मशहूर डबल एजेंट माताहारी, जिन्हें आज ही के दिन मारी गई थी गोली
खूबसूरत डांसर और स्ट्रिपर रहीं माता हारी का नाम डबल एजेंट्स की लिस्ट में बहुत ऊपर आता है। वे जर्मनी और फ्रांस के लिए जासूसी करती थीं। जर्मनी से आए एक टेलीग्राम के पकड़े जाने पर उनके लिए मुश्किलें पैदा हुईं. फ्रांस को उन पर शक हुआ. इसी शक के आधार पर 24 और 25 जुलाई, 1917 को पेरिस के बाहर किसी जगह बंद दरवाजों के पीछे आरोपों की सुनवाई हुई। दोषी पाए जाने पर उसी साल 15 अक्टूबर को माता हारी को गोली मार दी गई।
माता हारी 1905 में पेरिस पहुंची थीं। नृत्य में अपने खास अंदाज की वजह से बहुत जल्दी लोकप्रियता मिली। फिर डांस की प्रस्तुतियों के लिए ही वह पूरे यूरोप में काफी यात्राएं करने लगीं। उनके जन्म के बारे में कई तरह की कहानियां प्रचलित हुईं, जैसे कि माता हारी का जन्म किसी पवित्र भारतीय मंदिर में हुआ जहां कि पुजारिन ने उन्हें प्राचीन तरह का नृत्य सिखाया। कहानियों में यह भी बताया गया कि उनका प्रचलित नाम माता हारी भी उसी पुजारिन का दिया हुआ था। मलय भाषा में इस नाम का अर्थ होता है दिन की आंख। असल में उनका जन्म 1876 में नीदरलैंड्स में हुआ था और उनका असली नाम मार्गरेटा गैट्रुइडा सेले था।
पहले विश्व युद्ध के समय तक माताहारी एक डांसर और स्ट्रिपर के रूप में मशहूर हो गई थीं। उनका कार्यक्रम देखने कई देशों के लोग और सेना के बड़े अधिकारी पहुंचा करते थे। इसी मेलजोल के दौरान गुप्त जानकारियां एक से दूसरे पक्ष को दी जाने लगीं। फरवरी 1917 में कुछ फ्रांसीसी अधिकारियों ने जासूसी के आरोप में माता हारी को गिरफ्तार करवाया। मुकदमे में उन पर गुप्त जानकारी दुश्मन पक्ष को देने का आरोप सिद्ध हुआ। 15 अक्टूबर 1917 को उनकी आंखों पर पट्टी बांध कर उन्हें गोली से उड़ाने की सजा दी गई, लेकिन मर कर भी वे जासूसी जगत में हमेशा के लिए अमर हो गईं।
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