सुख, समृद्धि , सौभाग्य और बेहतर स्वास्थ्य लाते हैं मिट्टी के बर्तन
भारतीय परंपरा में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल सदियों से होता आया है। मिट्टी के कुल्हड़ की सौंधी चाय, मिट्टी के घड़े का मीठा जल और थक्के वाली दही का स्वाद भला कौन भूल सकता है। मिट्टी की हांडी में पकी दाल हर ढाबे की खास पहचान होती है। सिंधुकालीन सभ्यता में भी रोजमर्रा की जिंदगी में मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल के प्रमाण मिले हैं।
समय के साथ इसका उपयोग कम होता गया। पर अब इसकी महत्ता को समझते हुए एक बार फिर मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल की उपयोगिता बढ़ रही है। मिट्टी के बर्तनों का उपयोग हमें अपनी धरती से जुड़े रहने को दर्शाता है। वास्तुशास्त्र और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है।
वास्तुशास्त्र की बात करें तो मिट्टी के बर्तन सुख, सौभाग्य और बेहतर स्वास्थ्य लाते हैं। घर में मिट्टी के बर्तन रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति को मिट्टी या भूमि तत्व के पास ही रहना चाहिए। मिट्टी से बनी वस्तुएं सौभाग्य और समृद्धिकारक होती हैं। मिट्टी के बर्तनों में पकाए अन्न में ईश्वरीय तत्व माना जाता है।
भारतीय परंपरा के अनुसार हर घर में एक मिट्टी का घड़ा अवश्य रखा जाता है। माना जाता है कि घड़े का पानी पीने से बुध और चंद्रमा शुभ फल देते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घड़े को घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। मानसिक रूप से परेशान हैं तो मिट्टी के घड़े से पौधे को पानी दें। वहीं जो लोग मंगल के कोप से प्रभावित हैं, उन्हें भी मिट्टी के बर्तन में ही पानी पीना चाहिए।
मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर घर की छत पर पक्षियों के लिए रखने से भी लाभ मिलता है। इसके अलावा मिट्टी से बनी भगवान की मूर्ति को घर में लाने से धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है। रोजाना तुलसी के पौधे के पास मिट्टी का दीया जलाएं। छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार के अवसर पर मिट्टी के तरह-तरह के खिलौने बाजार में खूब बिकने आते हैं। इन खिलौनों से अपने ड्राइंग रूम को सजाएं। इससे रिश्तों में मधुरता आती है। हर त्यौहार पर घर में मिट्टी के दीये अवश्य जलाएं, माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- नहीं खत्म होते हैं माइक्रो न्यूट्रिएंट्स
मिट्टी के बर्तन में बनी दाल और सब्जी में 100 प्रतिशत माइक्रो न्यूट्रीएंट्स रहते हैं जबकि, प्रेशर कुकर में बनी दाल और सब्जी के 87 प्रतिशत पोषक तत्व एल्युमिनियम के पोषक-तत्वों द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं।
- गैस -कब्ज की समस्या से राहत
मिट्टी के तवे पर बनी रोटी खाने से गैस की समस्या दूर रहती है। दिनभर ऑफिस में बैठने के कारण गैस की परेशानी है तो मिट्टी के तवे पर बनी रोटी खाएं। इससे कब्ज से भी छुटकारा मिलेगा।
- बीमारियों से बचाव
मिट्टी के बर्तन में खाने में मौजूद किसी भी पोषक तत्व को खत्म होने से रोकते है। जिससे हमारे शरीर को पूरे पोषक तत्व मिलते हंै, यह पोषक तत्व शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करते हैं। मिट्टी के बरतनों में खाना पकाने से भोजन अधिक पौष्टिक होता है क्योंकि यह आपके भोजन में कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, सल्फर जैसे मिनरल्स और विटामिन्स को शामिल करता है।
भोजन बनता है ज्यादा टेस्टी
दूसरे बर्तनों के मुकाबले में मिट्टी के बर्तन में बना भोजन टेस्ट में बहुत स्वादिष्ट होता है। मिट्टी के बर्तन में भोजन को बनने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है, लेकिन ऐसा खाना कई तरह की बीमारियों से बचाता है।
खाना जल्दी नहीं होता खराब
जो खाना मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है, वह जल्दी खराब नहीं होता। इसकी खास वजह ये है कि खाने को बनने में समय लगता है जिस वजह से खाना ज्यादा देर तक ताजा ही रहता है।
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