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- राष्ट्र के नाम संबोधन में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीनई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार देश को संबोधित किया है। उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किये जाने को ऐतिहासिक बताया। टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर के संदर्भ में दो अनुच्छेदों का देश के खिलाफ कुछ लोगों की भावनाएं भड़काने के लि, पाकिस्तान द्वारा एक शस्त्र की तरह इस्तेमाल किया जाता था मोदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए ने जम्मू कश्मीर को अलगाववाद, आतंकवाद, परिवारवाद और व्यवस्था में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया। इसके कारण तीन दशक में राज्य में 42 हजार निर्दोष लोग मारे गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में कोई भी सरकार हो, वह संसद में कानून बनाकर, देश की भलाई के लिए काम करती है, लेकिन कोई कल्पना नहीं कर सकता कि संसद इतनी बड़ी संख्या में कानून बनाए और वो देश के एक हिस्से में लागू ही नहीं हों। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ कालखंड के लिये जम्मू कश्मीर को सीधे केंद्र सरकार के शासन में रखने का फैसला काफी सोच समझकर लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर, एक परिवार के तौर पर, आपने, हमने, पूरे देश ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। एक ऐसी व्यवस्था, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे, जो उनके विकास में बड़ी बाधा थी, वो अब दूर हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नई व्यवस्था में केंद्र सरकार की ये प्राथमिकता रहेगी कि राज्य के कर्मचारियों को, जम्मू-कश्मीर पुलिस को, दूसरे केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों और वहां की नागरिकों को प्राथमिलकता मिले।इनको याद कियापीएम मोदी ने कहा कि जो सपना सरदार पटेल का था, बाबा साहेब अंबेडकर का था, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का था, अटल जी और करोड़ों देशभक्तों का था, वो अब पूरा हुआ है मोदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 के साथ भी ऐसा ही भाव था। उससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहनों की जो हानि हो रही थी, उसकी चर्चा ही नहीं होती थी।धारा-370 पर उठाए सवालपीएम मोदी ने कहा कि हैरानी की बात ये है कि किसी से भी बात करें, तो कोई ये भी नहीं बता पाता था कि अनुच्छेद 370 से जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में क्या लाभ हुआ उन्होंने कहा कि समाजिक जीवन में कुछ बातें, समय के साथ इतनी घुल-मिल जाती हैं कि कई बार उन चीजों को स्थाई मान लिया जाता है। ये भाव आ जाता है कि, कुछ बदलेगा नहीं, ऐसे ही चलेगा।रिक्त पदों पर जल्द होगी भर्तीपीएम मोदी ने कहा कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्रीय और राज्य के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे स्थानीय नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। केंद्र की सर्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां और निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फ्री वाई-फाई देने का वादा पूरा किया है। उन्होंने ऐलान किया है कि दिल्ली में 11 हजार जगहों पर हॉट स्पॉट लगाया जाएगा, जिससे दिल्लीवासी हर महीने 15 जीबी डाटा इस्तेमाल कर सकेंगे। यह सुविधा पूरी तरह फ्री होगी। केजरीवाल ने यह भी कहा कि पूरी दिल्ली में फ्री वाई-फाई देने की दिशा में काम शुरू भी हो गया है। बता दें कि हाल ही में केजरीवाल ने 200 यूनिट तक बिजली भी मुफ्त कर दी है। सरकार बनी है तब से ही 20 हजार लीटर पानी मुफ्त है।व्यय वित्त समिति ने इस परियोजना के लिए 99 करोड़ रुपए के आवंटन को मंजूरी दे दी है। 70 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्येक में 100 हॉटस्पॉट लगेंगे। इसके लिए राउटर्स सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाएंगे, जैसे मोहल्ला क्लिनिक, पार्क, मार्केट या बिल्डिंग के पास। इनके अलावा बस अड्डों पर भी चार हजार हॉटस्पॉट लगाए जाएंगे।
- नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद मची सियासी हलचल के बीच महाराजा हरि सिंह के बेटे और कांग्रेस नेता डॉ. करण सिंह का बयान आया है. करण सिंह ने भी अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने की एक तरह से वकालत करते हुए लद्दाख को कश्मीर से अलग करते हुए केंद्र शासित क्षेत्र बनाए जाने का स्वागत किया है.डॉ. करण सिंह ने मीडिया को जारी पत्र में कहा कि तेजी से घटित घटनाक्रम ने दूसरों लोगों की तरह उन्हें भी आश्चर्य में डाला है. लेकिन इसकी एकतरफा आलोचना करना ठीक नहीं है. इसमें अच्छी बातें भी हैं, जिसमें लद्दाख को अलग करना शामिल है. मैने 1965 में खुद इस बात की वकालत की थी. उन्होंने साथ ही बिना विधानसभा वाले लद्दाख में हिल काउंसिल फॉर लेह एंड लद्दाख के पूर्ववत काम करते रहने की उम्मीद जताई, जिससे स्थानीय लोगों की बात सुनी जा सके. डॉ करण सिंह ने अनुच्छेद 35ए में विद्यामान लैगिंक मतभेद को हटाए जाने के साथ पश्चित पाकिस्तान से आए लाखों शरणार्थियों के साथ अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण दिए जाने की बात कही है. इसके साथ उन्होंने नए सिरे से परिसीमन की वकालत की है, जिससे पहली बार जम्मू और कश्मीर के बीच सत्ता का बराबरी का बंटावारा हो पाए. उन्होंने कश्मीर के मुद्दे पर राजनीतिक वार्ता को जारी रखने की बात कही है. घाटी के दोनों राजनीतिक – नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी को भारत-विरोधी करार दिए जाने को गलत बताया है, वहीं वैध राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को जल्द से जल्द जेलों से रिहा करने की मांग की है.डॉ. सिंह ने हर सूरत में जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रहने की बात कहते हुए इसे जल्द से जल्द राज्य का दर्जा देने की मांग की है, जिससे प्रांत को लोग भी भारत के दूसरे प्रांतों में रहने वाले लोगों की तरह राजनीतिक अधिकार प्राप्त कर सकें.
- नई दिल्ली- त्रिपुरा के नव नियुक्त राज्यपाल रमेश बैस ने गुरूवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सौजन्य मुलाकात की. राष्ट्रपति और पीएम ने राज्यपाल रमेश बैस से त्रिपुरा के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राज्यपाल रमेश बैस ने की सौजन्य मुलाकातबता दे कि रमेश बैस लागातर रायपुर से सात बार सांसद रह चुके हैं. अभी हाल की में उन्हें त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है.
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नईदिल्ली। राज्यसभा का 249वां सत्र बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस सत्र के दौरान तीन तलाक विधेयक और जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 सहित कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया. इस सत्र में राज्यसभा में 32 और लोकसभा में 36 विधेयकों को पारित किया गया. उच्च सदन में आज आखिरी दिन जलियावाला बाग राष्ट्रीय स्मारक बिल को वापस ले लिया गया.
इससे पहले कार्यवाही शुरू होने से पहले सदन में मौन रखकर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि दी. सभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारपंरिक संबोधन में कहा कि पिछले 14 साल में सबसे अधिक विधायी कामकाज तथा सबसे अधिक बैठकें इस सत्र में हुईं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद थे.
सत्रहवीं लोकसभा के लिए चुनाव के बाद राज्यसभा का यह पहला सत्र था और इस दौरान 2019-20 का आम बजट, राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव, तीन तलाक संबंधी विधेयक, आरटीआई कानून में संशोधन संबंधी विधेयक, अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करने संबंधी संकल्प, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक समेत कुल 32 विधेयक पारित किए गए.
सत्र के दौरान जहां कई नए सदस्यों ने उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली. वहीं, सपा और कांग्रेस के कई सदस्यों ने इस्तीफा भी दिया. इन सदस्यों में सपा के नीरज शेखर, संजय सेठ और सुरेंद्र नागर तथा कांग्रेस के संजय सिंह और भुवनेश्वर कालिता शामिल हैं.
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नईदिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर दुख जताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि देश ने एक सम्मानित और समर्पित नेता खो दिया है। सिंह ने एक बयान में कहा, सुषमा स्वराज जी के आकस्मिक निधन के बारे में सुनकर स्तब्ध हूं। उनके लोकसभा नेता प्रतिपक्ष रहते हुए उनके साथ मेरी सुखद यादें हैं। उन्होंने कहा, वह एक उच्च कोटि की नेता थीं जिनका पार्टी लाइन से इतर सभी सम्मान करते थे। वह एक महान सांसद और बहुत की कुशल मंत्री रहीं। उनके निधन से देश ने एक सम्मानित और समर्पित नेता खो दिया है। इससे पहले मंगलवार रात कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सुषमा एक ऐसी अद्भुत नेता थीं जिनके सभी पार्टियों के लोगों से मित्रवत रिश्ते थे। गांधी ने ट्वीट किया, सुषमा स्वराज जी के निधन के बारे में सुनकर स्तब्ध हूँ। वह एक अद्भुत नेता थीं जिनकी पार्टी लाइन से इतर मित्रता थी। उन्होंने कहा, दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। ओम शांति। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, सुषमा जी के असामयिक निधन के बारे में सुनकर स्तब्ध हूं। वह एक महान इंसान थीं और वह इसी तरह हमेशा याद की जाएंगी।
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नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की कद्धावर नेता सुषमा स्वराज को लोधी रोड स्थित श्मशान गृह में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. अंतिम रस्म सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी ने पूरी की. इस दौरान नाते-रिश्तेदारों, राजनीतिक दल के नेता-कार्यकर्ताओं, उनको करीब से जानने वाले लोगों के साथ आम लोगों की भी आंखें भर आई.दिल्ली के एम्स में मंगलवार की रात को अंतिम सांस लेने के बाद सुषमा स्वराज के पार्थिव शरीर को उनके जनपथ जीवनदीप बिल्डिंग स्थित निवास में बुधवार सुबह दर्शन के लिए रखा गया था, जहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृहमंत्री अमित शाह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित अन्य नेताओं ने अंतिम दर्शन कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.दोपहर को सुषमा स्वराज के अंतिम दर्शन के लिए भाजपा कार्यालय लाया गया, जहां गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके पार्थिव देह को भाजपा के झंडे से लिपेटा. केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि दूसरे प्रांतों से भी बड़ी संख्या में पहुंचे भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी. भाजपा कार्यालय से अंतिम संस्कार के लिए लोधी श्मशान घाट ले जाया गया. इस दौरान राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल सहित अन्य नेताओं ने कंधा दिया.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार रात पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया. बनर्जी ने स्वराज को एक उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ, एक अच्छा इंसान बताया और कहा कि उनके साथ उन्होंने ‘संसद में कई अच्छे पल बिताए.’ मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘सुषमा स्वराज जी के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख हुआ, 1990 के दशक से ही मैं उन्हें जानती थी. भले ही हमारी विचारधाराएँ भिन्न थीं, हमने संसद में कई सौहार्दपूर्ण पल साझा किए. एक उत्कृष्ट राजनेता, अच्छी इंसान. उनकी कमी खलेगी. बनर्जी इस समय चेन्नई में हैं. विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई. भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा. स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे. लोग उनकी भाषण कला को पसंद करते थे. वह जब संसद में बोलती थीं तो सदस्य उन्हें गंभीरता के साथ सुनते थे. सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें ‘जन मंत्री’ कहा जाता था. इतना ही नहीं वह जब विदेश मंत्री बनीं तो उन्होंने आम आदमी को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया. वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं. बीजेपी के अलावा अन्य दलों के नेताओं के साथ उनके मधुर संबंध रहे.
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राहुल गांधी: मैं पार्टी के तर्ज पर दोस्ती के साथ, एक असाधारण राजनीतिक नेता, एक प्रतिभाशाली नेता और एक असाधारण सांसद,सुषमास्वराज जी के निधन के बारे में सुनकर हैरान हूं। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना। उसकी आत्मा को शांति मिले।
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विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हम तकरीबन 40-45 साल से एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन पहले दिन से लेकर अब तक हमने कभी एक दूसरे को नाम से नहीं पुकारा. चाहे हम सदन के अंदर मिले हो या बाहर. मैं हमेशा पूछता था- ‘बहन तुम कैसी हो?’ वो कहती थीं- ‘भाई आप कैसे हो?”
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं. हार्ट अटैक से देर रात उनका निधन हो गया. सुसमा के जाने ने पूरा देश गमगीन है. क्या पक्ष-क्या विपक्ष, देश के सभी नेता सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि दे रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद ने शूस्मा को श्रद्धांजलि देते हुए बीते पलों को याद किया है.
सुषमा स्वराज के निधन पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘बहुत धक्का लगा है. कभी भी हम ये कल्पना नहीं कर सकते थे कि सुषमा जी ऐसे चली जाएंगी. मैं 1977-78 से उनको जानता था, जब मैं यूथ कांग्रेस में था और वो पहली दफा मंत्री बनी थीं. हम तकरीबन 40-45 साल से एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन पहले दिन से लेकर अब तक हमने कभी एक दूसरे को नाम से नहीं पुकारा. चाहे हम सदन के अंदर मिले हो या बाहर. मैं हमेशा पूछता था- ‘बहन तुम कैसी हो?’ वो कहती थीं- ‘भाई आप कैसे हो?’
विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘राजनीति अपनी-अपनी जगह है. हम राजनीति में एक-दूसरे के विरोधी थे, मगर असल जिंदगी में मैंने आज अपनी बहन को खो दिया. वो एक अच्छी इंसान और एक अच्छी लीडर थीं. बेहतरीन वक्ता थीं. उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.’
सुषमा स्वराज पहली पूर्णकालिक विदेश मंत्री थीं, उनसे पहले इंदिरा गांधी ने पीएम रहते हुए ये पद संभाला था. सुषमा का नाम भारतीय राजनीति में तेजतर्रा वक्ता के तौर पर जाना जाता था. अपने ओजस्वी भाषण में वह जितनी आक्रामक दिखती थीं, निजी जीवन में उतनी ही सरल और सौम्य थीं.
भारतीय जनता पार्टी में अस्सी के दशक में शामिल होने के बाद से सुषमा का राजनैतिक कद लगातार बढ़ता गया. सुषमा स्वराज पर पार्टी का विश्वास इस कदर था कि 13 दिन की वाजपेयी सरकार में भी उन्हें सूचना व प्रसारण मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण पद मिला. अगली बार बीजेपी के सत्ता में आने पर एक बार फिर सुषमा को दूरसंचार मंत्रालय के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मिला.
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नई दिल्ली:भारतीय राजनीतिज्ञ और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व वकील और भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के पार्थिव शरीर को आज दोपहर 12 बजे भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा.वर्ष 2016 में किडनी खराब होने के कारण वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज एम्स में भर्ती कराया गया था. वह डायबिटीज की बीमारी से भी पीड़ित थीं. डायबिटीज की बीमारी ने उन्हें लंबे समय से घेर रखा था. वह करीब 20 वर्षों से ज्यादा से इस बीमारी से जूझ रही थीं. वहीं, दिसंबर, 2016 में सुषमा का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से ही सुषमा स्वराज की राजनीति में सक्रियता धीरे-धीरे कम होती गई. इसी के चलते सुषमा स्वराज ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था.सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1953 को हुआ था. वह बीजेपी की वरिष्ठ नेता होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पूर्व वकील भी थीं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज दूसरी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्रालय संभाला था. मात्र 25 वर्ष की उम्र में 1977 में वह पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुई थीं. उस वक्त वह सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री थीं. वह दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही थीं. 2014 में सुषमा स्वराज ने मध्य प्रदेश के विदिशा से दूसरी बार 4 लाख वोटों से चुनाव जीता था. सुषमा स्वराज को अमेरिका के वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ‘बेस्ट लव्ड पॉलिटिशियन’ कहा था. बता दें कि सुषमा स्वराज का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था.
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नई दिल्ली। बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर स्थित उनके आवास पर तांता लगा हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सुषमा के आवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
अपनी पूर्व सहयोगी का पार्थिव शरीर देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद भावुक हो गए और उनकी आंखें डबडबा गईं। प्रधानमंत्री ने बेहद गमगीन माहौल में सुषमा की बेटी बांसुरी स्वराज के सिर पर हाथ फेर कर उनका ढांढस बंधाया। वहीं कुछ देर बाद पहुंचे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सुषमा के पार्थिव शरीर को शांत खड़े निहारते रहे।
पीएम मोदी की आंखें हो गईं नम
सुषमा के पार्थिव शरीर को बुधवार सुबह अंतिम दर्शनों के लिए जंतर-मंतर स्थित आवास पर रखा गया। अंतिम दर्शनों के लिए सुबह से ही वहां लंबी लाइन लगी रही। बीजेपी ही नहीं, विरोधी दलों के नेता भी उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव तो सुषमा को श्रद्धांजलि देते हुए बेहद भावुक हो गए और रोने लगे। कुछ देर बाद पीएम मोदी सुषमा के आवास पर पहुंचे। अपनी पार्टी की बेहद तेज तर्रार और लोकप्रिय नेता को इस तरह शांत देख वह भावुक हो गए और उनकी आंखें छलक आईं। मोदी इस दौरान सुषमा की बेटी को सांत्वना देते रहे।
सुषमा को शांत खड़े निहारते रहे आडवाणी
मोदी के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अपनी बेटी प्रतिभा आडवाणी के साथ सुषमा को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। पार्टी और एनडीए सरकार में अपनी करीबी सहयोगी रही सुषमा को देखकर आडवाणी भी बेहद भावुक हो गए। वह कुछ क्षणों तक सुषमा के निष्प्राण शरीर को देखते रहे। इस दौरान उनकी बेटी प्रतिभा पास ही खड़ीं सुषमा की बेटी बांसुरी से लिपटकर रोने लगीं।
कौन-कौन पहुंचा श्रद्धांजलि देने
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप सांसद संजय सिंह ने सुषमा स्वराज के निवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पार्टी की वरिष्ठ नेता को श्रद्धांजलि दी। स्वराज को श्रद्धांजलि देने वाले अन्य नेताओं में तृणमूल कांग्रेस डेरेक ओ ब्रायन, योग गुरु रामदेव, बीजेपी नेता हेमा मालिनी, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी शामिल हैं। -
नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। एम्स के सूत्रों ने बताया कि स्वराज को रात 10 बजकर 15 मिनट पर अस्पताल लाया गया। उन्हें सीधे आपातकालीन वॉर्ड में ले जाया गया। भाजपा की वरिष्ठ नेता का 2016 में गुर्दा प्रतिरोपित किया गया था और स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। सुषमा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और हर्षवर्धन भी एम्स में पहुंचे। बताया जा रहा है कि सुषमा स्वराज आज शाम को वह अपने घर मे गिर गई थीं. थोड़ी ही देर बाद उन्हें घबराहट होने लगी, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में एम्स लाया गया। इमरजेंसी वार्ड में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। एम्स की ओर से इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई है।
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14 फरवरी 1952 को अंबाला कैंट में जन्म
6 अगस्त 2019 को दिल्ली में निधन
1977 में लड़ा सबसे पहला चुनाव
1990 में बनीं राज्यसभा सदस्य
1998 में बनीं दिल्ली की पहली महिला सीएम
1999 में बेल्लारी सीट पर सोनिया से हारीं
2014 से 2019 तक विदेश मंत्री रहीं
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आखिरी ट्वीट
सुषमा स्वराज ने कश्मीर मुद्दे पर फैसले के लिए तीन घंटे पहले ही मोदी को बधाई देता ट्वीट किया था। ट्वीट पर अनुच्छेद 370 पर उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री जी आपका हार्दिक अभिनंदन, मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।
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नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार (06 अगस्त 2019) को निधन हो गया. उन्होंने एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली. सूत्रों के मुताबिक, सुषमा स्वराज को मंगलवार (06 अगस्त 2019) शाम दिल का दौरा पड़ा और वह अचेत होकर गिर पड़ीं. इसके बाद उन्हें एम्स की इमरजेंसी में लाया गया और देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली.
सुषमा स्वराज लंबे समय से किडनी की समस्या से पीडि़त थीं. 2016 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी किया गया था, लेकिन इसके बाद से ही उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती गई.
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरदेव शर्मा और लक्ष्मी देवी के यहां अंबाला छावनी में हुआ था. इनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिष्ठित सदस्य थे. सुषमा स्वराज ने राजनीति विज्ञान और संस्कृत जैसे से अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी. 1970 में सुषमा स्वराज को अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज में बेस्ट स्टूडेंट भी चुना गया था. इसके बाद सुषमा स्वराज ने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से एलएलबी की डिग्री हासिल की.
1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की उम्र में राज्य की कैबिनेट का मंत्री बनाया गया था और 27 वर्ष की उम्र में वे राज्य जनता पार्टी की प्रमुख बन गई थीं.
सुषमा स्वराज ने 1973 में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी. उनका राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ शुरू हुआ था. वह छात्र जीवन से ही प्रखर वक्ता रहीं. सुषमा स्वराज ने आपातकाल के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाई थी. जुलाई 1977 में उन्हें चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था. 27 वर्ष की उम्र में वह 1979 में जनता पार्टी (हरियाणा) की अध्यक्ष बन गई थीं.
सुषमा स्वराज अप्रैल 1990 में सांसद बनीं और 1990-96 तक राज्यसभा सांसद रहीं. 1996 में वह 11वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं और अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनीं. 12वीं लोकसभा के लिए वह फिर दक्षिण दिल्ली से चुनी गईं और दोबारा उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया.
अक्टूबर 1998 में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. बाद में जब विधानसभा चुनावों में पार्टी हार गई तो वह राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं.
1999 में उन्होंने आम चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी संसदीय क्षेत्र, कर्नाटक से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गईं. साल 2000 में वह फिर से राज्यसभा में पहुंचीं थीं और सूचना-प्रसारण मंत्री बनीं. वह मई 2004 तक सरकार में रहीं.
अप्रैल 2009 में वह मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता रहीं. बाद में विदिशा से लोकसभा के लिए चुनी गईं और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के स्थान पर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया.
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास का काला दिन है। आज सिर के बिना भारत है। कश्मीर देश का मस्तक था। आज देश का सिर काट दिया गया। देश को कमजोर को खत्म कर दिया गया है। लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया गया है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक जो भी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां हैं, उन्हें कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए।