  वहीं, जुलाई में लगने वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा।   5 जून को जो चंद्रग्रहण लग रहा है, वे भारत समेत यूरोप के साथ ही साथ अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से में दिखाई देगा।  जबकि इसके बाद 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्से में नजर आएगा। 
 विश्व में आर्थिक मंदी का असर साल भर बना रहेगा
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार 21 जून को लगने वाला ग्रहण ज्यादा संवेदनशील होगा, जो मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है, इसलिए मिथुन राशि वालों पर इस ग्रहण का सबसे अधिक असर पड़ेगा। इस ग्रहण के दौरान कुल 6 ग्रह वक्री अवस्था में होंगे।  मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे, जिससे अशुभ स्थिति का सामना करने पड़ेगा।  जिस कारण संपूर्ण विश्व में बड़ी उथल पुथल मचेगी।  इस दौरान ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन धन की हानि होने का खतरा है।  भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश को जून के अंतिम माह और जुलाई में भयंकर वर्षा से जूझना पड़ सकता है।  इस साल मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे, ऐसे में वर्षा काल में असामान्य रूप से अत्याधिक वर्षा और महामारी का भय रहेगा।  शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर साल भर बना रहेगा। 
 सूतक काल में रहना चाहिए सावधान
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार ग्रहण लगने से पहले ही सूतक काल शुरू हो जाते हैं।  सूतक का अर्थ है, खराब समय या ऐसा समय जब प्रकृति ज्यादा संवेदनशील होती है। ऐसे में किसी अनहोनी के होने की संभावना बढ़ जाती है।  सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है।  ऐसे समय में सावधान रहना चाहिए और ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।  वहीं, सूतक काल में हमें कुछ खास बातों का ध्यान रखाना होता है।  ग्रहण के सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता, यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं।  इस दौरान पूजा-पाठ भी नहीं किये जाते है।  ऐसे में पहला ग्रहण  5 जून को चंद्र ग्रहण लग रहा है।  उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा।  लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं।  जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं। 
 सूतक काल में क्या करें, क्या न करें
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने पहले ही शुरू हो जाता है।  सूतक काल में भूलकर भी तुलसी का पौधा नहीं छूएं ।  इस समय खाने पीने की मनाही होती है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्ति, छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों पर ये नियम लागू नहीं होते हैं।  साथ ही यह जरूर ध्यान रखें कि सूतक काल लगने से पहले ही भोजन में तुलसी के पत्ते जरूर डाल दें, जिससे ग्रहण काल में जरूरत पडऩे पर इसे खाने का इस्तेमाल किया जा सके। सूतक काल के समय ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।  इस दौरान मंत्र जाप कर सकते हैं।    
 गर्भवती महिलाओं के लिए सूतक काल विशेष रूप से हानिकारक माना जाता है।  जिस कारण सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।  इसके साथ ही प्रेगनेंट महिलाओं चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।  सूतक काल में काटने-छांटने का काम भी नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय धार वाली वस्तुओं का प्रयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है.
 जानें कब लग रहा हैं ग्रहण
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार  5 जून की रात्रि को 11 बजकर 16 मिनट से 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा, ये उपच्छाया ग्रहण होगा।  ये ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।  उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा।  वहीं, 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 15 बजकर  4 मिनट तक रहेगा, यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा।  दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव रहेगा।  इसे भारत समेतदक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्सों में देखा जा सकेगा।  इसके बाद फिर  5 जुलाई चंद्र ग्रहण लग रहा है।   5 जुलाई के सुबह 8 बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।  ये उपच्छाया ग्रहण होगा, जिसके कारण इसका प्रभाव भारत में बहुत कम रहेगा।  इस दिन लगने वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा। 
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