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भगवान का चिन्तन करने या उनके रूप का ध्यान करने में क्या अन्तर है? जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा समाधान!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 278

(भूमिका/विशेष जानकारी - आज के अंक के साथ सबसे नीचे जो फोटो आप सभी की जानकारी के रूप में लगाई गई है, वह कल अर्थात 9 मई 2021, दिन - रविवार को 'मदर्स डे' पर जगदगुरु कृपालु परिषत के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल Jagadguru Kripalu Parishat (JKPIndia) पर प्रस्तुत होने वाले 6-घण्टे (सुबह 4 से 10 बजे) के अखण्ड संकीर्तन के लाइव प्रसारण के संबंध में है। हम सभी की सनातन माँ श्रीराधारानी हैं। वर्तमान समय में भारत सहित सारा विश्व कोरोना के प्रकोप से ग्रसित है, ऐसे विकट समय में आइये अपनी शाश्वत माता तथा रखवार श्रीराधारानी के पावन, भयहारी तथा मधुर नाम व गुणों का संकीर्तन करते हुये उनसे प्रेम तथा कृपा की याचना करें। इस कार्यक्रम से संबंधित अन्य जानकारी के लिए एक बार फोटो का अवलोकन करने की कृपा जरूर करें....)

साधक का प्रश्न ::: चिन्तन और रूपध्यान में क्या अन्तर है?

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: मन का काम है चिन्तन करना। वो रूपध्यान करे, लीला ध्यान करे, गुण ध्यान करे, संसार का ध्यान करे, चाहे जो कुछ करे। मन का एक ही काम है चिन्तन करना, स्मरण करना;

युगपत् ज्ञानानुत्पत्तिर्मनसो लिंगम्। (दर्शन शास्त्र)

अरे दो ही चिन्तन है या तो माया के तीन गुण का चिन्तन करे या हरि गुरु का चिन्तन करे। बस। दो में एक का चिन्तन करना पड़ेगा। और दोनों नहीं कर सकता एक समय में। एक समय में एक ही चिन्तन होगा। चाहे भगवान् का कर लो चाहे संसार का कर लो। अलग-अलग टाइम में हो सकता है दोनों चिन्तन। एक समय में नहीं हो सकता। क्योंकि मन एक है। सूरदास ने कहा;

ऊधो जी! मन न भये दस बीस।
एक हुतो सो गयो श्याम संग, को अवराधे ईश।

एक ही तो मन था, वह श्यामसुन्दर के पास चला गया। अब तुम्हारा योग, वैराग्य कौन-सा मन करे? बुद्धि कहती है, यहाँ स्वार्थ सिद्ध होगा, चिन्तन करो, मन वही चिन्तन करता है। बुद्धि के खिलाफ नहीं कर सकता। और वैसे नियम ये है कि जहाँ अटैचमेन्ट होता है उसी का चिन्तन होता है, होता है माने नैचुरल। लेकिन अटैचमेन्ट हुआ कैसे? पहले चिन्तन किया। तो जिस वस्तु में सुख का बार-बार चिन्तन करता है, उस वस्तु में मन का अटैचमेन्ट हो जाता है। और किस वस्तु का चिन्तन बार-बार करता है? बुद्धि जिसमें सुख एडमिट (स्वीकार) करती है। बुद्धि का काम है डिसाइड करना। उसने डिसाइड किया यहाँ सुख है तो मन उसका चिन्तन करने लगता है। बुद्धि ने कहा यहाँ सुख नहीं है तो इसका चिन्तन करने लगता है। सब कुछ बुद्धि पर निर्भर है। मन न भी चाहे, बुद्धि की आज्ञा उसको माननी पड़ती है। इसलिए बुद्धि में अगर आ गया कि भगवान् हमारा है और शरीर नश्वर है, कल रहे न रहे चिन्तन करो। मन को चिन्तन करना पड़ेगा। अटैचमेन्ट नहीं है, नहीं सही।

किसी बच्चे का अटैचमेन्ट पढ़ने में नहीं होता तो वो बोझा समझता है। मुसीबत समझता है। लेकिन बुद्धि कहती है नहीं पढ़ोगे तो फेल हो जाओगे, फेल हो जाओगे तो फिर पापा क्या कहेंगे और क्या करेंगे। फिर तुम्हारा भविष्य क्या होगा? ये तमाम बातें। बुद्धि डाँटती है जब मन को, तब बिचारा रात भर जगकर पढ़ता है। चाय पी पी के। सबेरे कौन उठना चाहता है, नींद आ रही है। अरे! अब उठ लो, महाराज जी उठ गये होंगे। महाराज जी भी मुसीबत हैं। हाँ, साढे़ तीन बजे उठ जाते हैं।

जो कार्य अनन्त जन्म किया , उसका तो चिन्तन होता है । क्यों होता है? पहले बहुत किया है इसलिए होता है। जिसने दिन-रात सिगरेट पिया दस साल सिगरेट में उसका अटैचमेन्ट हुआ इसलिए मन परेशान है पीने के लिए। लेकिन शुरू-शुरू में जब सिगरेट पिया तब तो अटैचमेन्ट नहीं था, शौक से पिया। अटैचमेन्ट बाद में हुआ। ऐसे ही पहले बुद्धि को समझाकर के भगवान् का चिन्तन करना है फिर जब रस मिलेगा तो अपने आप होगा। पहले करना, फिर होना। पहले प्रैक्टिस फिर नैचुरैलिटी। 

भगवान् कहते हैं मेरा नाम, गुण, लीला इनका चिन्तन करे तो और अधिक लाभ मिलेगा। मन की शुद्धि ही तो करना है। वियोग में और अधिक जल्दी शुद्ध होता है मन।

०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग - 3, प्रश्न संख्या 37
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

०० विशेष जानकारी यहाँ से प्राप्त करें :::
  

+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

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