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उत्तरकाशी. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने के कारण खीर गंगा नदी में आयी विनाशकारी बाढ़ में चार लोगों की मौत हो गयी और 130 से अधिक लोगों को बचा लिया गया। उत्तराखंड सरकार द्वारा यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) तथा सेना सहित अन्य राहत एजेंसियों ने मिलकर घटनास्थल से 130 से अधिक लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। इससे पहले, घटनास्थल के लिए जाते समय उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने संवाददाताओं को बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार घटना में चार लोगों की मृत्यु हुई है। बाढ़ में लापता हुए लोगों की संख्या के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि यह संख्या 50 से अधिक हो सकती है क्योंकि बाढ़ के पानी के तेज बहाव के कारण लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका ही नहीं मिला। अधिकारियों ने बताया कि धराली में आई बाढ़ में कई मकान और होटल तबाह हो गए। धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है। उन्होंने बताया कि दोपहर बाद करीब पौने दो बजे हुई इस घटना में कम से कम आधा धराली गांव मलबे और कीचड़ में दब गया। बाढ़ के पानी और मलबे के तेज बहाव में तीन-चार मंजिला मकानों सहित आस-पास की इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं। अधिकारियों के अनुसार, खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से यह विनाशकारी बाढ़ आई।
बाढ़ से केवल धराली ही नहीं प्रभावित हुआ। राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि तेज गति से आया सैलाब एक ही पहाड़ी की दो अलग-अलग दिशाओं में बहा-एक धराली की ओर दूसरा सुक्की गांव की ओर। इस बीच, शाम तक जारी बारिश के कारण राहत एवं बचाव कार्यों में बाधा आई।
इसके अलावा, राज्यभर में भूस्खलन के कारण सड़कों के अवरुद्ध होने से भी राहत कार्य में अड़चनें आईं और बचावकर्मियों को आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचने में कठिनाई हुई। सुमन ने बताया कि हर्षिल में मौजूद सेना की एक टीम तत्काल मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया लेकिन खराब मौसम और सड़कों के कारण अन्य स्थानों से आने वाली टीम को पहुंचने में काफी मुश्किलें आयीं। बुधवार को भी मौसम से ज्यादा राहत मिलने की संभावना नहीं है। मौसम विभाग ने नैनीताल, चंपावत, उधम सिंह नगर, बागेश्वर, पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार और देहरादून समेत सात जिलों में भारी बारिश का ‘ऑरेंज अलर्ट' जारी किया है। उत्तराखंड के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने बताया कि 40 से 50 इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर की सेवाएं भी नहीं ली जा सकीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि धराली बाजार का एक बड़ा हिस्सा आपदा में तबाह हो गया।
बादल फटने से धराली में आई आपदा के एक वीडियो में लोगों को डर के मारे चीखते सुना जा सकता है जबकि एक अन्य वीडियो में एक आवाज सुनाई दे रही है, ‘‘सब कुछ खत्म हो गया है।'' मुख्यमंत्री धामी अपना आंध्र प्रदेश का दौरा बीच में ही छोड़कर देहरादून लौट आए और अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया। धामी ने धराली में हुए भारी नुकसान पर दुख जताया और कहा कि प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी । उन्होंने बताया कि बताया कि राहत एवं बचाव कार्यों में सेना, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा जिला प्रशासन की टीम युद्धस्तर पर लगी हैं। धामी ने प्रभावितों को हवाई मार्ग से लाने तथा उनके लिए तत्काल भोजन, कपड़े और दवाइयां भिजवाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को वायु सेना के एमआई-17 का सहयोग लेने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों मेहरबान सिंह बिष्ट, अभिषेक रुहेला तथा गौरव कुमार को नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिए हैं जो उत्तरकाशी जाकर बचाव एवं राहत कार्यों की निगरानी करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में घायलों के लिए बिस्तर आरक्षित रखे गए हैं और एंबुलेंस धराली पहुंच गयी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि लोगों तक मदद पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तरकाशी के धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। इसके साथ ही सभी पीड़ितों की कुशलता की कामना करता हूं। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी से बात कर मैंने हालात की जानकारी ली है। राज्य सरकार की निगरानी में राहत और बचाव की टीमें हरसंभव प्रयास में जुटी हैं। लोगों तक मदद पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है।'' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी धामी से बात की और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए सात बचाव दल भेजने का आदेश दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं और कीमती जानें बचाने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं। इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एडीआरएफ ने उत्तराखंड में बादल फटने की घटना में मारे गए लोगों का पता लगाने में मदद के लिए शव खोजी कुत्तों की अपनी पहली टीम तैनात करने का फैसला किया है। इन कुत्तों के एक जोड़े को दिल्ली से हवाई मार्ग से लाया जाएगा, जबकि राज्य के विभिन्न स्थानों से बल की तीन टीम घटनास्थल पर पहुंच गई हैं जिनमें प्रत्येक में 35 बचावकर्मी शामिल हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि उत्तरकाशी में मलबे और कीचड़ में दबे शवों को ढूंढ़ने के लिए खोजी कुत्तों को तैनात किया जा रहा है। -
नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत इस महीने के अंत में यहां तीन-दिवसीय कार्यक्रम में भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रति संगठन का दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे। वह इस कार्यक्रम में देश को अधिक आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रभावशाली बनाने के लिए ‘‘विकास के औपनिवेशिक युग के मानदंडों से आगे जाने की आवश्यकता'' समेत कई विषयों पर अपने विचार रखेंगे। आरएसएस इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समुदायों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और विदेशी राजदूतों (पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर) समेत समाज के विभिन्न वर्गों के प्रमुख व्यक्तियों को आमंत्रित करेगा। सूत्रों ने बताया कि तुर्किये को निमंत्रण भेजे जाने की भी संभावना नहीं है।
छब्बीस अगस्त से शुरू होने वाली तीन-दिवसीय व्याख्यानमाला का विवरण साझा करते हुए, आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील आंबेकर ने कहा कि भागवत समाज की मदद से भारत के “उज्ज्वल भविष्य” को आकार देने में आरएसएस और उसके स्वयंसेवकों की भूमिका को रेखांकित करेंगे। उन्होंने यहां आरएसएस कार्यालय केशव कुंज में प्रेसवार्ता में कहा कि 26 से 28 अगस्त तक यहां विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का विषय 'आरएसएस की 100 वर्ष की यात्रा: नए क्षितिज' है। उन्होंने कहा कि व्याख्यानमाला के पहले दो दिनों में, सरसंघचालक मोहन भागवत भारत के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण और भारत के उज्ज्वल भविष्य को आकार देने में स्वयंसेवकों (आरएसएस स्वयंसेवकों) की भूमिका सामने रखेंगे। उन्होंने बताया कि तीसरे दिन आरएसएस प्रमुख प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देंगे। -
नयी दिल्ली/ उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने ऊंचाई पर स्थित गांवों में भारी तबाही मचाई है। आइए विस्तार से जानें कि बादल फटने का क्या मतलब है। भारतीय हिमालयीय क्षेत्र में सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में शामिल बादल फटने की घटनाओं में बेहद कम समय में सीमित इलाके में भारी मात्रा में बारिश होती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, बादल फटने की घटना से आशय 20 से 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेज हवाओं और आकाशीय बिजली चमकने के बीच 100 मिलीमीटर प्रति घंटे से अधिक की दर से बारिश होने से है। हालांकि, 2023 में जारी एक शोध पत्र में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जम्मू और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) रुड़की के शोधकर्ताओं ने बादल फटने की घटना को “एक छोटी-सी अवधि में 100-250 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से अचानक होने वाली बारिश के रूप में परिभाषित किया है, जो एक वर्ग किलोमीटर के छोटे-से दायरे में दर्ज की जाती है।” इस शोधपत्र को ‘इंटरनेशल हैंडबुक ऑफ डिजास्टर रिसर्च' में प्रकाशित किया गया है।
भारतीय हिमालयी क्षेत्र को असामान्य और चरम मौसमी घटनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील माना जाता है, जिनमें बादल फटना, अत्यधिक वर्षा, अचानक आई बाढ़ और हिमस्खलन शामिल हैं। कहा जाता है कि जलवायु परिवर्तन के तीव्र होने के साथ ही इन आपदाओं का खतरा बढ़ता जाता है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के जिलों सहित इस पूरे क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा की घटनाएं आमतौर पर मानसून के मौसम में दर्ज की जाती हैं। अत्यधिक बारिश से बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान तो होता ही है, साथ ही अचानक बाढ़ आने, भूस्खलन की घटनाएं घटने, यातायात बाधित होने और संपर्क टूटने का जोखिम बढ़ जाता है। आईआईटी जम्मू और एनआईएच रुड़की के शोधपत्र में कहा गया है कि समुद्र तल से 1,000 से 2,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जगहों पर (जिनमें मुख्यत: हिमालय की घनी आबादी वाली घाटियां शामिल हैं) चरम मौसमी घटनाएं काफी आम हैं। उत्तरकाशी समुद्र तल से लगभग 1,160 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शोधपत्र के अनुसार, उत्तराखंड में भारतीय हिमालयी क्षेत्र के अन्य हिस्सों की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्रफल में बादल फटने की घटनाएं “बहुत अधिक” होती हैं। इसमें कहा गया है कि बादल फटने की हालिया घटनाएं ज्यादा घातक पाई गई हैं और इन्होंने अधिक लोगों को प्रभावित किया है। गत 26 जुलाई को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में भारी बारिश हुई, जिससे पहाड़ी से पत्थर एवं चट्टानें गिरने लगीं और केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग अवरुद्ध हो गया। यात्रा मार्ग पर फंसे 1,600 से अधिक चारधाम यात्रियों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया।
इससे पहले, उत्तराखंड में बड़कोट-यमुनोत्री मार्ग पर सिलाई बैंड में 29 जून को अचानक बादल फटने से एक निर्माणाधीन होटल क्षतिग्रस्त हो गया और आठ से नौ श्रमिक लापता हो गए। शोधकर्ता बादल फटने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक संगठनों से ठोस नीतियों, योजनाओं और बेहतर प्रबंधन की मांग कर रहे हैं। - नई दिल्ली/पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है। वह जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे। छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले सत्यपाल मलिक समाजवादी विचारधारा से निकले नेता थे। एक सांसद से लेकर गवर्नर तक का सफर तय करने वाले सत्यपाल मलिक आखिरी कुछ सालों में भाजपा से जुड़े थे और कई राज्यों में गवर्नर के तौर पर सेवाएं दीं। सत्यपाल मलिक के एक्स अकाउंट से भी उनकी मौत की जानकारी दी गई।
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नई दिल्ली। फिलीपींस के राष्ट्रपति आर. मार्कोस जूनियर पांच दिवसीय यात्रा पर भारत आए हुए हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में उनका स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने स्वागत की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट की। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में फिलीपींस के राष्ट्रपति आर. मार्कोस का गर्मजोशी से स्वागत किया। इंडिया और फिलीपींस के साथ हमारे संबंध सभ्यतागत और ऐतिहासिक हैं।”
भारत-फिलीपींस संबंध: प्राचीन सभ्यताओं के सांस्कृतिक सेतु और ऐतिहासिक साझेदारी का उज्ज्वल अध्यायउन्होंने आगामी दिनों में फिलीपींस के साथ होने वाली चर्चाओं का भी जिक्र किया। कहा कि हमारी स्थायी मित्रता और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से चर्चाएं व्यापक होंगी। इससे पहले फिलीपींस के राष्ट्रपति का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया।फिलीपींस के राष्ट्रपति आर. मार्कोस का भारत की पहली राजकीय यात्रा पर गार्ड ऑफ ऑनर और औपचारिक स्वागत किया गयाविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “फिलीपींस के राष्ट्रपति आर. मार्कोस का भारत की पहली राजकीय यात्रा पर गार्ड ऑफ ऑनर और औपचारिक स्वागत किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में गर्मजोशी से स्वागत किया।”यह राजकीय यात्रा भारत और फिलीपींस के बीच बढ़ती साझेदारी की पुष्टि करती हैइस दौरान आर. मार्कोस ने कहा कि यह राजकीय यात्रा भारत और फिलीपींस के बीच बढ़ती साझेदारी की पुष्टि करती है। पत्रकारों से बात करते हुए, मार्कोस ने कहा, “यह यात्रा उस गठबंधन और साझेदारी की दोबारा पुष्टि है जिसे हम मजबूत कर रहे हैं। पहले हमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र कहा जाता था, अब हमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र कहा जाता है, जो राजनीति, व्यापार और अर्थव्यवस्था की वैश्विक प्रकृति के कारण उस समझ का सही विकास है।”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर फिलीपींस के राष्ट्रपति सोमवार को भारत की पांच दिवसीय राजकीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे हैंउन्होंने आगे कहा, “हम यहां (भारत और फिलीपींस) जो पहले से मौजूद है, उसे और बेहतर बनाने के लिए और निश्चित रूप से उन अनेक अवसरों का लाभ उठाने के लिए आए हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में नई तकनीकों और वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा हमारे आसपास की भू-राजनीति में बदलती स्थिति के कारण उत्पन्न हुए हैं।” उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर फिलीपींस के राष्ट्रपति सोमवार को भारत की पांच दिवसीय राजकीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे हैं। - सिंगापुर. भारतीय नौसेना और सिंगापुर गणराज्य नौसेना (आरएसएन) ने 28 जुलाई से एक अगस्त तक वार्षिक सिंगापुर-भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास (सिमबेक्स) किया। रक्षा मंत्रालय ने यहां बताया कि अभ्यास के तहत इस वर्ष पहले आरएसएस सिंगापुर-चांगी नौसैनिक अड्डे पर तटीय चरण और उसके बाद दक्षिण चीन सागर के दक्षिणी छोर पर समुद्री चरण का आयोजन किया गया। उसने बताया कि समुद्री चरण में दोनों नौसेनाओं के पोत और सिंगापुर गणराज्य वायु सेना (आरएसएएफ) के विमान शामिल हुए। आरएसएन ने ‘फोर्मिडेबल' (दुर्जेय) श्रेणी के फ्रिगेट ‘आरएसएस सुप्रीम' और ‘विक्ट्री' (विजयी) श्रेणी के मिसाइल युद्धपोत ‘आरएसएस विजिलेंस' (एमवी मेंटर) को तैनात किया। भारतीय नौसेना ने शिवालिक श्रेणी के फ्रिगेट आईएनएस सतपुड़ा के साथ अभ्यास में भाग लिया। आरएसएएफ के एक एस70बी नौसैनिक हेलीकॉप्टर, दो फोकर-50 समुद्री गश्ती विमान और दो एफ-15एसजी लड़ाकू विमान भी इस अभ्यास में शामिल हुए। सिम्बेक्स 2025 का सफल आयोजन भारतीय नौसेना और आरएसएन के बीच स्थायी साझेदारी को रेखांकित करता है।आरएसएस के कमांडिंग ऑफिसर सुप्रीम लेफ्टिनेंट कर्नल आरोन कोह ने कहा, ‘‘सिम्बेक्स सिंगापुर गणराज्य की नौसेना और भारतीय नौसेना के बीच दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण है। यह अभ्यास अभियानगत दक्षताओं को निखारने, आपसी समझ बढ़ाने और लोगों के बीच स्थायी संबंध बनाने की दिशा में नौसैन्य कर्मियों की पीढ़ियों के लिए एक मूल्यवान मंच के रूप में वर्षों से कार्य करता रहा है।'' सिम्बेक्स का पहली बार 1994 में आयोजन किया गया था। इस साल यह इस अभ्यास का 32वां संस्करण था। यह आरएसएन के सबसे लंबे समय से जारी द्विपक्षीय समुद्री अभ्यासों में से एक है और भारत द्वारा किसी अन्य देश के साथ किया जाने वाला सबसे लंबा निरंतर द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है।
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नयी दिल्ली. भारत ने वर्ष 2025-26 के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को ‘प्राचीन बौद्ध स्थल, सारनाथ' शीर्षक से एक दस्तावेज प्रस्तुत किया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उनसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए प्रस्तावित नए धरोहर स्थलों की संख्या और इस प्रक्रिया के लिए निर्धारित समय-सीमा का विवरण पूछा गया था। मंत्री ने अपने उत्तर में कहा, ‘‘इस वर्ष, 2025-26 के लिए ‘प्राचीन बौद्ध स्थल, सारनाथ' शीर्षक से नामांकन दस्तावेज विश्व धरोहर केंद्र को प्रस्तुत किया गया है। परिचालन दिशानिर्देश, 2024 के अनुसार, किसी भी वार्षिक नामांकन चक्र में केवल एक ही संपत्ति को शिलालेख प्रक्रिया के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।'' परिचालन दिशानिर्देश, 2024 में निर्धारित अभिलेखीकरण प्रक्रिया के बाद, नामांकन प्रक्रिया में दस्तावेज जमा करने की तिथि से लगभग डेढ़ वर्ष का समय लगता है।
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नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को सभी नागरिकों से स्वतंत्रता दिवस से पहले अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने और ‘हर घर तिरंगा' अभियान के तहत एक निर्दिष्ट पोर्टल पर तिरंगे के साथ सेल्फी अपलोड करने की अपील की। शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘हर घर तिरंगा' अभियान ने देश के लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि यह अभियान अब हर व्यक्ति से जुड़ गया है और इस अभियान के माध्यम से प्रत्येक नागरिक में देशभक्ति और राष्ट्र प्रेम की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी नागरिकों, विशेषकर युवाओं से अपील करता हूं कि वे अपने घरों पर तिरंगा फहराएं और तिरंगे के साथ सेल्फी ‘हरघरतिरंगा डॉट कॉम' पर अपलोड करें।'' ‘हर घर तिरंगा' अभियान की शुरुआत ‘आजादी का अमृत महोत्सव' के तत्वावधान में हुई थी जिसके तहत लोगों को राष्ट्रीय ध्वज घर लाने और भारत की स्वतंत्रता के उपलक्ष्य में इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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नयी दिल्ली. दक्षिण कोरियाई अभिनेता सॉन्ग यंग-क्यू रविवार को एक वाहन के अंदर मृत मिले। वह ‘बिग बेट', ‘ह्वारांग' और ‘हॉट स्टोव लीग' जैसी लोकप्रिय कोरियाई फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे। स्थानीय समाचार वेबसाइट कोरियाबू के अनुसार, अभिनेता (55) रविवार को ग्योंगगी प्रांत के योंगिन स्थित एक टाउनहाउस परिसर में एक कार में मृत मिले। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उनकी मृत्यु का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। सॉन्ग के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं।
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नयी दिल्ली. निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि एक अगस्त को बिहार की मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से किसी भी राजनीतिक दल ने दस्तावेज़ से किसी व्यक्ति का नाम शामिल करने या हटाने के लिए उससे संपर्क नहीं किया है। मसौदा सूची को लेकर एक सितंबर तक आपत्तियां और दावे दर्ज कराए जा सकते हैं। इसके तहत दल और व्यक्ति छूटे हुए पात्र नागरिकों को शामिल करने और उन लोगों को बाहर करने की मांग कर सकते हैं जिन्हें वे अयोग्य मानते हैं। निर्वाचन आयोग ने कहा कि एक अगस्त को दोपहर तीन बजे से 4 अगस्त (सोमवार) को दोपहर बाद 3 बजे के बीच, दलों द्वारा नियुक्त किसी भी बूथ-स्तरीय एजेंट ने दावे और आपत्ति प्रक्रिया में चुनाव अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है। आयोग के एक बुलेटिन में कहा गया है कि अब तक 1,927 व्यक्तियों ने नाम शामिल करने या हटाने के लिए उससे संपर्क किया है। यह मसौदा सूची आयोग द्वारा जारी बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का हिस्सा है, जिसका विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का दावा है कि इस प्रक्रिया से करोड़ों पात्र नागरिकों को दस्तावेजों के अभाव में मतदान के अधिकार से वंचित होना पड़ सकता है। आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से बाहर नहीं रहेगा। बिहार की अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
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श्रीनगर. अमरनाथ यात्रा का अंतिम चरण सोमवार को शुरू हो गया। महंत दीपेंद्र गिरि ने भगवान शिव की पवित्र छड़ी 'छड़ी मुबारक' को दशनामी अखाड़ा मंदिर से दक्षिण कश्मीर हिमालय में स्थित गुफा मंदिर की यात्रा के रवाना किया। छड़ी मुबारक के संरक्षक महंत गिरि ने कई साधुओं के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह यहां बुद्धशाह चौक स्थित दशनामी अखाड़ा मंदिर से पवित्र छड़ी यात्रा निकाली। उन्होंने कहा, ‘‘पवित्र छड़ी यात्रा आज रात पहलगाम पहुंचेगी और वहां दो रात रुकेगी। इसके बाद छह अगस्त को चंदनवाड़ी, सात अगस्त को शेषनाग और आठ अगस्त को पंजतरणी में रात्रि विश्राम किया जाएगा। इसके बाद नौ अगस्त को पवित्र गुफा पहुंचेगी, जो शास्त्रों के अनुसार यात्रा का समापन होगा।'' श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने महीने भर जारी रहने वाली इस यात्रा को निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले शनिवार को ही समाप्त कर दिया। बोर्ड ने कहा कि हाल ही में भारी बारिश के कारण पवित्र गुफा तक जाने वाले क्षतिग्रस्त हुए मार्गों की मरम्मत की आवश्यकता है। इस वर्ष 4.13 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने अमरनाथ यात्रा की। गिरि ने इस वर्ष आने वाले तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या पर संतोष व्यक्त किया, लेकिन प्राधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया कि तीर्थयात्री श्रावण पूर्णिमा तक यात्रा कर सकें, जो हर साल रक्षा बंधन के दिन होती है।
- वाराणसी/संभल/लखनऊ (उप्र)। श्रावण मास के चौथे और अंतिम सोमवार को लखनऊ, वाराणसी, संभल और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई और ‘‘हर हर महादेव'', ‘‘बम बम भोले'' के जयकारे गूंजते रहे। वाराणसी में, हजारों श्रद्धालु सुबह से ही श्री काशी विश्वनाथ धाम में पूजा-अर्चना के लिए कतारों में खड़े दिखे। मंदिर प्रशासन के अनुसार, भगवान शिव की मूर्ति को रुद्राक्ष से सजाया गया था, जिससे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और उन्होंने इस दिव्य श्रृंगार को देखकर अपार प्रसन्नता व्यक्त की। वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी ने मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। मंदिर ट्रस्ट ने कहा कि सुचारू और सुरक्षित दर्शन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है, जिसमें पेयजल काउंटर, चिकित्सा सहायता डेस्क, खोया-पाया केंद्र और सुरक्षा चौकियां शामिल हैं। संभल से प्राप्त जानकारी के अनुसार, संभल में रुक-रुक कर हो रही बारिश के बावजूद, श्रद्धालुओं ने प्रमुख शिव मंदिरों में बड़े उत्साह के साथ जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया। चंदौसी स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर, बहजोई स्थित सआदत बड़ी पातालेश्वर और 46 वर्षों के बाद श्रद्धालुओं के लिए खुले कार्तिकेय महादेव मंदिर सहित कई मंदिरों में श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ देखी गई। राजघाट, नरौरा, हरिद्वार और बृजघाट से गंगाजल लेकर आए हजारों कांवड़ियों ने स्थानीय मंदिरों में जलाभिषेक किया। श्रावण मास के अंतिम सोमवार के लिए मंदिरों की ओर जाते श्रद्धालुओं के जयघोष से जिले भर की सड़कें गूंज उठीं। भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। स्थानीय निवासी मनोज गुप्ता ने बताया कि उन्होंने चामुंडा मंदिर में रुद्राभिषेक किया।चंदौसी में बूंदाबांदी के बावजूद सुबह की प्रार्थना में शामिल हुए एक अन्य श्रद्धालु भुवनेश कुमार वार्ष्णेय ने कहा, ‘‘बारिश भी हमारे उत्साह को कम नहीं कर सकी।'' लखनऊ में मनकेश्वर मंदिर में भारी भीड़ थी, जहां बारिश के बीच भी श्रद्धालु दर्शन के लिए कतार में खड़े दिखे।
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नई दिल्ली।‘ देश भर में स्वतंत्रता दिवस को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर एक अहम संदेश दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस अभियान ने देशवासियों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर घर तिरंगा अभियान की जो पहल की गई थी, उसने देशवासियों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैअमित शाह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर घर तिरंगा अभियान की जो पहल की गई थी, उसने देशवासियों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज यह अभियान जन-जन से जुड़ चुका है। प्रत्येक देशवासी में राष्ट्र प्रेम और देशभक्ति की भावना इस अभियान के माध्यम से साफ दिखाई दे रही है।”गृह मंत्री ने विशेष रूप से युवाओं से आग्रह किया कि वे इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाएंगृह मंत्री ने विशेष रूप से युवाओं से आग्रह किया कि वे इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाएं। उन्होंने आगे कहा कि मैं सभी देशवासियों, विशेष रूप से युवाओं से अपील करता हूं कि वे अपने घरों पर तिरंगा फहराएं और तिरंगे के साथ सेल्फी लेकर आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करें।”सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी सोमवार को लोगों से हर घर तिरंगा’ अभियान से जुड़ने की अपील कीसूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी सोमवार को लोगों से हर घर तिरंगा’ अभियान से जुड़ने की अपील की। मंत्रालय ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, “15 अगस्त तक गर्व से जुड़ें ‘हर घर तिरंगा’ अभियान से!” मंत्रालय ने आगे कहा कि अपने घर पर तिरंगा फहराएं और आधिकारिक वेबसाइट पर सेल्फी अपलोड करें।”प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरुआत आजादी का अमृत महोत्सव के तहत की थीप्रधानमंत्री मोदी ने 2022 ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरुआत आजादी का अमृत महोत्सव के तहत की थी। इस अभियान का उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक में राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान, राष्ट्रभक्ति और जुड़ाव की भावना को और मजबूत करना है। तब से लेकर अब तक लाखों लोग इस अभियान में जुड़ चुके हैं और अपने घरों, दुकानों, संस्थानों पर गर्व से तिरंगा फहरा रहे हैं। - गोंडा (उप्र). गोंडा जिले के इटियाथोक क्षेत्र में रविवार को एक एसयूवी के सरयू नहर में गिरने से 11 लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। इटियाथोक थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) कृष्ण गोपाल राय ने बताया कि एसयूवी सवार श्रद्धालु मोतीगंज थाना क्षेत्र के सिहागांव गांव से खरगूपुर स्थित प्रसिद्ध पृथ्वीनाथ मंदिर में पवित्र जल चढ़ाने जा रहे थे, तभी बेलवा बहुता के पास यह दुर्घटना हुई। राय ने बताया कि एसयूवी में चालक सहित 15 लोग सवार थे। वाहन का नियंत्रण खो जाने के कारण यह सड़क से उतरकर नहर में पलट गई। मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। ग्रामीणों और बचाव दल की मदद से डूबे हुए वाहन से महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित 11 शव निकाले गए। पुलिस ने बताया कि चार अन्य यात्रियों को बचाया गया जिनकी हालत गंभीर हैं, उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है। उन्होंने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और घटना की जांच शुरू कर दी गई है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लिया है और अधिकारियों को घायलों को सर्वोत्तम उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की।
- नयी दिल्ली/ समुद्री जीवविज्ञानी और पद्मश्री से सम्मानित डा. अजय कुमार सोनकर का कहना है कि मानव द्वारा विकसित सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियां भी प्रकृति की बराबरी नहीं कर सकतीं। उनके प्रयोगों से पता चलता है कि वैज्ञानिक रूप से उन्नत, लेकिन नियंत्रित वातावरण में उगाए गए सीपों को, प्राकृतिक वातावरण में उगाए गए सीपों की तुलना में जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।डॉ. सोनकर ने इस शोध के दौरान दो समूहों में समुद्री मोती उत्पादक सीपों को प्रयोगशाला में दो प्रकार के वातावरण में पाल कर यह सिद्ध कर दिखाया कि जब एक समूह को अत्याधुनिक मानव निर्मित तकनीकों से सुसज्जित किया गया और दूसरे को केवल समुद्र की प्राकृतिक गोद का वातावरण दिया गया-तो इसमें जीत प्रकृति की हुई। उन्होंने बताया कि सीपों की दो प्रजातियों: ‘पिंकटाडा मार्गेरिटीफेरा' और ‘टीरिया पेंग्विन' को अंडमान द्वीपों से लिया गया था। समुद्री जीवविज्ञानी ने मत्स्य पालन पत्रिका 'इन्फोफिश इंटरनेशनल' के मई अंक में प्रकाशित एक लेख में बताया कि एक समूह को नियंत्रित, कृत्रिम वातावरण में - वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके विकसित किया गया - तथा दूसरे समूह को प्राकृतिक समुद्री वातावरण में पाला गया। पहले समूह का वातावरण पूरी तरह से नियंत्रित वातावरण था जिसमें सटीक बायोफिल्ट्रेशन, यांत्रिक जल प्रवाह, वालन माध्यम में उगाई गई माइक्रोएल्गी (सीप का भोजन), नियंत्रित क्षारीय तत्वों की उपलब्धता और नियंत्रित तापमान तथा सीमित सूक्ष्मजीव संपर्क जैसे वातावरण को सृजित किया गया। दूसरे समूह को एक प्रारंभिक सर्जरी के उपरांत देखभाल के बाद, पूरी तरह से प्राकृतिक समुद्री लय के हवाले कर दिया गया। इस टैंक में गहराई से लिया गया अपरिष्कृत समुद्री जल निरंतर प्रवाहित किया गया। न कोई कृत्रिम फ़िल्टर, न कोई रासायनिक पोषण था। यहां केवल प्रकृति थी, जैसी वह है। पद्मश्री पुरस्कार विजेता डा. सोनकर ने बताया कि नतीजे चौंकाने वाले थे। उन्होंने पाया कि जहाँ सर्वोत्तम वैज्ञानिक देखरेख दी गई, उसमें केवल 55 प्रतिशत जीवित रहने की दर दर्ज की गई, और तैयार मोतियों में से अधिकतर विकृत, धब्बेदार और कमजोर संरचना वाले थे। वहीं प्राकृतिक समुद्र की जटिल पारिस्थितिकी में विकसित हुए सीपों का दूसरा समूह उस वातावरण में मोतियों की संरचना कर रहा था, जहाँ मूल निवासी सूक्ष्मजीव और लाभकारी फेज़ (बैक्टेरियोफेज)विद्यमान थे, उसमें 98 प्रतिशत जीवन प्रत्याशा और 119 मोती प्राप्त हुए। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत मोती उच्चतम गुणवत्ता के थे। डॉ. सोनकर ने स्पष्ट किया कि यह मात्र परिणामों का अंतर नहीं था, यह एक विचारशील उद्घाटन था। उन्होंने इसके बारे में एक ही टिप्पणी की, “कोई प्रयोगशाला, कोई कृत्रिम वातावरण, चाहे वह कितना भी उन्नत क्यों न हो, प्रकृति की समग्र बुद्धिमत्ता की बराबरी नहीं कर सकता।” सूक्ष्मजीवों और कोशकीय जीवविज्ञान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. अजय कुमार सोनकर ने कहा कि प्राकृतिक समुद्र ने एक स्व-संतुलित, रोग-प्रतिरोधक और जैविक रूप से बुद्धिमान पारिस्थितिकी प्रदान की जिसमें सूक्ष्मजीव विविधता, जीवंत शैवाल और सूक्ष्म भौतिक-रासायनिक संतुलन शामिल था। उन्होंने कहा, “जहाँ हमने फ़िल्टर किया, वहाँ प्रकृति ने विविधता जोड़ी। जहाँ हमने नियंत्रित किया, वहाँ प्रकृति ने अनुकूलित व्यवहार किया। जहाँ हमने सब कुछ साफ किया, वहाँ प्रकृति ने प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाई।” 58 वर्षीय वैज्ञानिक सोनकर ने बताया कि प्राकृतिक समुद्री जल ने एक स्व-नियमन, प्रतिरक्षा-वर्धक और जैविक रूप से बुद्धिमान पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान किया, जिसमें सूक्ष्मजीव विविधता, अदृश्य फेज, जीवित फाइटोप्लांकटन और सूक्ष्म जैव-रासायनिक संतुलन शामिल है। सोनकर ने कहा कि प्रयोगों से मिली सीख सिर्फ़ मोती उत्पादन तक ही सीमित नहीं है - ये वैश्विक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ही चुनौती देती है। जीवविज्ञानी ने कहा, "(यह खोज) हमें इस बात पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करती है कि हम प्रकृति से कितनी दूर चले गए हैं, चाहे वह मिट्टी रहित कृषि हो, प्राकृतिक संकेतों से कटे शहर हों, या स्वच्छ डिजिटल बुलबुले में पले-बढ़े बच्चे हों।" सोनकर ने 1990-91 में वारंगल स्थित काकतीय विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के राइस विश्वविद्यालय और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अलावा जापान और नीदरलैंड के अन्य संस्थानों से आनुवंशिकी, पोषण और कैंसर सहित वैज्ञानिक क्षेत्रों में ऑनलाइन ज्ञान प्राप्त किया। वह आशा करते हैं कि इस अध्ययन को केवल एक तकनीकी सफलता के रूप में नहीं बल्कि एक "दार्शनिक जागृति" के रूप में देखा जाएगा - जो हमें प्रकृति के अद्वितीय ज्ञान का सम्मान करने की याद दिलाती है, जो आज की सबसे ज़रूरी वैज्ञानिक ज़रूरत है। सोनकर ने कहा, "क्योंकि जब प्रकृति पर कोई बंधन नहीं होता, तो वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती है - और हम सभी से आगे निकल जाती है।
- नयी दिल्ली. भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक आकर्षक स्थल है और पिछले तीन साल से सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का भारत की अर्थव्यवस्था को ‘मृत' बताना ‘बिल्कुल गलत' है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक एन आर भानुमूर्ति ने रविवार को यह कहा। उन्होंने बताया कि दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के उलट, भारतीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक घरेलू कारकों पर आधारित है। विशाल घरेलू बाजार और बढ़ते डिजिटल बाजार के साथ, अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के कारण वृद्धि के मोर्चे पर जोखिम सीमित है। उल्लेखनीय है कि भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क और रूस के साथ व्यापार करने को लेकर ‘जुर्माना' लगाने की घोषणा के बाद ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक सोशल मीडिया मंच पर लिखा, ‘‘मुझे परवाह नहीं है कि भारत, रूस के साथ क्या करता है। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अपनी ‘मृत अर्थव्यवस्थाओं' को एक साथ कैसे नीचे ले जा सकते हैं।'' भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान बिल्कुल गलत है। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था को देखें, तो भारत निश्चित रूप से संकटग्रस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक 'आकर्षक स्थल' है। पिछले तीन वर्षों से भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी मुद्रास्फीति दर तीन प्रतिशत से भी कम है। अन्य सभी मानदंड जैसे चालू खाता घाटा (कैड), सार्वजनिक ऋण, विदेशी मुद्रा भंडार, सभी एक मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत दे रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘अत्यधिक गरीबी लगभग समाप्त हो जाने के साथ, हम जल्द ही चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। इसी तरह, आप जिस भी आर्थिक मानदंड पर नजर डालें, भारत कमजोर स्थिति में नहीं नजर आता है।'' आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर छह साल के निचले स्तर 2.10 प्रतिशत रही। यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर (चार प्रतिशत) से कम है। वहीं चालू खाते का घाटा बीते वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी का 0.6 प्रतिशत रहा। इसी प्रकार, 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.70 अरब डॉलर बढ़कर 698.19 अरब डॉलर पहुंच गया। प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के उलट, भारतीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक घरेलू कारकों पर आधारित है। विशाल घरेलू बाजार और बढ़ते डिजिटल बाजार के साथ, अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के कारण वृद्धि के मोर्चे पर जोखिम सीमित है। इसके अलावा, चूंकि निवेश का एक बड़ा हिस्सा घरेलू बचत (चालू खाता घाटा एक प्रतिशत से भी कम) से समर्थित है, इसलिए वैश्विक जोखिम का प्रभाव सीमित है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालाकि, हमें अपने बढ़ते युवाओं के लिए अधिक रोजगार सृजित करने के लिए विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।'' यह पूछे जाने पर कि क्या हमारी अर्थव्यवस्था शुल्क संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत है, भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘वैश्वीकृत दुनिया में, किसी अर्थव्यवस्था की मजबूती केवल घरेलू कारकों पर ही निर्भर नहीं करती, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि हमारे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ वैश्विक संबंध कितने मजबूत हैं। कोई भी देश अलग होने का जोखिम नहीं उठा सकता। अब तक, भारत का प्रदर्शन इस मामले में शानदार रहा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादा महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था की स्थिरता है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक स्थिरता के मामले में भारत को शीर्ष पर होना चाहिए। भारत ने कई देशों के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाए हैं और वैश्विक दक्षिण की एक मजबूत आवाज भी बना है। लेकिन अगर उसे सालाना छह से सात प्रतिशत की दर से बढ़ना है, तो उसे अभी भी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर निर्भर रहना होगा। वैश्विक वृद्धि के अभाव में, हम शायद केवल पांच से छह प्रतिशत की दर से ही वृद्धि कर पाएंगे।'' अमेरिकी शुल्क के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘चूंकि अमेरिका के साथ व्यापार में भारत अधिशेष की स्थिति में है, इसलिए 25 प्रतिशत शुल्क का निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, यह विशिष्ट वस्तुओं पर निर्भर करता है और इससे निपटने के लिए एक विशिष्ट रणनीति की आवश्यकता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रोलियम और सेवाएं जैसे क्षेत्र शुल्क के दायरे में नहीं आते हैं और इन क्षेत्रों में भारत मजबूत और प्रतिस्पर्धी है। रूस से कच्चे तेल के आयात पर लगने वाले जुर्माने (वास्तव में जुर्माने की राशि के बारे में अस्पष्टता) को लेकर चिंता अधिक है और भारत इससे कैसे निपटेगा, यह एक बड़ी चुनौती है। अन्य देशों के साथ व्यापार समझौते रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकते हैं। साथ ही भारत और रूस को अन्य व्यापार समूहों के साथ रणनीतिक गठजोड़ के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। भारत पहले ही ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौता कर चुका है और यूरोपीय संघ के साथ भी घनिष्ठ संबंध रखता है। ऐसे व्यापार समझौते भारत को घरेलू हितों को बनाए रखते हुए अपने व्यापार में विविधता लाने में मदद कर सकते हैं।
- कन्नूर (केरल) . केरल के कन्नूर में पिछले पांच दशक से अपने क्लिनिक में मात्र दो रुपये में हजारों गरीब मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक ए. के. रायरू गोपाल का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण रविवार को निधन हो गया। गोपाल के परिवार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। गोपाल 80 वर्ष के थे और उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।वह अपने निवास ‘लक्ष्मी' में ही बने क्लिनिक में प्रतिदिन तड़के चार बजे से शाम चार बजे तक मरीजों का इलाज करते थे। उनके क्लिनिक में रोजाना सैकड़ों मरीज आते थे। उन्हें ‘जनता का डॉक्टर' और ‘दो रुपये वाले डॉक्टर' के नाम से जाना जाता था। गिरती सेहत के कारण उन्होंने क्लिनिक का समय सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक कर दिया था। चिकित्सक गोपाल उन मरीजों को दवाइयां भी देते थे, जिनके पास इसे खरीदने के पैसे नहीं होते थे। उम्र संबंधी समस्याओं के कारण मई 2024 में उन्हें अपना क्लिनिक बंद करना पड़ा था, जिससे इस क्षेत्र के गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। सूत्रों ने बताया कि चिकित्सक का अंतिम संस्कार दोपहर में पय्यम्बलम में किया जाएगा।केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ‘जनता का डॉक्टर' के नाम से मशहूर चिकित्सक रायरू गोपाल के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने संदेश में कहा, ‘‘आधी सदी से वह अपनी परामर्श सेवा के लिए केवल दो रुपये ही लेते रहे। लोगों की सेवा करने की उनकी इच्छा गरीब मरीजों के लिए एक बड़ी राहत थी।'
- नई दिल्ली/ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। वे 81 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांसद ली। उनके बेटे और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, 'आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं...' इसके साथ ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम लोगों ने शिबू सोरेन के निधन पर दुख जताया।शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ के नेमरा गांव में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने आदिवासी समुदाय की समस्याओं, शोषण और अन्याय को करीब से देखा। 1960 के दशक में उन्होंने आदिवासी अधिकारों और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष शुरू किया। 1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की। उनका मुख्य उद्देश्य अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चलाना था। इस आंदोलन में उन्होंने आदिवासियों के जमीन छीनने, शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई।
- नयी दिल्ली. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग इलाके में रविवार को चार से पांच हथियारबंद बदमाशों ने एक आभूषण की दुकान पर दुकान मालिक और ग्राहकों को बंधक बनाकर कथित तौर पर नकदी और आभूषण लूट लिए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह घटना दयालपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत चांद बाग की गली नंबर चार में आभूषण की एक दुकान में हुई। पुलिस ने बताया कि लूट की सूचना मिलने पर एक टीम तुरंत मौके पर भेजी गई।एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ‘‘शिकायतकर्ता सादिक (27) ने पुलिस को बताया कि जब वह एक ग्राहक से बात कर रहा था, तभी चार-पांच लोगों का एक समूह उसकी दुकान में घुस आया और अंदर से शटर गिरा दिया।'' आरोपियों ने बंदूक के बल पर उन्हें बंधक बना लिया और दुकान से तथा वहां मौजूद ग्राहकों से आभूषण और नकदी लूटकर फरार हो गए। अपराध एवं फोरेंसिक टीम के अधिकारियों सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मौका-ए-वारदात का निरीक्षण किया और साक्ष्य एकत्र किए। अधिकारी ने बताया कि इलाके के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की भी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि दयालपुर थाने में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए कई टीम तैनात की गई हैं।
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मुंबई. दुनिया के सबसे व्यस्त उपनगरीय रेल नेटवर्क में से एक पर यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पश्चिम रेलवे अगले साल के अंत तक मुंबई में अपनी सभी लोकल ट्रेन को स्वदेशी टक्कर-रोधी प्रणाली ‘कवच' से लैस करने के लिए तैयार है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। कवच ‘मेक इन इंडिया' पहल के तहत विकसित एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जिसे वर्तमान में दिल्ली-मुंबई के साथ-साथ कुछ अन्य प्रमुख मार्गों पर स्थापित किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली स्वचालित रूप से ट्रेन की गति को नियंत्रित करेगी, टकराव को रोकेगी और मानवीय त्रुटि के खतरे के बावजूद सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि एटीपी प्रणाली फिलहाल पश्चिम रेलवे द्वारा ऑनबोर्ड सुरक्षा उपकरण के रूप में उपयोग की जाने वाली सहायक चेतावनी प्रणाली (एडब्ल्यूएस) की जगह लेगी। पश्चिम रेलवे चर्चगेट-विरार-दहानू खंड पर प्रतिदिन 1400 से अधिक उपनगरीय ट्रेन सेवाएं संचालित करता है और इसके पास 110 इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स (ईएमयू) का बेड़ा है। इस खंड पर दैनिक सवारियों की संख्या 30 लाख से अधिक है। एक अधिकारी ने बताया कि इन सभी उपनगरीय लोकल ट्रेन में कार्यरत एडब्ल्यूएस में एक श्रव्य चेतावनी प्रणाली है जो चालक को आने वाले सिग्नल के बारे में सचेत करती है, साथ ही गति निगरानी और ब्रेक लगाने में सहायता जैसी अतिरिक्त सुविधाएं भी प्रदान करती है। उन्होंने कहा, ‘‘मोटरमैन के केबिन में एब्ल्यूएस पैनल में एक अलार्म, एक सतर्कता बटन और लाल, पीली या नीली बत्तियां होती हैं। अगर अलार्म बजता है, तो मोटरमैन को चार सेकंड के भीतर बटन दबाना होगा अन्यथा ब्रेक सक्रिय हो जाएंगे और ट्रेन के पूरी तरह से रुकने तक लॉक रहेंगे।'' हालांकि रेलवे अधिकारियों के अनुसार, एडब्ल्यूएस अक्सर ‘सिग्नल पास एट डेंजर' (एसपीएडी) और सिग्नल जंपिंग जैसी गंभीर सुरक्षा घटनाओं को रोकने में विफल रहता है। उन्होंने आगे कहा कि इसकी सीमित स्वचालन और मैन्युअल प्रतिक्रिया पर निर्भरता संभावित दुर्घटनाओं को रोकने में इसकी प्रभावशीलता को कम करती है। इन अधिकारियों ने कहा कि कवच मौजूदा एडबल्यूएस से बेहतर है क्योंकि इसमें टकरावों को रोकने, ट्रेन की आवाजाही का प्रबंधन करने और सिग्नल प्रणालियों का पालन सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई उन्नत सुविधाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसकी प्रमुख विशेषताओं में लाल सिग्नल के उल्लंघन की स्थिति में स्वचालित ब्रेक लगाना, मौजूदा सिग्नलिंग बुनियादी ढांचे के साथ इसकी सुसंगतता और कम दृश्यता की स्थिति में सुरक्षित संचालन के लिए ‘इन-कैब सिग्नलिंग' शामिल है। अधिकारियों ने कहा कि कवच पीछे से और आमने-सामने की टक्करों को रोकता है, गति की निरंतर निगरानी करता है और आपात स्थिति में तेज प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाता है। अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम रेलवे ने 2025 तक 2358 किलोमीटर से अधिक मार्ग पर कवच को तैनात करने की योजना बनाई है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर इसके काम करने की उम्मीद है। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने ‘ कहा, ‘‘कवच रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली में उल्लेखनीय सुधार लाएगा और यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाएगा। कवच की तैनाती से न केवल ट्रेन सेवा में सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि दक्षता में भी सुधार होगा।
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भुवनेश्वर। ओडिशा में पुरी जिले के बायाबरा गांव में रविवार को सन्नाटा पसरा रहा, जहां की निवासी 15 साल की लड़की ने दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पुरी जिले में भार्गवी नदी के तट पर 19 जुलाई की सुबह तीन अज्ञात लोगों ने उक्त लड़की का कथित तौर पर अपहरण कर लिया था और उसे आग लगा दी थी। इस घटना में वह 70 प्रतिशत से अधिक झुलस गई थी। लड़की की मौत के बाद उसके गांव में सन्नाटा पसरा नजर आया और लोग अपने घरों के अंदर ही रहे।
बलांगा थाने की सीमा के अंतर्गत बायाबरा गांव में लड़की के घर के पास पुलिसकर्मी पहरा दे रहे हैं क्योंकि उसके परिवार के अधिकतर सदस्य संभवतः दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं, जहां शव का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। वहीं, एक पड़ोसी ने बताया कि लड़की की मां और उसकी चाची भी शनिवार से लापता हैं जबकि वे अभी तक नुआगोपालपुर बस्ती स्थित घर पर मौजूद थीं। पड़ोसी ने कहा कि लड़की की मौत हो जाने से क्षेत्र का हर व्यक्ति स्तब्ध है और किसी के पास बोलने के लिए शब्द नहीं है। समुदाय के कुछ लोग गांव के पास एक गड्ढा खोदते हुए नजर आए। वे उम्मीद जता रहे हैं कि पारंपरिक प्रक्रिया के तहत लड़की के शव को यहीं दफनाया जाएगा। पुलिस के एक कर्मी ने स्थानीय समाचार चैनल से कहा, “हम गांव और लोगों की आवाजाही पर नज़र रख रहे हैं। सब कुछ शांत है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।” ग्रामीण दुखीश्याम सेनापति ने भी अपने घर के दरवाजे बंद रखे तथा वह मीडियाकर्मियों सहित किसी से भी बात नहीं कर रहे। उन्होंने ही सबसे पहले लड़की के शरीर से आग बुझाने का प्रयास किया था। जब 19 जुलाई की सुबह लड़की मदद की गुहार लगा रही थी तो सबसे पहले दुखीश्याम सेनापति ही उसकी मदद के लिए आगे आए थे। इस बीच, लड़की के पिता ने एक वीडियो में कहा, “मैं यह कहना चाहता हूं कि सरकार ने मेरी बेटी के लिए जो भी संभव था, वह किया है। मेरी बेटी अब नहीं रही। मेरी बेटी ने मानसिक दबाव के कारण अपनी जान ले ली। इसलिए, मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि इस मामले का राजनीतिकरण न करें और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।” शनिवार को लड़की की मौत होने के कुछ घंटे बाद ओडिशा पुलिस ने दावा किया था कि घटना में कोई अन्य व्यक्ति शामिल नहीं था। हालांकि, लड़की की मां ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि तीन अज्ञात बदमाशों ने उनकी बेटी को आग के हवाले कर दिया था। हालांकि, पुलिस ने यह स्पष्ट नहीं किया कि लड़की को आग कैसे लगी।
पुलिस ने पिछले 15 दिन में तीन बार लड़की का बयान दर्ज किया। पुलिस ने दावा किया कि उसने पूरी ईमानदारी से जांच की है तथा यह अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। इसने कहा कि अब तक की गई जांच के अनुसार यह स्पष्ट है कि इसमें कोई अन्य व्यक्ति शामिल नहीं है।
पुलिस ने सभी से अनुरोध किया कि इस दुखद क्षण में इस मामले पर कोई भी संवेदनशील टिप्पणी न करें।
बलांगा क्षेत्र में लड़की के अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं।
इस बीच, पुलिस ने राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में भी सुरक्षा कड़ी कर दी है और मुख्यमंत्री मोहन माझी के आवास के पास की सड़कों को बंद कर दिया गया है तथा सभी मंत्रियों के आवास के पास भी अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। -
हरिद्वार। देश के अलग-अलग स्थानों से हरिद्वार में एकत्र हुए मुल्तान समाज के लोगों ने रविवार को धूमधाम से 'मुल्तान जोत महोत्सव' कार्यक्रम मनाया तथा हर की पौड़ी पर गंगा नदी के साथ दूध की होली खेलकर उसे स्वच्छ रखने का संदेश दिया। मुल्तान समाज के हजारों लोगों ने 'मुल्तान जोत' के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली और हर की पौड़ी पर उसे गंगा को अर्पित किया। लोगों ने प्रमुख जोत के अलावा छोटी-छोटी जोतें भी प्रवाहित की जिससे हर की पौड़ी का नजारा भव्य दिखाई दे रहा था। इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने जोत महोत्सव को मानव कल्याण के लिए 115 साल पहले शुरू की गई एक शानदार परंपरा बताते हुए कहा कि गंगा की स्वच्छता का संदेश देने के साथ ही सभी के कल्याण की कामना के लिए यह अनोखा कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। मुल्तान जोत महोत्सव समिति के अध्यक्ष और दिल्ली भाजपा के पूर्व विधायक महेंद्र नागपाल ने बताया कि जोत महोत्सव मनाने और हरिद्वार में जोत लाने की परंपरा 1911 में शुरू हुई थी जब मुल्तान (अब पकिस्तान में) के रहने वाले लाला रूपचंद भाई-चारे और शांति का संदेश लेकर पैदल चलते हुए मुल्तान से हरिद्वार पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि तभी से मुल्तान समाज लालाजी की उस परंपरा को आगे बढ़ाता चला आ रहा है। दिन में दूध की होली के खेलने के बाद मुल्तान समाज के लोगों ने रात में हर की पौड़ी पर दीवाली मनाई।
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नई दिल्ली। सेमीकंडक्टर आधुनिक तकनीक के केंद्र में हैं और चिप्स की वैश्विक मांग आसमान छू रही है, लेकिन कुछ सीमित भौगोलिक क्षेत्रों में उद्योग की एकाग्रता के कारण सप्लाई चेन बहुत नाजुक बनी हुई है। इसी के साथ मैन्युफैक्चरिंग के वैश्विक विविधीकरण की स्पष्ट आवश्यकता है। भारत इस संबंध में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।
मेक इन इंडिया के तहत प्रमुख क्षेत्रों में से एक के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम), इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम जैसी पहलों ने उद्योग का समर्थन करने के लिए एक इकोसिस्टम बनाने में मदद की है। ग्लोबल सेमीकंडक्टर मार्केट 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें भारत का बाजार एक बड़ा हिस्सा है।
ई 2025 में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नोएडा और बेंगलुरु में दो अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर डिजाइन सुविधाओं का उद्घाटन किया। ये केंद्र एडवांस 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन पर केंद्रित भारत के पहले केंद्र हैं, जो देश की सेमीकंडक्टर इनोवेशन जर्नी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे।
मंत्रालय की डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना और इसके चिप्स टू स्टार्टअप (सीटूएस) कार्यक्रम के तहत सहायता प्राप्त स्टार्टअप महत्वपूर्ण रूप से तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पिछले दिनों इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अनुसार, स्मार्ट विजन, सीसीटीवी कैमरा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे एप्लीकेशन के लिए चिप्स बनाने वाली कंपनी नेत्रसेमी स्टार्टअप को सरकार की चिप डिजाइन योजना के तहत मिले सहयोग से 107 करोड़ रुपए का उद्यम पूंजीगत (वीसी) निवेश प्राप्त हुआ।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा भी इस सफलता का स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि भारत में महत्वपूर्ण डिजाइन क्षमताएं निहित हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सेमीकंडक्टर मिशन द्वारा देश में डिजाइन को सहायता दिए जाने के साथ नेत्रसेमी की सफलता दूसरे भारतीय स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करेगी।
मंत्रालय के अनुसार, 2022 में डीएलआई योजना शुरू होने के बाद से सरकार ने 22 कंपनियों की चिप डिजाइन परियोजनाओं के लिए 690 करोड़ की लागत पर 234 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता जताई
मंत्रालय के अनुसार, 2022 में डीएलआई योजना के शुभारंभ के बाद से सरकार ने 22 कंपनियों से चिप डिजाइन परियोजनाओं के लिए 234 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की प्रतिबद्धता जताई थी, जिसकी कुल परियोजना लागत 690 करोड़ रुपए थी। इन स्टार्टअप्स ने मिलकर उद्यम पूंजीगत निवेशकों से 380 करोड़ रुपए से अधिक धन जुटाया है। इसके अलावा, पांच स्टार्टअप पहले ही ग्लोबल चिप मैन्युफैक्चरर्स के साथ अपने चिप डिजाइन का निर्माण और परीक्षण कर चुके हैं। केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 72 से अधिक कंपनियों को चिप्स डिजाइन करने में सहायता के लिए एडवांस सॉफ्टवेयर टूल्स तक पहुंच प्रदान की गई है।
पिछले दिनों आईआईटी-हैदराबाद के 14वें दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि जिस तरह से हम सेमीकंडक्टर बनाने के लिए आवश्यक पूंजीगत उपकरण और सामग्री का निर्माण कर रहे हैं, उससे आने वाले वर्षों में भारत सेमीकंडक्टर का उत्पादन करने वाले शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा। भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य एक मजबूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है, जिससे भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन के लिए एक ग्लोबल हब के रूप में स्थापित किया जा सके। - भावनगर, । रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन सेवा बहुत जल्द शुरू होगी और इससे मुंबई व अहमदाबाद के बीच यात्रा का समय दो घंटे सात मिनट रह जाएगा। केंद्रीय मंत्री भावनगर टर्मिनस पर थे, जहां से उन्होंने अयोध्या एक्सप्रेस, रीवा-पुणे एक्सप्रेस और जबलपुर-रायपुर एक्सप्रेस को डिजिटल माध्यम से हरी झंडी दिखाई। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर ट्रेन सेवाओं का उद्घाटन किया। वैष्णव ने कहा, “मुंबई से अहमदाबाद के लिए पहली बुलेट ट्रेन बहुत जल्द शुरू होगी और इस परियोजना पर काम तेज गति से जारी है। इसके शुरू होने से मुंबई से अहमदाबाद तक की यात्रा में केवल दो घंटे सात मिनट लगेंगे।” मुंबई और अहमदाबाद के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन 508 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। यह मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) क्षेत्र से शुरू होगी और 320 किलोमीटर प्रति घंटे की उच्च गति से गुजरात के वापी, सूरत, आणंद, वडोदरा और अहमदाबाद को जोड़ेगी।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। इस शिष्टाचार भेंट के दौरान दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। हालांकि, इस चर्चा के बारे में अधिक जानकारी साझा नहीं की गई है। राष्ट्रपति के सोशल मीडिया हैंडल एक्स से रविवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बीच हुई मुलाकात की तस्वीर भी शेयर की गई, जिसमें वे दोनों चर्चा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी हैराष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।” पीएम मोदी और राष्ट्रपति के बीच यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है, जब भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान आगामी 9 सितंबर को कराया जाएगा। चुनाव आयोग की ओर से जारी शेड्यूल के अनुसार, 7 अगस्त को चुनाव के लिए आधिकारिक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी की जाएगी। इसके बाद इच्छुक उम्मीदवार 21 अगस्त तक अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे। नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को की जाएगी।राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट शेयर कर बैठक की तस्वीरें साझा की गई हैइससे पहले, 16 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की थी। यह मुलाकात संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले हुई थी। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट शेयर कर बैठक की तस्वीरें साझा की गई थीं।इसके अलावा, 7 मई को पीएम मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की थी और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी दी थी। इस अभियान में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया था। राष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स पोस्ट में बताया था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी दी।”(