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मुंबई. कम आय वर्ग के लोगों में क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता बढ़ रही है। ‘थिंक 360 डॉट एआई' के एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। अध्ययन में कहा गया है कि 50,000 रुपये मासिक से कम कमाने वाले लगभग 93 प्रतिशत वेतनभोगी इस ‘प्लास्टिक मनी' पर निर्भर हैं। इस अध्ययन के तहत 12 महीने के दौरान भारत में 20,000 से अधिक वेतनभोगी और स्वरोजगार वाले व्यक्तियों के वित्तीय व्यवहार का विश्लेषण किया गया। इसके मुताबिक, 85 प्रतिशत स्वरोजगार वाले व्यक्ति क्रेडिट कार्ड पर निर्भर हैं।
मंगलवार को जारी अध्ययन में कहा गया कि ‘अभी खरीदें, बाद में भुगतान करें' (बीएनपीएल) सेवाओं का इस्तेमाल 18 प्रतिशत स्वरोजगार व्यक्ति और 15 प्रतिशत वेतनभोगी व्यक्ति करते हैं। ‘थिंक 360 डॉट एआई' के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमित दास ने कहा, ‘‘भारत के विकसित होते कर्ज परिदृश्य में, क्रेडिट कार्ड और बीएनपीएल अब वेतनभोगी पेशेवरों से लेकर अस्थायी कर्मियों तक, सभी के लिए जरूरत बन गए हैं।'' रिपोर्ट में वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों (फिनटेक) के बढ़ते प्रभाव का उल्लेख भी किया गया है, जो भारत की डिजिटल ऋण क्रांति का नेतृत्व कर रही हैं। अध्ययन में कहा गया कि फिनटेक कंपनियों ने 2022-23 में 92,000 करोड़ रुपये से अधिक के व्यक्तिगत ऋण वितरित किए, जो मात्रा के हिसाब से सभी नए कर्ज का 76 प्रतिशत है। -
नयी दिल्ली/ मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए अब वास्तविक और स्पैम एसएमएस के बीच अंतर कर पाना आसान होगा। इसकी वजह यह है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने एसएमएस भेजने वाली संस्थाओं के नाम के साथ कुछ प्रतीकात्मक प्रत्यय लगाने शुरू कर दिए हैं। दूरसंचार कंपनियों के निकाय सीओएआई ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के सदस्यों में रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया शामिल हैं। सीओएआई ने एक बयान में कहा कि स्पैम संदेश भेजने वाले अब ओवर-द-टॉप यानी इंटरनेट मैसेजिंग ऐप का रास्ता अपनाने लगे हैं जिससे स्पैम और धोखाधड़ी वाले संदेशों की जांच के लिए सख्त उपाय लागू करने का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए एसएमएस के शीर्षक पर ऐसे सांकेतिक अक्षर लगाए गए हैं जिन्हें देखकर यह समझा जा सकता है कि वह किस तरह का संदेश है। सीओएआई के महानिदेशक एस पी कोचर ने कहा, "सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने एसएमएस हेडर पर प्रचारात्मक ('पी'), सेवा-संबंधी ('एस'), लेनदेन संबंधी ('टी') और सरकारी ('जी') संचार प्रत्यय प्रणाली लागू कर दी है। दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम (टीसीसीसीपीआर) ने 12 फरवरी, 2025 को टीसीसीसीपी विनियमन में संशोधन के जरिये इसे अनिवार्य कर दिया था।" कोचर ने कहा कि इस प्रत्यय प्रणाली के लागू होने से पारदर्शिता और उपभोक्ता संरक्षण में वृद्धि हुई है क्योंकि इस तरह के वर्गीकरण से ग्राहकों को आने वाले संदेशों की प्रकृति को आसानी से पहचानने, स्पैम को कम करने, अनुपालन को मजबूत करने और समग्र विश्वास एवं सुविधा में सुधार करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, "उपयोगकर्ता एक नजर में ही प्रचार वाले, सेवा-संबंधी, लेनदेन संबंधी और सरकारी संदेशों को आसानी से पहचान और उनके बीच फर्क कर सकते हैं। प्रचार वाले संदेशों ('पी') को स्पष्ट रूप से चिह्नित करने से ग्राहकों को अवांछित विपणन संदेशों से बचने में मदद मिलती है, जिससे स्पैम को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।" इसी तरह, ग्राहक वास्तविक लेनदेन संबंधी ('टी') और सेवा-संबंधी ('एस') संदेशों को भी आसानी से पहचान सकते हैं। ऐसा होने पर उनके धोखाधड़ी या घोटाले के शिकार होने की आशंका कम हो जाती है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि स्पैमर और घोटालेबाज लगातार गैर-विनियमित मैसेजिंग ऐप का सहारा ले रहे हैं। कोचर ने कहा, "ओटीटी संचार सेवाओं के इस्तेमाल से स्पैम और धोखाधड़ी वाले संदेशों में वृद्धि को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। अगर संचार परिवेश का बड़ा हिस्सा गैर-विनियमित रहता है तो किसी भी सहमति ढांचे या स्पैम पर काबू पाने वाले उपाय की सफलता अधूरी है।" उन्होंने कहा कि ओटीटी ऐप का विनियमन न होना दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और ओटीटी संचार सेवाओं के बीच एक असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाता है, जिससे गोपनीयता, पता लगाने की क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं।
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मुंबई. मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान' में अभिनय करने और हिट टेलीविजन शो ‘ओम नमः शिवाय' और ‘अदालत' के निर्माण के लिए पहचाने जाने वाले दिग्गज अभिनेता-निर्माता धीरज कुमार का यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके एक पारिवारिक मित्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी। वह 79 वर्ष के थे।
कुमार निमोनिया से गंभीर रूप से पीड़ित थे और उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की गहन चिकित्सा यूनिट में भर्ती कराया गया था। कुमार के करीबी सहयोगी और पारिवारिक मित्र अजय शुक्ला ने बताया, "आज सुबह 11 बजे कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निमोनिया के कारण उनका निधन हो गया। वह कुछ समय से अस्वस्थ थे और शनिवार को बुखार, सर्दी और खांसी की शिकायत के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उम्र संबंधी जटिलताओं के कारण उन्हें आईसीयू में रखा गया था।" शुक्ला ने बताया कि कुमार का अंतिम संस्कार बुधवार को पवन हंस श्मशान घाट पर किया जाएगा। कुमार के परिवार ने एक बयान में उनके निधन की पुष्टि की।
उनके परिवार ने कहा, "गहरी संवेदना और शोक के साथ हम यह सूचित करते हैं कि अनुभवी अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और एक अच्छे इंसान धीरज कुमार ने मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को दोपहर लगभग 12 बजे अपने परिजनों की मौजूदगी में अंतिम सांस ली।" उनके परिजनों ने बताया "वे हमेशा हंसते रहते थे, हमेशा दूसरों की मदद को तैयार और हमेशा अपने परिवार, दोस्तों और पूरी इंडस्ट्री के लिए मौजूद रहते थे। एक सच्चे सज्जन पुरूष धीरज कुमार कई लोगों के लिए पिता समान, मित्र और मार्गदर्शक थे। उन्हें न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक मार्गदर्शक बल्कि एक निर्मल आत्मा के रूप में भी याद किया जाएगा। हम इस कठिन समय में सभी की प्रार्थनाओं और समर्थन के लिए सभी का धन्यवाद करते हैं।" धीरज कुमार का करियर सिनेमा और टेलीविजन दोनों में पांच दशकों से ज़्यादा समय तक चला।
उन्होंने मनोरंजन इंडस्ट्री में अपना सफ़र 1965 में एक प्रतिभा प्रतियोगिता के ‘फाइनलिस्ट' के रूप में शुरू किया था। सुपरस्टार राजेश खन्ना और फिल्म निर्माता सुभाष घई भी इसका हिस्सा थे। उन्होंने 1970 की फिल्म ‘रातों का राजा' से शुरुआत करते हुए कई हिंदी और पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया और मुख्य भूमिकाएं निभाईं। इसके बाद उन्होंने ‘रोटी कपड़ा और मकान' (1974), ‘सरगम' (1979) और ‘क्रांति' (1981) जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं। पंजाबी सिनेमा में कुमार एक प्रमुख हस्ती थे और उन्होंने 1970 से 1984 के बीच 20 से ज़्यादा फिल्मों में अभिनय किया। 1986 में उन्होंने ‘क्रिएटिव आई लिमिटेड' नामक एक प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की जिसने भारतीय टेलीविजन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में कंपनी ने ‘ओम नमः शिवाय' जैसे लोकप्रिय पौराणिक और पारिवारिक धारावाहिकों का निर्माण किया जो 1997 से 2001 तक दूरदर्शन नेशनल पर प्रसारित हुए। साथ ही उन्होंने ‘श्री गणेश', ‘रिश्तों के भंवर में उलझी नियति', ‘अदालत' और ‘घर की लक्ष्मी बेटियां' का भी निर्माण किया था। -
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के चेयरमैन एस महेंद्र देव ने मंगलवार को कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष (2025-26) में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। देव ने कहा कि अच्छे मानसून और नीतिगत ब्याज दर में लगातार तीन कटौतियों की वजह से मुद्रास्फीति कम रहने से घरेलू वृद्धि को समर्थन मिलेगा। प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितताओं के दोहरे झटके जैसी कई वैश्विक चुनौतियां हैं। हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था जुझारू है और यह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बना हुआ है।'' देव ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के पहले दो महीनों के प्रमुख संकेतक घरेलू अर्थव्यवस्था के जुझारू प्रदर्शन का संकेत देते हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ पाना संभव है। उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत राजकोषीय प्रबंधन के साथ भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि संभावनाएं मजबूत प्रतीत होती हैं।'' ईएसी-पीएम के प्रमुख ने कहा कि बढ़ते सरकारी पूंजीगत व्यय का निजी उपभोग में स्वस्थ वृद्धि के साथ वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने अनिश्चित वैश्विक परिवेश और व्यापार तनाव को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में भारत के वृद्धि दर अनुमान को घटाकर क्रमशः 6.2 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत कर दिया है। देव ने कहा कि घरेलू स्तर पर मौजूद कई अनुकूल परिस्थितियां निवेश, उपभोग और निर्यात को बढ़ावा देकर ग्रामीण और शहरी दोनों मांग को बढ़ा सकती हैं। उन्होंने कहा कि आपूर्ति पक्ष पर कृषि और सेवाएं अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और आने वाले वर्षों में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि में भी सुधार होगा। मुद्रास्फीति से जुड़े एक सवाल पर देव ने कहा कि अच्छे मानसून के साथ इस साल खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अनुमान कच्चे तेल सहित कई वस्तुओं की कीमतों में निरंतर नरमी को दर्शा रहे हैं।''
इसके साथ ही देव ने कहा कि सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि का निजी क्षेत्र के निवेश पर भी असर पड़ेगा क्योंकि अध्ययनों से पता चला है कि राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों के निर्माण से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कारोबार बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकारी पूंजीगत व्यय का कई गुना प्रभाव पड़ेगा। निजी पूंजीगत व्यय में कुछ सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं। - नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) 16 जुलाई को सी. सुब्रमण्यम हॉल, एनएएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में अपने 97वां स्थापना दिवस के अवसर पर पुरस्कार समारोह और विकसित कृषि प्रदर्शनी का आयोजन करेगा। इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर दी।आईसीएआर स्थापना दिवस भारत के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के प्रमुख संस्थान की स्थापना का प्रतीक है, जो भारतीय कृषि को सुदृढ़ बनाने और खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी परिवर्तनकारी भूमिका को मान्यता देता है।दशकों से आईसीएआर ने फसल सुधार, पशुधन एवं मत्स्य विकास, कृषि-जैव प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और डिजिटल कृषि के क्षेत्र में नवाचारों का नेतृत्व किया है। इस अवसर पर आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार की प्रस्तुति तथा नए उत्पादों, प्रौद्योगिकियों, प्रकाशनों एवं समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का विमोचन किया जाएगा। आईसीएआर स्थापना दिवस न केवल उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि अत्याधुनिक अनुसंधान, नवाचारों और क्षमता निर्माण के माध्यम से कृषक समुदाय की सेवा करने की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि भी है।
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नई दिल्ली। सरकार ने मॉनसून सत्र के लिए जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन), कराधान कानून (संशोधन) और खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक सहित आठ नए विधेयकों को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया है। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है, क्योंकि विपक्षी इंडिया गठबंधन दल ऑपरेशन सिंदूर, विदेश विशेष रूप से चीन के साथ संबंधों, प्रस्तावित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बार-बार किए गए दावों पर सरकार से संसद को जानकारी देने की मांग कर सकते हैं।
राज्य सभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को राज्य सभा सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। उन्होंने इस बैठक के बाद एक्सपर पोस्ट में कहा, ‘विपक्ष 21 जुलाई से एक उत्पादक राज्य सभा सत्र चाहता है। सत्र में कई रणनीतिक, राजनीतिक, विदेश नीति और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर बहस और चर्चा करने की आवश्यकता है। ये सभी सार्वजनिक चिंता के विषय हैं।’लोक सभा और राज्य सभा सचिवालयों द्वारा सोमवार देर शाम जारी मॉनसून सत्र के लिए सरकार की अनंतिम कार्य सूची में 2016 के दिवाला और दिवालियापन संहिता में संशोधन करने वाले विधेयक का उल्लेख नहीं है। वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति वर्तमान में आईबीसी को और अधिक मजबूत बनाने के तरीकों की सिफारिश करने के लिए इसका अध्ययन कर रही है।‘आईबीसी के कामकाज और उभरते मुद्दों की समीक्षा’ विषय पर अपनी तीन बैठकों में पैनल ने बैंकों के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश की है। पैनल 29 जुलाई को होने वाली अपनी बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिनिधियों से मिलेगा। सरकार इसी सत्र में भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव), राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक व राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक भी पेश करने वाली है। - नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस, 2026 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्कार-2026 के लिए ऑनलाइन नामांकन/सिफारिशें 15 मार्च 2025 से शुरू हो गई हैं। पद्म पुरस्कारों के नामांकन की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2025 है। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन/सिफारिशें राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल https://awards.gov.in पर ऑनलाइन प्राप्त की जाएंगी।पद्म पुरस्कार, अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में शामिल हैं। वर्ष 1954 में स्थापित, इन पुरस्कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। इन पुरस्कारों के अंतर्गत ‘उत्कृष्ट कार्य’ के लिए सम्मानित किया जाता है। पद्म पुरस्कार कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान एवं इंजीनियरी, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार एवं उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किए जाते हैं। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को छोड़कर अन्य सरकारी सेवक, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वाले सरकारी सेवक भी शामिल है, पद्म पुरस्कारों के पात्र नहीं हैं।सरकार पद्म पुरस्कारों को “पीपल्स पद्म” बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अत:, सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे नामांकन/सिफारिशें करें। नागरिक स्वयं को भी नामित कर सकते हैं। महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, दिव्यांग व्यक्तियों और समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे लोगों में से ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान करने के ठोस प्रयास किए जा सकते हैं जिनकी उत्कृष्टता और उपलब्धियां वास्तव में पहचाने जाने योग्य हैं।नामांकन/सिफारिशों में पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (citation) (अधिकतम 800 शब्द) शामिल होना चाहिए, जिसमें अनुशंसित व्यक्ति की संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो।इस संबंध में विस्तृत विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट (https://mha.gov.in) पर ‘पुरस्कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत और पद्म पुरस्कार पोर्टल (https://padmaawards.gov.in) पर उपलब्ध हैं। इन पुरस्कारों से संबंधित संविधि (statutes) और नियम वेबसाइट पर https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx लिंक पर उपलब्ध हैं।
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नई दिल्ली। अंतरिक्ष यात्रा पर गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला वापस धरती पर लौट आए हैं। आज उनके अंतरिक्ष यान स्पेसएक्स ड्रैगन ने कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में प्रशांत महासागर में सफल लैंडिंग की। उनके साथ अमेरिका की पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोश उज्नांस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु भी यान से बाहर आए। यह यान आज दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर सफल लैंड हुआ। इससे पहले, यह 14 जुलाई को सुबह 7:05 बजे EDT (भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे) ISS के हार्मनी मॉड्यूल से अलग हुआ था।
शुभांशु शुक्ला की वापसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर खुशी जताई। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मैं पूरे देश की ओर से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का धरती पर वापस स्वागत करता हूं। ISS की यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में उन्होंने अपनी मेहनत, हिम्मत और जज्बे से लाखों सपनों को प्रेरणा दी है। यह हमारे अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन – गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है।”18 दिन के बाद लौटे हैं शुक्ला39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के ऑफिसर और टेस्ट पायलट हैं। उन्होंने कुल 18 दिन ISS में बिताए। इस दौरान उन्होंने 310 से ज्यादा चक्कर लगाए और लगभग 1.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा दिए गए सात माइक्रोग्रैविटी प्रयोग पूरे किए। शुक्ला की यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंक 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की सैर पर जाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं।शुभांशु की बहन सुची शुक्ला ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि बचपन में एक एयर शो देखने के बाद शुभांशु को विमानों की गति और आवाज ने इतना प्रभावित किया कि तभी से उन्होंने आसामान में उड़ान भरने का सपना देखा था।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुभांशु 17 अगस्त तक भारत वापस लौट सकते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को लैंडिंग के बाद मेडिकल जांच और अन्य जरूरी चीजों के लिए आमतौर पर सात से दस दिन लगते हैं, ताकि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढल सकें। ये सभी प्रक्रिया पूरा हो जाने के बाद शुक्ला वापस भारत लौट सकेंगे। -
नई दिल्ली। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने ISS (अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) पर भारत के पहले मानव मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए आज मंगलवार को पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला से बात की। रक्षा मंत्री ने उनकी वापसी पर खुशी जताई और उनके पिता से कहा कि पूरे देश को उन पर गर्व है। शुभांशु 18 दिन बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी पर लौटे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, “ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक एक्सिओम-4 मिशन से सफल वापसी हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने न केवल अंतरिक्ष को छुआ है बल्कि भारत की आकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक उनकी यात्रा और वापसी केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है बल्कि यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए एक गौरवपूर्ण कदम है। मैं उनके भविष्य के प्रयासों में उन्हें अपार सफलता की कामना करता हूं।”IAF ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा, “ये भावुक पल है, बच्चे को देखकर बहुत अच्छा लगा रहा है। उसकी यात्रा अच्छी रही और हमारी बात होती रहती थी। ईश्वर को बहुत-बहुत धन्यवाद उसका मिशन पूरा हुआ। हम सभी देशवासियों का भी धन्यवाद करते हैं। हम उसका बहुत अच्छे तरीके से स्वागत करेंगे।” उन्होंने कहा कि शुभांशु सकुशल पृथ्वी पर आ गया। हमारी यही इच्छा थी कि हमारा बच्चा सकुशल पृथ्वी पर वापस आ जाए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बच्चे को आर्शीवाद दिया और हमें बधाई दी।शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला ने कहा की कि मैं इस चीज को शब्दों में बयान नहीं कर सकती हूं। जब लैंड हो रहा था तब बस थोड़ा डर लगा था लेकिन सब अच्छे से हो गया है ईश्वर साथ में हैं, उन्होंने उसे वहां पहुंचाया था और उन्होंने ही उसे सुरक्षित लैंड कराया है। आशा शुक्ला ने कहा, “पीएम मोदी ने भी बधाई दी और हमें बहुत अच्छा लग रहा है हम इसका वर्णन नहीं कर सकते।वहीं, शुभांशु शुक्ला की बहन शुचि मिश्रा ने कहा, “वो वापस आ गए हैं। यह पूरे देश के लिए बहुत गौरव का क्षण है, हम बहुत उत्साहितहैं।आपको बता दें, 23 घंटे के सफर बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने कैलिफोर्निया के समुद्र पर लैंड किया। चारों एस्ट्रोनॉट एक दिन पहले शाम आईएसएस से पृथ्वी के लिए रवाना हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सकुशल वापसी पर हर्ष जताया है। उन्होंने अंतरिक्ष से धरती पर लौटने की इस यात्रा को मील का पत्थर करार दिया है।आईएसएस पर अपने दो सप्ताह से अधिक के प्रवास के दौरान, शुभांशु शुक्ला ने कुल 310 से ज़्यादा बार पृथ्वी की परिक्रमा की और लगभग 1.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की। यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 33 गुना अधिक है, जो अपने आप में एक शानदार उपलब्धि है। -
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा से भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान को बड़ी मदद मिलने जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण अनुभव साबित हुआ है।
शुभांशु शुक्ला 41 वर्षों में अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने 25 जून को स्पेसएक्स के फाल्कन रॉकेट से ड्रैगनफ्लाई स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर अंतरिक्ष की यात्रा शुरू की थी, जो 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से जुड़ा। उन्होंने ISS और स्पेस शटल में कई वैज्ञानिक प्रयोग किए। ISRO के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने बताया, “शुभांशु शुक्ला के लिए यह एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। उन्होंने अंतरिक्ष और माइक्रोग्रैविटी में कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जिनका फायदा हमें गगनयान मिशन में मिलेगा।”ISRO के मुताबिक, इस मिशन पर कुल 600 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिसमें दो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग और यात्रा से जुड़ी सभी तैयारियां शामिल थीं। हालांकि, अंत में सिर्फ शुभांशु शुक्ला को ISS भेजा गया और प्रशांत नायर बैकअप अंतरिक्ष यात्री के रूप में तैयार रहे। ISRO ने बताया कि AX-4 मिशन की स्पेसक्राफ्ट को सोमवार सुबह 4:35 बजे भारतीय समयानुसार पर इंटरनेशनल स्पेस सेंटर से अनडॉक कर दिया गया। अब यह स्पेसक्राफ्ट लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद मंगलवार दोपहर 3 बजे भारतीय समयानुसार पर कैलिफोर्निया के तट पर लैंड करेगा। लैंडिंग के बाद सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मेडिकल जांच और पुनर्वास प्रक्रिया होगी।नीलेश देसाई ने यह भी कहा कि गगनयान मिशन को लेकर ISRO की अगली योजना इस साल के अंत तक एक मानवरहित मिशन लॉन्च करने की है। इसके बाद दो और मानवरहित मिशन किए जाएंगे और फिर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को गगनयान यान से अंतरिक्ष भेजा जाएगा, जहां वह 2 से 7 दिनों तक अंतरिक्ष में रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह मिशन NASA और SpaceX के सहयोग से सफलतापूर्वक पूरा किया गया। देसाई ने कहा, “हमें जो अनुभव मिला है, उससे गगनयान मिशन की योजना को और बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा।”- - नई दिल्ली। 92 प्रतिशत भारतीय युवा मुफ्त वीजा, हायरिंग और ट्रेनिंग सपोर्ट मिलने पर ग्लोबल जॉब्स के लिए आवेदन करने की इच्छा रखते हैं। यह जानकारी सोमवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई। एआई पावर्ड ग्लोबल टैलेंट मोबिलिटी प्लेटफॉर्म टर्न ग्रुप ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में खासकर बढ़ते इमिग्रेशन-रिलेटेड फ्रॉड के साथ मार्गदर्शन- विश्वास की कमी और विश्वसनीय संसाधनों तक सीमित पहुंच टैलेंट मोबिलिटी में प्रमुख बाधाएं हैं।सर्वे के अनुसार, 57 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स को आवेदन प्रक्रिया शुरू करने के तरीके के बारे में जानकारी का अभाव है।रिपोर्ट में करियर मार्गदर्शन और पहुंच में अंतर को भी उजागर किया गया है। लगभग 34.60 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स ने कहा कि अविश्वसनीय एजेंटों और विदेशी भर्ती कर्ताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें विदेशों में काम करने को लेकर विश्वास एक बड़ी बाधा महसूस होती है।रिपोर्ट में बताया गया है कि उच्च शुल्क ने 27 प्रतिशत उत्तरदाताओं को हतोत्साहित किया, जो अक्सर बेईमान या अस्पष्ट सर्विस प्रोवाइडर से जुड़े होते हैं।वर्ल्डवाइड करियर तक पहुंच बनाने में दो सबसे बड़े कारक लैंग्वेज सपोर्ट और क्विक जॉब मैचिंग थे, जिसका क्रमशः 36.5 प्रतिशत और 63.5 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स ने समर्थन किया।टर्न ग्रुप के संस्थापक और सीईओ अविनव निगम ने कहा, “भारत दुनिया के सबसे युवा और महत्वाकांक्षी कार्यबल के स्थान में से एक है, लेकिन फिर भी लाखों लोग वैश्विक अवसरों तक नहीं पहुंच पाते हैं। अनैतिक एजेंट और रिक्रूटर्स का अत्यधिक फीस वसूल कर उम्मीदवारों को धोखा देना इस समस्या का मूल कारण है।”निगम ने आगे कहा कि युवाओं के सामने एक और बड़ी चुनौती ग्लोबल वर्कस्पेस में सुचारू रूप से बदलाव के लिए क्वालिटी अपस्किलिंग प्रोग्राम की कमी है।यह सर्वे हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स, इंजीनियरिंग जैसे हाई-डिमांड सेक्टर के 2,500 महत्वाकांक्षी पेशेवरों पर किया गया था, जिसमें टैलेंट मोबिलिटी प्रमुख कमियों को उजागर किया गया था।लगभग 79 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स हेल्थकेयर इंडस्ट्री से थे, जिसमें पैरामेडिकल स्टाफ, डेंटल असिस्टेंट्स और नर्स शामिल हैं। ऐसे समय में जब जर्मनी, ब्रिटेन, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) और जापान जैसे देश कुशल श्रम की भारी कमी का सामना कर रहे हैं, ये आंकड़े ग्लोबल हेल्थ इकोसिस्टम में योगदान देने के लिए तैयार एक अनटैप्ड टैलेंट पूल को दर्शाते हैं।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तमिल सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री बी. सरोजा देवी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मोदी ने कहा कि उन्हें भारतीय सिनेमा और संस्कृति की एक अनुकरणीय प्रतिमूर्ति के रूप में याद किया जाएगा। उनके विविध अभिनय ने पीढ़ियों पर अमिट छाप छोड़ी है। विभिन्न भाषाओं और विविध विषयों पर आधारित उनकी कृतियां उनकी बहुमुखी प्रतिभा को उजागर करती हैं।
बी. सरोजा देवी को भारतीय सिनेमा और संस्कृति की एक अनुकरणीय प्रतिमूर्ति के रूप में याद किया जाएगाप्रधानमंत्री ने एक्स पोस्ट में कहा, “प्रसिद्ध फिल्मी हस्ती बी. सरोजा देवी जी के निधन से दुखी हूं। उन्हें भारतीय सिनेमा और संस्कृति की एक अनुकरणीय प्रतिमूर्ति के रूप में याद किया जाएगा। उनके विविध अभिनय ने पीढ़ियों पर अमिट छाप छोड़ी। विभिन्न भाषाओं और विविध विषयों पर आधारित उनकी कृतियां उनकी बहुमुखी प्रतिभा को उजागर करती हैं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।”1962 में ‘चतुर्भाषा तारे’ के रूप में बी. सरोजा देवी को किया गया था सम्मानितउल्लेखनीय है कि तमिल सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री बी. सरोजा देवी का सोमवार को बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनके निधन पर पूरा देश गमगीन है। वह 87 वर्ष की थीं। पद्मभूषण से अलंकृत सरोजा देवी ने अपने सात दशक लंबे फिल्मी करियर में 200 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया। वह सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि एक प्रेरणा थीं, जिन्होंने चार भाषाओं- तमिल , कन्नड़ , तेलुगु और हिंदी फिल्मों में अभिनय कर एक मिसाल कायम की। चार भाषाओं में उनकी लोकप्रियता के चलते 1962 में उन्हें ‘चतुर्भाषा तारे’ के रूप में सम्मानित किया गया।सरोजा देवी को उनके बेहतरीन अभिनय के लिए ‘अभिनया सरस्वती’ भी कहा जाता थासरोजा देवी को उनके बेहतरीन अभिनय के लिए ‘अभिनया सरस्वती’ कहा जाता था। उनकी पहली बड़ी सफलता 1955 की कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ रही। इसमें उन्होंने सहायक भूमिका निभाई थी, उस वक्त उनकी उम्र महज 17 साल थी। इस फिल्म ने बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड जीता। इसके बाद, उन्होंने तमिल में ‘थंगमलाई रागासियम’ (1957) जैसी फिल्मों में नृत्य और अभिनय से अपनी पहचान बनाई। एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ उनकी जोड़ी पसंद की गई। दोनों ने मिलकर 26 हिट फिल्में दीं, जिसमें ‘नादोडी मन्नन’ (1958) ने उन्हें तमिलनाडु की टॉप अभिनेत्रियों में स्थापित किया।हिंदी फिल्मों में दिलीप कुमार, राजेंद्र कुमार और शम्मी कपूर जैसे बड़े सितारों के साथ काम कियाहिंदी फिल्मों में भी उन्होंने दिलीप कुमार, राजेंद्र कुमार और शम्मी कपूर जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया। ससुराल (1960), ओपेरा हाउस (1961), परीक्षा , हांगकांग (1962) और प्यार किया तो डरना क्या (1963) जैसी कई फिल्मों में सरोजा देवी ने अभिनय किया।1967 में शादी के बाद उनका करियर धीरे-धीरे कन्नड़ फिल्मों की ओर केंद्रित हो गयाकन्नड़ सिनेमा में उनकी उल्लेखनीय फिल्में ‘चिंतामणि’, ‘स्कूल मास्टर’, और ‘किट्टूरू रानी चेन्नम्मा’ रहीं। तेलुगु फिल्मों में उन्होंने एनटी रामाराव और अक्किनेनी नागेश्वर राव के साथ भी सफल फिल्में कीं। 1960 के दशक में वह दक्षिण भारतीय फिल्मों की एक फैशन आइकन बन गईं। 1967 में शादी के बाद उनका करियर धीरे-धीरे कन्नड़ फिल्मों की ओर केंद्रित हो गया, लेकिन उन्होंने तमिल और तेलुगु में भी सक्रिय रूप से काम जारी रखा। उन्होंने 161 मुख्य भूमिकाएं निभाईं, जिनमें रोमांटिक से लेकर सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में शामिल थीं।सरोजा देवी को सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिले1985 में पति के निधन के बाद उन्होंने कुछ समय फिल्मों से ब्रेक लिया, फिर अभिनय में लौट आईं लेकिन सहायक भूमिका के तौर पर। उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार निर्णायक मंडल की अध्यक्षता भी की और कर्नाटक फिल्म विकास निगम की अध्यक्ष रहीं। सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हुए उन्होंने कई धर्मार्थ अभियानों का नेतृत्व किया। 2019 में उनकी फिल्म ‘नतासार्वभौमा’ रिलीज हुई।सरोजा देवी को सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिले। उन्हें 1969 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें तमिलनाडु का कलाईममणि पुरस्कार और बैंगलोर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली। -
नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने सोमवार को नई दिल्ली में वित्तीय वर्ष 2025 (अक्टूबर से दिसंबर) की तीसरी तिमाही के लिए “ट्रेड वॉच क्वार्टरली” पुस्तिका के तीसरे संस्करण का विमोचन किया। इस तिमाही के लिए भारत की व्यापार स्थिति का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करने के अतिरिक्त, इस संस्करण का विषयगत खंड अमेरिकी टैरिफ संरचनाओं में हाल के बदलावों पर केंद्रित है।
डॉ. विरमानी ने नवीनतम व्यापार गतिशीलता को गहन विश्लेषणात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत करने वाले एक व्यापक व्यापार प्रकाशन के लिए पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत की उभरती हुई व्यापार भागीदारी, बढ़ती प्रतिस्पर्धा, नवोन्मेषण और अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के रणनीतिक प्रयासों द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था की गहन प्रगति को दर्शाती है, जो अमेरिकी व्यापार नीति में हाल के बदलावों के अनुरूप है।डॉ. विरमानी ने यह भी रेखांकित किया कि ऐसे समय में जब भू-राजनीतिक बदलावों, प्रौद्योगिकीय बदलावों और नीतिगत अनिश्चितता के कारण वैश्विक व्यापार का स्वरूप बदल रहा है, यह संस्करण नीति निर्माताओं, उद्योग और शिक्षा जगत के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है। यह समग्र व्यापार सुगमता को बढ़ाने और वैश्विक बाजारों में मज़बूत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए दूरदर्शी सुझाव प्रदान करता है।नीति आयोग के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2024) में भारत के व्यापार निष्पादन ने भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच सतर्क गतिशीलता प्रदर्शित की। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में व्यापारिक निर्यात 3 प्रतिशत (108.7 बिलियन डॉलर तक) बढ़ा, जबकि आयात में 6.5 प्रतिशत (187.5 बिलियन डॉलर तक) की वृद्धि हुई। सेवा निर्यात में 17 प्रतिशत की वृद्धि से प्रेरित 52.3 बिलियन डॉलर के सेवा अधिशेष ने घाटे के अंतर को कम करने में मदद की, जिसने वैश्विक सेवा अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती शक्ति को रेखांकित किया। वहीं, निर्यात संरचना स्थिर बनी हुई है और कुछ उत्पाद जैसे विमान, अंतरिक्ष यान और पुर्जे 200 प्रतिशत से अधिक की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि के साथ शीर्ष दस निर्यातों में शामिल हो गए हैं। इसके अतिरिक्त, भारत वर्ष 2024 में 269 बिलियन डॉलर के डिजिटल तरीके से डिलीवर की गई सेवाओं (डीडीएस) के निर्यात के साथ विश्व के पांचवें सबसे बड़े निर्यातक के रूप में स्थान पर रहा। -
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नई दिल्ली में भारत विकास परिषद् के 63वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अपनी स्थापना के छह दशक बाद भी भारत विकास परिषद उपयुक्तता और प्रासंगिकता के साथ काम कर रही है। इस संस्था ने सेवा को संगठन, संगठन को संस्कार और संस्कार को राष्ट्र निर्माण के साथ जोड़ने की अद्भुत कार्य-संस्कृति विकसित की है। उन्होंने कहा कि भारत विकास परिषद् ने 63 साल तक बिना किसी प्रसिद्धि की चाहत के जरूरतमंद लोगों की सेवा की है और विश्व को आज ऐसे ही संगठन की ज़रूरत है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने औपनिवेशिक विरासत (Colonial Legacy) से मुक्ति के लिए ढेर सारे काम किए। राजपथ का नाम कर्तव्य पथ करने से यह करोड़ो नागरिकों को संविधान में बताए गए कर्तव्यों की याद दिलाता है। अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र में अधिकार को अपनी राजनीति का जरिया बनाने वालों के बीच यदि कोई व्यक्ति कर्तव्य की याद दिलाता है तो संविधान की भावना (Spirit) जमीन पर उतरती है।उन्होंने कहा कि जब देश की नौसेना अंग्रेजों की सेना का चिह्न बदलकर शिवाजी महाराज का चिह्न अपनाती है तो हर भारतीय को गर्व होता है। आजादी के बाद शहीद हुए सैनिकों की याद में समर स्मारक बनाया गया। संसद में सेंगोल की स्थापना के जरिये एक परिकल्पना रखी है कि भारत किस दिशा में आगे बढ़ रहा है। गृह मंत्री शाह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी जी के हाथों से संसद में सेंगोल स्थापित किया जा रहा था, तब करोड़ों भारतीयों के मन में आया कि हमारे मनीषियों ने जिस भारत की कल्पना की थी, हम उस रास्ते पर आगे निकल चुके हैं।केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत विकास परिषद् का 63वां स्थापना दिवस भारत का विकास भारतीय दृष्टिकोण से चाहने वाले लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण दिन है। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था अगर 63 साल तक निर्विवाद चलती है तो यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है, परंतु सेवा और सृजन शक्ति का संगठन करने वाली संस्था जब 63 साल चलती है तो इसके पीछे काफी तपस्वियों का तप होता है।अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देशवासियों के सामने भारत को वर्ष 2047 तक पूर्ण विकसित और विश्व में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम राष्ट्र बनाने का संकल्प रखा है। इस संकल्प में कल्पना और संकल्प के साथ संकल्प को सिद्ध करने की कार्ययोजना भी है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने पांच लक्ष्य सबके सामने रखे हैं, जिनमें विकसित भारत का लक्ष्य, गुलामी के हर अंश से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व, एकता एवं एकजुटता का भाव और नागरिकों में कर्तव्य की भावना का निर्माण शामिल है। अमित शाह ने कहा कि भारत विकास परिषद लंबे समय से इन पांचों लक्ष्यों पर एक सेवक की भांति काम कर रही है।अपने संबोधन के दौरान, अमित शाह ने कहा कि मोदी जी के 11 साल के कार्यकाल को इतिहासकार स्वर्ण अक्षरों से अंकित करेंगे। उन्होंने कहा कि बीते 11 साल में 55 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक अकाउंट खोले गए, 15 करोड़ घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाया गया, 12 करोड़ से अधिक मकानों में शौचालय का निर्माण किया। श्री शाह ने कहा कि 10 करोड़ से अधिक घरों में गैस सिलिंडर और 4 करोड़ से अधिक लोगों को खुद का घर दिया। मुद्रा योजना के तहत करोड़ो की संख्या में ऋण दिए गए, जिनमें से दो-तिहाई ऋण मातृ शक्ति को देकर उन्हें देश के विकास से जोड़ने का काम किया। उन्होंने कहा कि ‘लखपति दीदी’ के माध्यम से मातृशक्ति को आगे बढाया जा रहा है।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि विरासत को भूले बगैर, विकास के आधार पर हम आगे बढ़ें और हमारे सभी स्वतंत्रता सेनानियों की कल्पना के भारत का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि अकेले सरकारें सारी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती, जब तक सेवा से जुड़े संगठन इसी रास्ते पर एक ही लक्ष्य के साथ न चलें। -
नयी दिल्ली. शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री सोमवार को ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान में प्रवेश कर गए और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिनों के प्रवास के बाद पृथ्वी पर वापस अपनी यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं। मिशन पायलट शुक्ला, कमांडर पैगी व्हिटसन, तथा मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीवस्की और हंगरी के टिबोर कापू ने ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्षयान में प्रवेश किया और पृथ्वी की 22.5 घंटे की यात्रा के लिए अपने अंतरिक्ष सूट पहन लिए। ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान का हैच, जो इसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जोड़ता था, भारतीय समयानुसार अपराह्न 2:37 बजे बंद कर दिया गया और चालक दल के सदस्य भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:35 बजे कक्षीय प्रयोगशाला से अलग होने से पहले, अंतिम निरीक्षण कर रहे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा अंतरिक्ष स्टेशन से प्रस्थान प्रक्रियाओं का सीधा प्रसारण किया गया। आईएसएस से यान के अलग होने की प्रक्रिया के बाद, ड्रैगन आईएसएस से सुरक्षित दूरी बनाने के लिए इंजन को संचालित करने की एक श्रृंखला का प्रदर्शन करेगा और पुनः प्रवेश प्रक्रिया शुरू करेगा। अंतिम तैयारियों में कैप्सूल के ट्रंक को अलग करना और वायुमंडल में प्रवेश से पहले हीट शील्ड को स्थापित करना शामिल है, जिससे अंतरिक्ष यान को लगभग 1,600 डिग्री सेल्सियस के तापमान के संपर्क में लाया जा सकेगा। पैराशूट दो चरण में तैनात किए जाएंगे - पहले लगभग 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट, उसके बाद लगभग दो किमी की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट। अनडॉकिंग के लगभग 22.5 घंटे बाद कैलिफोर्निया के तट पर यान के पहुंचने की उम्मीद है, और अंतरिक्ष कैप्सूल को एक विशेष जहाज द्वारा वापस लाया जाएगा। यान के मंगलवार को भारतीय समयानुसार अपराह्न 3:01 बजे कैलिफ़ोर्निया के तट पर पहुंचने की उम्मीद है।
एक्सिओम-4 मिशन ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा 25 जून को शुरू की थी, जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल को ले जाने वाला फाल्कन-9 रॉकेट फ्लोरिडा से आईएसएस की ओर रवाना हुआ था।
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नयी दिल्ली. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के चीन, कनाडा और मेक्सिको सहित अन्य देशों पर उच्च शुल्क लगाए जाने के बाद, अमेरिका को भारतीय निर्यात और अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। नीति आयोग ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह कहा है। आयोग ने व्यापार पर अपनी तिमाही रिपोर्ट के तीसरे संस्करण में कहा कि उत्पादों की संख्या और अमेरिकी बाजार के आकार, दोनों के संदर्भ में, अमेरिकी बाजारों में भारत के लिए महत्वपूर्ण अवसर होंगे। आयोग ने कहा, ‘‘भारत को शीर्ष 30 श्रेणियों (एचएस यानी हार्मोनाइज्ड प्रणाली दो स्तर) में से 22 में प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है। इन वस्तुओं का बाजार 2,285.2 अरब डॉलर का है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, कनाडा और मेक्सिको इन श्रेणियों में अमेरिका के प्रमुख निर्यातक हैं, इसलिए इन देशों पर क्रमशः 30 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 25 प्रतिशत का उच्च शुल्क भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाएगा। आयोग ने कहा कि भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता 30 में से छह श्रेणियों में अपरिवर्तित रहेगी। यह अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात का 32.8 प्रतिशत और अमेरिका के कुल आयात का 26 प्रतिशत है। मूल्य के हिसाब से यह 26.5 अरब डॉलर है। आयोग ने कहा कि एचएस-दो स्तर पर छह उत्पाद श्रेणियों के लिए, भारत को उच्च औसत शुल्क (एक से तीन प्रतिशत के बीच) का सामना करना पड़ रहा है, जिसपर अमेरिका के साथ बातचीत की जा सकती है। रिपोर्ट कहती है, ‘‘78 उत्पादों में भारत को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है। ये भारत के निर्यात में 52 प्रतिशत और कुल अमेरिकी आयात में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं।'' एचएस-4 स्तर पर शीर्ष 100 उत्पादों में से 17 उत्पादों (जो अमेरिका को भारत के निर्यात का 28 प्रतिशत हिस्सा हैं) के लिए, आयोग ने कहा कि शुल्क अंतर में कोई बदलाव नहीं होने के कारण भारत का प्रतिस्पर्धी लाभ अपरिवर्तित बना हुआ है। आयोग ने यह भी कहा कि भारत को 1,265 अरब अमेरिकी डॉलर के बाजार में चीन, कनाडा और मेक्सिको की तुलना में उच्च शुल्क अंतर वाले क्षेत्रों... खनिज और ईंधन, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फर्नीचर और समुद्री खाद्य पदार्थों... में लाभ होगा।'' इस बीच, प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर एक और दौर की वार्ता के लिए भारतीय वाणिज्य मंत्रालय का एक दल अमेरिका पहुंच गया है। यह बातचीत सोमवार से शुरू हो रही है। भारत के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल बुधवार को दल में शामिल होंगे। चार दिवसीय वार्ता बृहस्पतिवार को संपन्न होगी। यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों पक्षों को कृषि और वाहन जैसे क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान करना है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने भारत सहित कई देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की समयसीमा एक अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है। इस महीने की शुरुआत में, भारतीय दल वार्ता के लिए वाशिंगटन में था। दोनों पक्षों के बीच 26 जून से दो जुलाई तक वार्ता हुई थी। दल एक बार फिर वार्ता के लिए अमेरिका पहुंच गया है। भारत ने कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी मांग को लेकर अपना रुख कड़ा कर लिया है। भारत ने अबतक डेयरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते में अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार को कोई शुल्क रियायत नहीं दी है। भारत इस अतिरिक्त शुल्क (26 प्रतिशत) को हटाने की मांग कर रहा है। वह इस्पात और एल्युमीनियम (50 प्रतिशत) और वाहन (25 प्रतिशत) क्षेत्रों पर शुल्क में ढील की भी मांग कर रहा है।
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चंडीगढ़. जाने-माने मैराथन धावक फौजा सिंह की सोमवार को पंजाब में जालंधर जिले के अपने पैतृक गांव में एक सड़क हादसे में मौत हो गई। वह 114 वर्ष के थे। सिंह टहल रहे थे तभी एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। लेखक खुशवंत सिंह ने फौजा सिंह के परिवार के सदस्यों से बात की और उनके निधन की पुष्टि की।
पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि उन्हें फौजा सिंह की मौत की खबर से ‘‘गहरा दुख'' हुआ है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘मैं महान मैराथन धावक और दृढ़ता के प्रतीक सरदार फौजा सिंह जी के निधन से बहुत दुखी हूं। उन्होंने 114 वर्ष की आयु में बेजोड़ उत्साह के साथ ‘नशा मुक्त, रंगला पंजाब' मार्च में मेरे साथ भाग लिया था।'' उन्होंने कहा, ‘‘उनकी विरासत पंजाब को नशा मुक्त बनाने के लिए प्रेरणा देती रहेगी। ओम शांति ओम। पंजाब के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त खुशवंत सिंह ने फौजा सिंह की जीवनी ‘द टर्बन्ड टॉरनेडो' लिखी है।खुशवंत ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘मेरा ‘टर्बन्ड टॉरनेडो' अब नहीं रहा। मुझे परम श्रद्धेय फौजा सिंह के निधन की खबर देते हुए बहुत दुख हो रहा है। अज्ञात वाहन ने आज अपराह्न लगभग साढ़े तीन बजे उन्हें उस समय टक्कर मार दी जब वह उनके गांव बियास में सड़क पार कर रहे थे। मेरे प्यारे फौजा, आपकी आत्मा को शांति मिले।'' संपर्क किये जाने पर खुशवंत सिंह ने बताया कि उन्होंने फौजा सिंह के परिवार के सदस्यों से बात की है और उन्होंने उनकी मौत की खबर की पुष्टि की है। सड़क दुर्घटना के बाद फौजा सिंह को जालंधर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां गंभीर रूप से घायल होने के कारण उनकी मौत हो गई। - नयी दिल्ली. तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा कि युद्धों के कारण होने वाला दुख उन्हें व्यथित करता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने "कथित दुश्मनों" को भी इंसान के रूप में देखें, क्योंकि ऐसी करुणा सबसे जटिल संघर्षों को भी शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा सकती है। चौदहवें दलाई लामा का छह जुलाई को 90वां जन्मदिन था। उन्होंने यह बात एक लिखित संदेश में कही, जिसे धर्मशाला से आए एक आदरणीय भिक्षु ने रविवार को यहां आयोजित एक स्मृति समारोह में पढ़कर सुनाया। भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वान, शोधकर्ता और प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेता यहां एक दिवसीय सम्मेलन में एकत्र हुए, जो 14वें दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस दौरान बुद्ध धर्म की प्रासंगिकता और पारंपरिक आचार-प्रथाओं व वैज्ञानिक प्रमाणों के बीच संबंध जैसे विषयों पर चर्चा की गई। चौदहवें दलाई लामा की विरासत को समर्पित एक फिल्म का प्रदर्शन किया गया, वहीं आयोजन स्थल पर एक विशेष अस्थायी प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में उनके बचपन की दुर्लभ श्वेत-श्याम तस्वीरें, 1950 के दशक में पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से उनकी मुलाकात की तस्वीरें और उनके जीवन की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी तस्वीरें प्रदर्शित की गईं। आयोजन स्थल पर बुद्ध के जीवन और उनसे जुड़े विभिन्न स्थलों पर आधारित एक प्रदर्शनी भी लगाई गई।अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महासंघ (आईबीसी) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में इस आयोजन के लिए भेजा गया आठ जुलाई की तिथि वाला एक लिखित संदेश समदोंग रिंपोछे द्वारा पढ़कर सुनाया गया। दलाई लामा ने कहा, “एक साधारण बौद्ध भिक्षु होने के नाते, मैं आम तौर पर जन्मदिन समारोहों पर अधिक ध्यान नहीं देता। हालांकि, चूंकि आप इस अवसर का उपयोग करके दुनिया में करुणा, सौहार्द और परोपकार के महत्व को उजागर करने के लिए कर रहे हैं, इसलिए मैं अपनी सराहना व्यक्त करना चाहता हूं।” उन्होंने अपने संदेश में कहा कि अब 66 से अधिक वर्ष हो चुके हैं, जब वे स्वयं और बड़ी संख्या में तिब्बती लोग “चीनी कम्युनिस्ट द्वारा तिब्बत पर आक्रमण” के बाद भारत आने में सफल हुए थे। तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कहा कि तब से उन्हें प्राचीन भारतीय ज्ञान का अध्ययन जारी रखने की “स्वतंत्रता और अवसर” मिला है। दलाई लामा ने कहा, “मैं इस देश के साथ एक विशेष निकटता महसूस करता हूं।” दलाई लामा ने कहा कि यदि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा- जिसमें बुद्ध की शिक्षाएं भी शामिल हैं- को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ा जाए, तो यह दुनिया में “बड़े पैमाने पर शांति और सुख” में सहायक हो सकती है। उन्होंने कहा, “मैं प्रार्थना करता हूं कि दुनिया में अधिक शांति और समझ बढ़े। युद्ध के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोगों को कष्ट में देखकर मुझे बहुत दुःख होता है।” उनकी यह टिप्पणी विश्व के विभिन्न हिस्सों में जारी युद्धों और संघर्षों की पृष्ठभूमि में आयी है।उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपनी साझी मानवता को स्वीकार करें, यह समझें कि जिन्हें हम 'कथित दुश्मन' मानते हैं, वे भी इंसान हैं, तो मैं वास्तव में मानता हूं कि हम सबसे कठिन संघर्षों का भी शांतिपूर्ण समाधान खोज सकते हैं। लेकिन इसके लिए संवाद और बातचीत की इच्छा जरूरी है।” उन्होंने कहा, “इसलिए, मैं प्रार्थना करता हूं कि एक शांतिपूर्ण, अधिक करुणामयी और हिंसा रहित दुनिया बनाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएं।” उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में मुख्य भूमि चीन सहित चीनी जनता के बीच बौद्ध धर्म के प्रति रुचि बढ़ रही है। दलाई लामा ने कहा कि वैज्ञानिक भी बौद्ध दर्शन और मन तथा भावनाओं के कार्य-प्रणाली पर बौद्ध दृष्टिकोण को जानने में रुचि रखते हैं। उन्होंने भारत और भारतीयों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “तिब्बती लोग भारत सरकार और जनता के प्रति 1959 से अब तक दिखाई गई गर्मजोशी और आतिथ्य के लिए अत्यंत आभारी हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘अंत में, मुझे लगता है कि मेरा जीवन दुनिया भर के लोगों के लिए कुछ लाभकारी रहा है और मैं अपना शेष जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित करता हूं।” अशोक होटल में आयोजित इस सम्मेलन में थाईलैंड, मलेशिया और अन्य बौद्ध देशों के बौद्ध भिक्षुओं सहित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय बौद्ध भिक्षुओं ने भी भाग लिया। अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्रिटेन के बौद्ध विद्वानों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।
- मुंबई .राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राज्यसभा के लिए नामित चार सदस्यों में शामिल जाने-माने वकील उज्ज्वल निकम ने रविवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें यह खबर देने के लिए फोन किया और उनसे मराठी में बात की। निकम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी जी बहुत अच्छी मराठी बोलते हैं। वह महाराष्ट्र में अपने कुछ भाषणों की शुरुआत मराठी से करते हैं और फिर हिंदी में बोलते हैं।'' निकम ने कहा, ‘‘जब मुझे रात आठ बजकर 44 मिनट पर उनका फोन आया और ऑपरेटर ने मुझे उनसे जोड़ा, तो प्रधानमंत्री ने मराठी में पूछा, ‘‘उज्ज्वल जी मी मराठित बोलू का हिंदी बोलू (मैं मराठी में बात करुं या हिंदी में)।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि उनकी दोनों भाषाओं पर अच्छी पकड़ है। उन्होंने मुझे बताया कि राष्ट्रपति मुझे कुछ जिम्मेदारी सौंपना चाहती हैं और पूछा कि क्या मैं इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। फिर उन्होंने मराठी में अपनी बात जारी रखी।'' उन्होंने कहा कि राज्यसभा के लिए उनका नामांकन कानून के क्षेत्र में उनके दशकों के किए काम का परिणाम है। उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा चुनावों के दौरान भी भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) ने मुझ पर भरोसा दिखाया था। अब राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में मुझे और बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।'' निकम ने 2024 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह जीत नहीं सके थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार देर रात जारी एक अधिसूचना में बताया कि राष्ट्रपति ने पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला, 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम, केरल के भाजपा नेता सी सदानंदन मास्टर और इतिहासकार मीनाक्षी जैन को राज्यसभा के लिए नामित किया है।
- नयी दिल्ली. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यात्री सुरक्षा बढ़ाने के मकसद से रेलवे के सभी 74 हजार डिब्बों और 15 हजार इंजन में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। रेल मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक बयान के अनुसार, वैष्णव और केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने शनिवार को उत्तर रेलवे में परीक्षण के आधार पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के लाभों की समीक्षा की, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया। यात्रियों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए दरवाजों के पास सामान्य आवागमन क्षेत्र में कैमरे लगाए जाएंगे। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय रेल मंत्री ने सभी 74 हजार डिब्बों और 15 हजार इंजनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने को मंजूरी दे दी है। प्रत्येक रेलवे कोच में चार सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक प्रवेश मार्ग पर दो कैमरे होंगे।'' बयान में कहा गया, “प्रत्येक इंजन में छह सीसीटीवी कैमरे होंगे। इसमें इंजन के आगे, पीछे और दोनों तरफ एक-एक कैमरा शामिल होगा।
- नयी दिल्ली. भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और उनके पति पारुपल्ली कश्यप ने आपसी सहमति से अलग होने के फैसले की घोषणा की है। रविवार को इंस्टाग्राम पर साइना ने एक निजी अपडेट साझा किया जिसने खेल जगत को हैरान कर दिया है।राष्ट्रमंडल खेलों में दो बार की चैंपियन साइना ने लिखा, ‘‘जिंदगी हमें कभी-कभी अलग दिशाओं में ले जाती है। बहुत सोच-विचार के बाद कश्यप पारुपल्ली और मैंने अलग होने का फैसला किया है। हम अपने और एक-दूसरे के लिए शांति, विकास और उपचार का विकल्प चुन रहे हैं। '' उन्होंने लिखा, ‘‘मैं उन यादों के लिए आभारी हूं और आगे के लिए शुभकामनाएं देती हूं। इस दौरान हमारी निजता को समझने और उसका सम्मान करने के लिए धन्यवाद। '' साइना और पूर्व शटलर कश्यप ने दिसंबर 2018 में शादी की थी।
- आइजोल. मिजोरम की राजधानी आइजोल के लिए किसी जमाने में सपना रही बैराबी-सैरंग रेलवे लाइन आखिरकार हकीकत में तब्दील हो गयी है। बैराबी-सैरंग रेलवे लाइन की परिकल्पना सितंबर 1999 में की गयी थी और 26 वर्ष के अंतराल के बाद संरेखण, छोटे-छोटे अंतराल पर कार्य होने और लगातार भूस्खलन जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों को पार करते हुए आइजोल देश के रेलवे मानचित्र पर आ गया है। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने 1999 में जो सपना देखा था, वह इस वर्ष जून में हकीकत में बदल गया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही इस 51.38 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। दस्तावेजों के मुताबिक, इंजीनियरों को जब 1999 में पता चला कि घने जंगल, कम दृश्यता और अन्य स्थानीय समस्याओं के कारण प्रारंभिक सर्वेक्षण संभव नहीं है, तो एक सर्वे कराने पर सहमति बनी, जिसमें मोटे तौर पर मार्ग का आकलन करना शामिल था। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “प्रारंभिक इंजीनियरिंग-सह-यातायात सर्वेक्षण (पीईटी) के तहत मार्ग की विस्तृत जांच की जाती है। पीईटी सर्वेक्षण को व्यवहार्य न पाए जाने पर बोर्ड से इसे सर्वेक्षण इंजीनियरिंग-सह-यातायात (आरईटी) सर्वे में बदलने का अनुरोध किया गया, जिस पर रेलवे बोर्ड ने 15 जुलाई, 2003 को सहमति व्यक्त की।” उन्होंने बताया, “पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने बैराबी-सैरंग रेल संपर्क के लिए आरईटी सर्वेक्षण मार्च 2006 में किया था। इसके आधार पर, रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस लिमिटेड (राइट्स) को 2008 में बैराबी-सैरंग तक एक नई ‘ब्रॉड गेज' रेलवे लाइन के लिए निर्माण-पूर्व सर्वेक्षण और भू-तकनीकी जांच करने के लिए कहा गया था। राइट्स ने अगस्त 2011 में अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की।” तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने इस परियोजना को मिजोरम और देश के बाकी हिस्सों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी करार देते हुए 2008-09 में इसे ‘राष्ट्रीय परियोजना' घोषित किया था। इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने 29 नवंबर, 2014 को परियोजना की आधारशिला रखी।पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने 2014-2015 तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली और एक वर्ष बाद 2015-16 में रेलवे ने निर्माण कार्य पूरे जोर-शोर से शुरू कर दिया। परियोजना के मुख्य अभियंता विनोद कुमार ने बताया, “इस क्षेत्र में कार्य अवधि बहुत कम होती है और वर्ष में केवल चार-पांच महीने (नवंबर से मार्च तक) ही काम होता है। भारी बारिश के साथ मानसून की लंबी अवधि के कारण अप्रैल से अक्टूबर तक कोई कार्य संभव नहीं होता।” उन्होंने बताया, “यह मार्ग पहाड़ी इलाकों, गहरी घाटियों से होकर गुजरता है, जिसके लिए सुरंगों और ऊंचे पुलों के निर्माण की आवश्यकता है। इसके अलावा, गुवाहाटी से सिलचर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात में बार-बार रुकावट के कारण निर्माण सामग्री को लाना ले जाना आज भी एक बड़ी चुनौती है।” परियोजना स्थल पर काम कर रहे इंजीनियरों ने बताया कि यहां तक पहुंचने वाली सड़कें अक्सर भूस्खलन की चपेट में आ जाती हैं और एक ही बारिश में फिसलन भरी हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप परियोजना स्थल पर सामग्री की आवाजाही रुक जाती है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, “परियोजना स्थल की ओर जाने वाली सड़कें संकरी और ढलानदार हैं, जिन पर बड़े ट्रकों-ट्रेलरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसलिए, बाहर से बड़े ट्रकों-ट्रेलरों में लाई गई सामग्री को छोटे-छोटे वाहनों में लादकर राजमार्ग से परियोजना स्थल तक पहुंचाया गया।” उन्होंने बताया, “पुल के गर्डरों के निर्माण के लिए बड़ी क्रेनों का परिवहन बहुत मुश्किल था। इन्हें मुख्य पुर्जों को अलग कर स्थल पर पुनः जोड़ने के बाद ही इस्तेमाल में लाया गया।” परियोजना स्थल पर काम कर रहे इंजीनियरों ने बताया कि मिजोरम में स्थानीय मजदूर भी उपलब्ध नहीं थे और सभी मजदूर दूसरे राज्यों से लाए गए थे। कुमार ने बताया, “मिजोरम पूर्वोत्तर का सबसे दूरस्थ राज्य है और यह परियोजना पूरी तरह से पहाड़ी इलाकों में स्थित है, जहां ज्यादातर जगहों पर मोबाइल नेटवर्क नहीं हैं। इसलिए मजदूर काम के लिए मिजोरम आने से हिचकिचाते हैं और परियोजना में हमेशा मजदूरों की कमी रही।” उन्होंने बताया कि मिजोरम में उपयुक्त निर्माण सामग्री (जैसे रेत, पत्थर के टुकड़े आदि) भी उपलब्ध नहीं थी और इन्हें आस-पास के राज्यों जैसे असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय आदि से लाया जाता था। रेलवे के अनुसार, इस लाइन में 12.853 किलोमीटर लंबी 48 सुरंगें, 55 बड़े व 87 छोटे पुल, पांच ओवरब्रिज और नौ अंडरब्रिज हैं। रेलवे ने बताया कि 196 संख्या वाला एक पुल 104 मीटर ऊंचा है और यह कुतुब मीनार से 42 मीटर ऊंचा है।
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नयी दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिन के गहन वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद शुभांशु शुक्ला और ‘एक्सिओम-4' मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विदाई और दावत का समय आ गया है, जो सोमवार को पृथ्वी के लिए अपनी वापसी यात्रा शुरू करने को तैयार हैं। ‘एक्सिओम-4' (एक्स-4) चालक दल के विभिन्न अनुसंधान पूरे होने के करीब हैं और इसमें शामिल अंतरिक्ष यात्री सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 7:05 बजे (भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे) से आईएसएस से धरती के लिए बाहर निकलने की तैयारी कर रहे हैं। चालक दल में कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु ‘शुक्स' शुक्ला और मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ ‘सुवे' उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की तथा टिबोर कापू शामिल हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पृथ्वी पर वापसी.... भारतीय समयानुसार 15 जुलाई को अपराह्न 3:00 बजे निर्धारित है।'' ‘एक्सिओम-4' चालक दल के लिए औपचारिक विदाई समारोह भारतीय समयानुसार रविवार शाम के लिए निर्धारित है।
मिशन के पूर्ण होने की घड़ी नजदीक आते ही आईएसएस पर अंतरिक्ष यात्री अपने छह देशों के विविध व्यंजनों के साथ भोज के लिए एकत्र हुए। वर्तमान में, आईएसएस पर 11 अंतरिक्ष यात्री हैं, जिनमें से ‘एक्सपीडिशन 73' के सात और ‘एक्सिओम-4' वाणिज्यिक मिशन के चार अंतरिक्ष यात्री हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इस मिशन पर मेरी सबसे अविस्मरणीय शामों में से एक, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर नए दोस्तों, एक्स-4 के साथ भोजन करना है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने कहानियां साझा कीं और इस बात से प्रसन्न हुए कि किस प्रकार विविध पृष्ठभूमियों एवं देशों के लोग अंतरिक्ष में मानवता का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक साथ आए।'' किम ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों ने मीठी ब्रेड, दूध और अखरोट से बने स्वादिष्ट केक के साथ रात्रि का समापन किया। शुक्ला अपने साथ आम रस और गाजर का हलवा लेकर गए थे जबकि पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री स्लावोज़ अपना स्थानीय व्यंजन, गोभी और मशरूम के साथ पिएरोगी लेकर गए थे। यह शुक्ला के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा रही है, जो आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं तथा 1984 में तत्कालीन सोवियत रूस के ‘सैल्यूट-7' अंतरिक्ष स्टेशन मिशन के एक भाग के रूप में राकेश शर्मा की अंतरिक्ष उड़ान के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय हैं। -
नयी दिल्ली. भारतीयों द्वारा अत्यधिक नमक का सेवन भारत में एक मूक महामारी का रूप ले रहा है, जिससे लोगों में उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है। वैज्ञानिकों ने इस समस्या के समाधान के लिए समुदाय-आधारित नमक कटौती अध्ययन शुरू किया है तथा कम सोडियम वाले नमक के विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रति व्यक्ति प्रति दिन पांच ग्राम से कम नमक का सेवन की सिफारिश की है, जबकि अध्ययनों में खुलासा हुआ है कि शहरों में रहने वाले भारतीय लगभग 9.2 ग्राम/दिन का उपभोग करते हैं,जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह लगभग 5.6 ग्राम/दिन है। इस प्रकार पूरे देश में नमक का सेवन अनुशंसित मात्रा से अधिक है। राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक डॉ. शरण मुरली ने कहा कि इस स्थिति को बदलने की एक उम्मीद कम सोडियम वाले नमक हैं। यह नमक का वह स्वरूप होता है, जिसमें सोडियम क्लोराइड के एक भाग को पोटेशियम या मैग्नीशियम लवण से प्रतिस्थापित किया जाता है। डॉ. मुरली ने कहा,‘‘सोडियम का कम सेवन रक्तचाप को कम करने में मदद करता है और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। इस प्रकार कम सोडियम वाले विकल्प एक सार्थक विकल्प बन जाते हैं, विशेष रूप से उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘केवल कम सोडियम वाले नमक पर स्विच करने से रक्तचाप औसतन 7/4 मिलीमीटर ऑफ मरक्यूरी तक कम हो सकता है। यह एक छोटा सा बदलाव है, जिसका प्रभाव बड़ा होता है।'' उच्च नमक उपभोग की समस्या से निपटने के लिए, एनआईई ने पंजाब और तेलंगाना में तीन वर्षीय हस्तक्षेप परियोजना शुरू की है। इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का समर्थन प्राप्त है। अध्ययन में शामिल एनआईई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि इसका लक्ष्य स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा दिए जाने वाले नमक कटौती परामर्श की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना है, जो उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्तियों में रक्तचाप और सोडियम सेवन को कम करने में सहायक है। डॉ. कुमार ने कहा, ‘‘हम वर्तमान में परियोजना के प्रथम वर्ष में हैं, जिसमें आधारभूत आकलन और क्षेत्रीय तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।'' डॉ. मुरली ने कहा, ‘‘परामर्श सामग्री को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। हमारा लक्ष्य सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर हस्तक्षेप पैकेज तैयार करना है, उनके अनुभवों का उपयोग करना है और उनके सुझावों को शामिल करना है। यह सिर्फ स्वास्थ्य शिक्षा देने के बारे में नहीं है - यह सुनने, समझने और साथ मिलकर निर्माण करने के बारे में है।'' यह सुनिश्चित करने के लिए कि हस्तक्षेप वास्तविकता पर आधारित हैं, एनआईई ने कम सोडियम वाले नमक (एलएसएस) की उपलब्धता और मूल्य निर्धारण का आकलन करने के लिए चेन्नई में 300 खुदरा दुकानों पर एक बाजार सर्वेक्षण किया। उन्होंने पाया कि एलएसएस केवल 28 प्रतिशत खुदरा दुकानों में उपलब्ध था। यह 52 प्रतिशत सुपरमार्केट में देखा गया, लेकिन केवल चार प्रतिशत छोटी किराना दुकानों में इसकी उपलब्धता थी। एलएसएस की कीमत औसतन 5.6 रुपये प्रति 100 ग्राम थी, जो सामान्य आयोडीन युक्त नमक (2.7 रुपये प्रति 100 ग्राम) की कीमत से दोगुनी से भी अधिक थी। डॉ. मुरली ने कहा कि ये निष्कर्ष आपूर्ति-मांग के बीच गंभीर अंतर को उजागर करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कम सोडियम वाले नमक की कम मांग के कारण इसकी उपलब्धता कम हो सकती है - यह जागरूकता और पहुंच का एक अप्रत्यक्ष सूचक है।'' नमक का उपभोग कम करने के बारे में सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा देने के लिए, एनआईई ने हाल ही में आईसीएमआर-एनआईई के माध्यम से ट्विटर और लिंक्डइन पर ‘बदलाव के लिए एक चुटकी' अभियान भी शुरू किया है। अभियान में इन्फोग्राफिक्स, तथ्यों और सरल संदेशों का उपयोग किया गया है और इसका उद्देश्य छिपे हुए नमक स्रोतों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, कम सोडियम वाले विकल्पों को बढ़ावा देना और व्यक्तियों को हृदय-स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाना है।
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नयी दिल्ली. आयकर रिफंड पिछले 11 वर्षों में 474 प्रतिशत बढ़कर 2024-25 में 4.77 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो सकल कर संग्रह में 274 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। साथ ही, आयकर रिफंड जारी करने में लगने वाले दिनों की संख्या में भी 81 प्रतिशत की कमी आई है। यह 2013 में 93 दिनों से घटकर 2024 में केवल 17 दिन रह गई है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन के अंतिम वर्ष 2013-14 तक, आयकर विभाग द्वारा जारी रिफंड 83,008 करोड़ रुपये था। जबकि, वर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासन के 11वें वर्ष 2024-25 के अंत तक, आयकर रिफंड 4.77 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इस अवधि के दौरान 474 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 2013-14 के 7.22 लाख करोड़ रुपये से 274 प्रतिशत बढ़कर 2024-25 तक 27.03 लाख करोड़ रुपये हो गया। साल 2013 से दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में 133 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2013 में कुल 3.8 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए थे, जो 2024 में बढ़कर 8.89 करोड़ हो गए हैं। सूत्रों ने कहा कि कर रिफंड में यह भारी वृद्धि और रिफंड जारी करने में लगने वाले दिनों में कमी कर प्रशासन में सुधार, विशेष रूप से डिजिटल बुनियादी ढांचे को अपनाने के कारण है।