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- कोलंबो। श्रीलंका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शासन की प्रणाली में बदलाव लाने का संकल्प जताते हुए देशवासियों से कहा कि वह राजपक्षे परिवार के नहीं बल्कि जनता के मित्र हैं। अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में मई में प्रधानमंत्री पद संभालने वाले विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। उन पर अब इस नई भूमिका में देश की अर्थव्यवस्था को संभालने, आर्थिक उथल-पथल को दूर करने और एक बंटे हुए देश को फिर से एकजुट करने का सबसे बड़ा दारोमदार है। विक्रमसिंघे 45 साल से संसद में हैं और उन्हें राजनीतिक हलकों में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है जो दूरदर्शी नीतियों से अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कर सकता है।राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद विक्रमिसंघे (73) बुधवार को कोलंबो के सबसे पुराने बौद्ध मंदिरों में से एक गंगाराम मंदिर भी गए थे। गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर चले जाने और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। वह संविधान के अनुसार संसद द्वारा निर्वाचित श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति हैं। विक्रमसिंघे की जीत से एक बार फिर स्थिति बिगड़ सकती है क्योंकि सरकार विरोधी कई प्रदर्शनकारी उन्हें पूर्ववर्ती राजपक्षे सरकार का करीबी मानते हैं। प्रदर्शनकारी देश के मौजूदा संकट के लिए राजपक्षे परिवार को जिम्मेदार ठहराते हैं। विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के तुरंत बाद सैकड़ों प्रदर्शनकारी जगह जगह एकत्रित हो गए थे।उन्होंने कहा, ‘‘मैं राजपक्षे परिवार का मित्र नहीं हूं, मैं जनता का मित्र हूं...मैंने पहले पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगे के साथ काम किया है। वह किसी और पार्टी की थीं और मैं किसी और पार्टी का हूं। मेरे लिए किसी दूसरी पार्टी के राष्ट्रपति के साथ काम करने का मतलब यह नहीं है कि मैं उनका मित्र हूं।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि वह ऐसा बदलाव लाएंगे, जो लोग चाहते हैं और यह जरूरी भी है।विक्रमसिंघे ने कहा कि वह अपनी यूनाइटेड नेशनल पार्टी को मजबूत करने के अवसर पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने नौ जुलाई को यहां प्रदर्शनकारियों के ऐतिहासिक सरकारी इमारतों में घुसने तथा तोड़फोड़ करने पर भी टिप्पणी की।उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री के कार्यालय पर जबरन कब्जा जमाना गैरकानूनी है और ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के निजी आवास को भी जला दिया था।विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘अरागालया (जन संघर्ष) व्यवस्था के खिलाफ था। सरकार गिराने, घरों को आग लगाने तथा महत्वपूर्ण कार्यालयों पर कब्जा जमाने के लिए हमें अरागालया का उपयोग कतई नहीं करना चाहिए। यह लोकतंत्र नहीं है बल्कि यह गैरकानूनी है।’ उन्होंने कहा ‘‘हमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को प्रदर्शन करने की अनुमति देनी चाहिए। हम उनसे बातचीत भी कर सकते हैं।’’
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लंदन. ऋषि सुनक ने बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ के अंतिम चरण में जगह बना ली। सुनक ने टोरी सांसदों के पांचवें और अंतिम दौर के मतदान में 137 मतों से जीत हासिल की लेकिन इससे आगे अब उनके लिए 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक जाने वाली राह कठिन है। पूर्व वित्त मंत्री सुनक (42) के लिए रास्ता इसलिए आसान दिखाई नहीं देता क्योंकि उन्हें अब टोरी सदस्यों के बीच बहुत कठिन मतदान का सामना करना पड़ेगा और इस दौर के मतदान में हाल के सर्वेक्षणों में आंकड़े उनकी प्रतिद्वंद्वी लिज़ ट्रस के पक्ष में होने की बात कही गई है। अब सुनक और ट्रस दो ही दावेदार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में बचे हैं जिनके बीच सोमवार को बीबीसी पर लाइव डिबेट होगी। सुनक ने इस महीने की शुरुआत में नेतृत्व के लिए अपनी दावेदारी पेश किए जाने के बाद से बहस और साक्षात्कार की एक श्रृंखला में कहा, "यह नेतृत्व प्रतियोगिता सिर्फ हमारी पार्टी के नेता होने से ज्यादा है, यह हमारे ब्रिटेन के संरक्षक बनने के बारे में है।" उन्होंने 1960 के दशक में पूर्वी अफ्रीका से आए अपने भारतीय परिवार की कहानी के साथ अपना प्रयास शुरू करने से लेकर व्यक्तिगत और पेशेवर के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। सुनक ने कहा, ‘‘मेरी माँ ने फार्मासिस्ट बनने के वास्ते योग्यता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की। वह मेरे पिता, एक एनएचएस (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा) जीपी से मिलीं, और वे साउथेम्प्टन में बस गए। उनकी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, लेकिन यहीं से मेरी कहानी शुरू हुई।'' उन्होंने अपने चिकित्सक पिता यशवीर और मां उषा के संदर्भ में यह बात कही। यह व्यक्तिगत कहानी हाल ही में उनके सास-ससुर - इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति तक भी विस्तारित हुई जब सुनक ने अपनी पत्नी अक्षता की पारिवारिक संपत्ति पर हमलों को लेकर पलटवार किया। उन्होंने कहा था, "मेरे ससुर के पास कुछ भी नहीं था, बस एक सपना था और कुछ सौ पाउंड थे जो मेरी सास की बचत ने उन्हें प्रदान किए। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे प्रतिष्ठित और सबसे सफल कंपनियों में से एक का निर्माण किया जो यहाँ ब्रिटेन में हजारों लोगों को रोजगार देती है। यह वास्तव में एक ऐसी कहानी है जिस पर मुझे गर्व है और प्रधानमंत्री के रूप में, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हम यहां उनकी तरह और भी कहानियां बना सकें।” धर्मनिष्ठ हिंदू के रूप में, सुनक नियमित रूप से मंदिर में जाते हैं। उनका जन्म साउथेम्प्टन में हुआ था और नवंबर 2020 में 11 डाउनिंग स्ट्रीट के अपने कार्यालय-निवास के बाहर दीपावली के दीये जलाने वाले पहले वित्त मंत्री बने। उनकी बेटियाँ, अनुष्का और कृष्णा भी भारतीय संस्कृति से जुड़ी हैं। उन्होंने हाल ही में बताया था कि कैसे अनुष्का ने पिछले महीने वेस्टमिंस्टर एब्बे में महारानी के प्लेटिनम जयंती समारोह के लिए अपने सहपाठियों के साथ कुचिपुड़ी का प्रदर्शन किया। लेकिन व्यक्तिगत जीवन से परे, उन्हें पेशेवर मोर्चे पर वित्त मंत्री के रूप में अपने विरोधियों के हमलों का सामना करना पड़ा। वह परंपरागत रूप से कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों को लुभाने के लिए कर कटौती के किसी वादे के बजाय मुद्रास्फीति पर अपना ध्यान केंद्रित करने पर दृढ़ रहे हैं। उन्होंने घोषणा की, "मैं इस संसद में कर कम कर दूंगा, लेकिन मैं इसे जिम्मेदारी से करने जा रहा हूं। मैं चुनाव जीतने के लिए कर कटौती की बात नहीं कहूंगा, मैं कर कम करने के लिए चुनाव जीतना चाहता हूं।” ब्रिटेन के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक विनचेस्टर कॉलेज से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तक उनकी स्व-निर्मित साख विद्वानों को देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद के लिए उनके नाम को सही मानने की वजह देती है। उनका राजनीतिक करियर 2015 में यॉर्कशायर में रिचमंड की एक सुरक्षित टोरी सीट जीतने के साथ शुरू हुआ था और कनिष्ठ भूमिकाओं से वह अचानक तब चांसलर ऑफ एक्सचेकर के पद पर पहुंच गए जब उनके पूर्व बॉस साजिद जाविद ने फरवरी 2020 में इस्तीफा दे दिया। पूर्व वित्त मंत्री के लिए अब राह बहुत कठिन है। प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए अब उन्हें अनुमानित तौर पर कंजर्वेटिव पार्टी के 1,60,000 मतदाताओं को अपने पक्ष में डाक मतपत्र डालने के लिए तैयार करना पड़ेगा। इस चरण में मिलने वाली सफलता उन्हें ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बना देगी। -
लंदन। ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने कंजरवेटिव पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री पद के चुनाव के चौथे दौर के मतदान में भी बढ़त बनाए रखी है। पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के उत्तराधिकारी के लिये हो रहे चुनाव के इस दौर में ऋषि सुनक 118 वोटों से आगे रहे । पूर्व रक्षा मंत्री पेनी मॉरडंट को 92, विदेश मंत्री लिज ट्रुस को 86 और सांसद केमी बेडनॉट को 59 वोट मिले। केमी बेडनॉट अब मुकाबले से बाहर हो गए हैं।
कंजरवेटिव पार्टी के सांसद आज फिर मतदान करेंगे, जिसमें सबसे कम वोट पाने वाले सांसद फिर दौड़ से बाहर हो जाएंगे।पांचवें दौर के मतदान के बाद मुकाबला देश के विभिन्न भागों में पार्टी मुख्यालयों द्वारा आयोजित होगा। कंजरवेटिव पार्टी के एक लाख 80 हजार सदस्य रन ऑफ वोट के जरिये अंतिम दो उम्मीदवारों में से विजेता को चुनेंगे। विजेता के नाम की घोषणा 5 सितंबर को की जाएगी। -
लॉस एंजिलिस (अमेरिका) .अमेरिकी अभिनेत्री, गायिका जेनिफर लोपेज और अभिनेता बेन एफ्लेक ने शादी कर ली है। दोनों ने इससे पूर्व 20 साल पहले 2002 में सगाई की थी। लोपेज ने अपनी वेबसाइट ‘ऑन द जेएलओ' पर यह जानकारी दी। लोपेज ने बताया कि उनके और एफ्लेक के बच्चों की मौजूदगी में लास वेगास के ‘लिटिल व्हाइट वेडिंग चैपल' में दोनों ने शादी की। जेनिफर लोपेज और बेन एफ्लेक ने अप्रैल में दोबारा सगाई करने की घोषणा की थी। पहली बार दोनों ने नवंबर 2002 में सगाई की थी, लेकिन 2004 की शुरुआत में दोनों अलग हो गए थे। लोपेज ने 2004 में ही जून में मार्क एंथोनी से शादी कर ली थी, दोनों 2008 में जुड़वा बच्चों के माता-पिता बने थे। अमेरिकी अभिनेता एफ्लेक ने 2005 में जेनिफर गार्नर से शादी की और दोनों के तीन बच्चे हैं। लोपेज ने लिखा कि पांच बेहतरीन बच्चों का परिवार पाकर वे दोनों बेहद खुश हैं।
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कोलंबो. चालू साल के पहले चार महीनों में भारत ने श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज दिया है। इस मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। इस साल के पहले चार माह यानी एक जनवरी से 30 अप्रैल, 2022 के बीच अभूतपूर्व राजनीतिक संकट और आर्थिक उथल-पुथल से त्रस्त द्वीपीय राष्ट्र को भारत ने 37.69 करोड़ डॉलर का ऋण दिया है। वहीं चीन ने इस अवधि में श्रीलंका को 6.77 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है। श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के अनुसार, एक जनवरी से 30 अप्रैल, 2022 की अवधि के दौरान उसे भारत से सबसे अधिक 37.69 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता मिली है। भारत के बाद एशियाई विकास बैंक (एडीबी) 35.96 करोड़ डॉलर के साथ श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़े ऋणदाता रहा है। इस अवधि में विश्व बैंक ने श्रीलंका को 6.73 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है। पहले चार माह में श्रीलंका को कुल 96.88 करोड़ डॉलर का विदेशी कर्ज मिला है। इसमें से 96.81 करोड़ डॉलर ऋण के रूप जबकि सात लाख डॉलर अनुदान के रूप में वितरित किए गए हैं। -
जकार्ता. इंडोनेशिया की राजधानी में सोमवार को एक तेल टैंकर के ब्रेक फेल होने के कारण उसकी कारों और बाइकों के साथ टक्कर हो गई। पुलिस ने बताया कि हादसे में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई जबकि अन्य कई घायल हो गए। जकार्ता पुलिस में यातायात विभाग के निदेशक लतीफ उस्मान ने बताया कि इंडोनेशिया की सरकारी ऊर्जा कंपनी ‘पेर्टामिना' का यह टैंकर ट्रक अनियंत्रित होकर दो कारों और 10 बाइकों से जा टकराया। उन्होंने बताया कि हादसा पूर्वी जकार्ता के चिबुबुर इलाके में लाल बत्ती पर हुआ। उन्होंने बताया कि अधिकारी अभी भी दुर्घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं, लेकिन प्रारंभिक जांच से ऐसा लगता है कि टैंकर ट्रक ऊंचाई से नीचे उतर रहा था उसी दौरान उसके ब्रेक फेल हो गए और अनियंत्रित होकर उसने लाल बत्ती पर खड़े वाहनों को टक्कर मार दी। उस्मान ने बताया कि कम से कम 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि छह लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिनमें से कई की हालत नाजुक बतायी जा रही है। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के बाद वहां कोई विस्फोट नहीं हुआ। हादसे में टैंकर चालक को हल्की चोटें आयी हैं। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
ऊर्जा कंपनी ‘पेर्टामिना' का कहना है कि वह पीड़ितों के इलाज में मदद कर रही है और मामले की जांच में अधिकारियों के साथ सहयोग कर रही है। पश्चिम जावा में कंपनी के प्रबंधक ने कहा, ‘‘हम दिल से माफी मांगते हैं और पीड़ितों तथा उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। - लंदन। ब्रिटेन और यूरोप महाद्वीप में ओमीक्रोन स्वरूप के तेजी से संक्रमण फैलाने वाले नये स्वरूप, बी.ए-5 के कारण कोविड संक्रमण में वृद्धि हो रही है। यूरोपीय रोग निवारण और नियंत्रण केंद्र (ईसीडीसी) के अनुसार, गहन देखभाल कक्ष में रोगियों की संख्या बढ़ रही है। केंद्र ने कोविड की एक और लहर शुरू होने की चेतावनी दी है। लंदन स्वच्छता और उष्णकटिबंधीय चिकित्सा विद्यालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर मार्टिन मैककी ने कहा है कि कोविड अब फ्लू की तरह मौसमी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोविड के वर्तमान टीके भविष्य में नये वेरिएंट का मुकाबला करने में अधिक प्रभावी होंगे।ईसीडीसी ने इस सप्ताह नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और बीमार लोगों को अब दूसरी बूस्टर खुराक पर विचार करना चाहिए। ब्रिटेन सरकार ने शुक्रवार को 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोगों के लिए कोविड की बूस्टर खुराक देने की घोषणा की थी। इंग्लैंड में कोविड संक्रमण दर बढ़ रही है, और अप्रैल के बाद से सबसे अधिक हो गई है।
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कोलंबो. श्रीलंका के नये राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शनिवार को संसद का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। श्रीलंका में राष्ट्रपति पद की दौड़ में देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा सहित कुल चार नेता शामिल हैं। श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट को लेकर व्यापक स्तर पर हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफे के कारण 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा। 13 मिनट के विशेष सत्र के दौरान संसद के महासचिव धम्मिका दसानायके ने राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पद के लिए रिक्ति की घोषणा की। राजपक्षे बुधवार को मालदीव चले गये थे और बृहस्पतिवार को वह सिंगापुर पहुंचे और शुक्रवार को उन्होंने राष्ट्रपति पद से औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया था। दसानायके ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन 19 जुलाई को दाखिल किए जाएंगे और अगर एक से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में होते हैं तो सांसद बुधवार को मतदान करेंगे। 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में राजपक्षे की सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी का वर्चस्व है। कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को आधिकारिक तौर पर समर्थन देने की घोषणा करने के बाद एसएलपीपी में आंतरिक स्तर पर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। पार्टी अध्यक्ष जीएल पेइरिस ने कहा कि एसएलपीपी को अपने सदस्य के अलावा किसी और के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को एसएलपीपी से अलग हुए नेता अलहप्परुमा का समर्थन करना चाहिए, जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है। नया राष्ट्रपति नवंबर 2024 तक राजपक्षे के शेष कार्यकाल के लिए पद पर रहेंगे।
एसएलपीपी ने आधिकारिक तौर पर विक्रमसिंघे के समर्थन की घोषणा की है। प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) 2020 के संसदीय चुनाव में बुरी तरह से हार गई थी।
राजपक्षे ने अपने त्यागपत्र में खुद का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे। सिंगापुर से संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्द्धने को भेजे गए राजपक्षे के इस त्यागपत्र को शनिवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान पढ़ा गया। संसद के सचिव धम्मिका दसानायके ने उनका त्याग पत्र पढ़ा। राजपक्षे (73) ने अपने त्यागपत्र में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के गंभीर संकट में पड़ने के लिए कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उन्होंने आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए सर्वदलीय सरकार बनाने की कोशिश करने जैसे बेहतरीन कदम उठाए। राजपक्षे ने त्यागपत्र में लिखा है, ''मैंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा।'' उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद तीन महीने के अंदर पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में आ गई। राजपक्षे ने कहा, ''मैंने उस समय पहले से ही खराब आर्थिक माहौल से विवश होने के बावजूद लोगों को महामारी से बचाने के लिए कार्रवाई की।'' उन्होंने कहा, "2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा और विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगा। मेरे विचार से, मैंने स्थिति से निपटने के लिए एक सर्वदलीय या राष्ट्रीय सरकार बनाने का सुझाव देकर सबसे अच्छा कदम उठाया।" राजपक्षे ने पत्र में कहा, "नौ जुलाई को पार्टी नेताओं की इच्छा के बारे में पता चलने के बाद मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया।" वह बुधवार को मालदीव चले गए थे और इसके बाद बृहस्पतिवार को सिंगापुर पहुंच गए। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि न तो राजपक्षे ने शरण मांगी है और न ही उन्हें शरण दी गई है तथा उन्हें ''निजी यात्रा'' के लिए प्रवेश की अनुमति दी गई। इस बीच भारत ने श्रीलंका में अभूतपूर्व राजनीतिक संकट और आर्थिक बदहाली के बीच शनिवार को उसे आश्वस्त किया कि वह देश के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक बहाली में सहयोग करता रहेगा। श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को एक मुलाकात में यह आश्वासन दिया। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब एक दिन पहले अभयवर्धने ने गोटबाया राजपक्षे का राष्ट्रपति पद से इस्तीफा मंजूर कर लिया था। भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया कि बैठक में उच्चायुक्त बागले ने ‘‘खासतौर से ऐसे अहम मोड़ पर लोकतंत्र तथा संवैधानिक ढांचे को बनाए रखने में संसद की भूमिका की सराहना की। उन्हें यह बताया कि हम श्रीलंका के लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक बहाली में सहयोग करते रहेंगे।'' गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। -
हार्डिन (अमेरिका). अमेरिका में मोंटाना राज्य के इंटरस्टेट 90 पर शुक्रवार शाम को कम से कम 20 वाहनों के आपस में टकरा जाने के कारण पांच लोगों की मौत हो गयी है। प्राधिकारियों ने बताया कि इस हादसे में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं। गर्वनर ग्रेग गियाफोर्ते ने ट्वीट किया, ‘‘मैं हार्डिन के समीप बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की खबरों से बहुत दुखी हूं। कृपया मेरे साथ पीड़ितों और उनके प्रियजनों के लिए दुआ कीजिए। हम प्रथम बचावकर्ताओं की उनकी सेवा के लिए आभारी हैं।' समाचार चैनल ‘केटीवीए' की खबरों के अनुसार, यह हादसा हार्डिन से पांच किलोमीटर दूर पश्चिम में हुआ।
मोंटाना राजमार्ग गश्ती दल के सर्जेंट जे नेल्सन ने ‘एमटीएन' न्यूज को बताया कि घटना की सूचना शाम करीब साढ़े चार बजे मिली और प्रथम बचावकर्ता 90 मिनट बाद घटनास्थल पर पहुंचे। - कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बुधवार को देश छोड़कर मालदीव चले जाने के बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। राजपक्षे देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण अपने और अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच बुधवार को देश छोड़ कर सेना के विमान से मालदीव चले गए।संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्दने ने घोषणा की कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने विदेश प्रवास के दौरान कामकाज संभालने के लिए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे की नियुक्ति की है। उन्होंने बताया कि यह संविधान के अनुच्छेद 37(1) के तहत किया गया है।
- कोलंबो। श्रीलंका में, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सेना के एक विमान से देश छोड़कर मालदीव जाने के बाद बुधवार को आपातकाल की घोषणा कर दी गई।राजपक्षे देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण अपने और अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच देश छोड़कर चले गए हैं।प्रधानमंत्री कार्यालय ने मीडिया संगठनों को सूचना दी कि देश में आपातकाल लागू किया गया है और पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू लगाया गया है।प्रधानमंत्री ने सुरक्षा बलों को उपद्रव कर रहे लोगों को गिरफ्तार करने तथा उनके वाहन जब्त करने का भी आदेश दिया है।इससे पहले पुलिस ने कोलंबो में फ्लावर स्ट्रीट पर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय के समीप एकत्रित हुए प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे।इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति राजपक्षे के देश छोड़कर मालदीव चले जाने की खबरें आने के बाद फ्लावर स्ट्रीट पर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय की ओर कूच करते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की।पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे लेकिन इसके बावजूद वे अवरोधकों को हटाकर प्रधानमंत्री के कार्यालय में घुस गए।प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पहले ही कहा है कि वह इस्तीफा देने और सर्वदलीय सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए तैयार हैं।‘कोलंबो गजट’ समाचार पोर्टल की खबर के अनुसार, प्रदर्शनकारी संसद अध्यक्ष के आवास के आसपास भी एकत्रित हो गए। स्थिति को काबू में करने के लिए सेना को तैनात किया गया है। कोलंबो में अमेरिकी दूतावास ने अगले दो दिनों के लिए एहतियात के तौर पर अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं।
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कोलंबों। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे देश छोड़कर चले गए हैं। श्रीलंका के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी के अनुसार श्री राजपक्षे और उनकी पत्नी श्रीलंकाई वायुसेना के मालवाहक जहाज से मालदीव की राजधानी माले पंहुच गये हैं। इससे पहले सोमवार को भंडारनाइके अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आव्रजन प्रक्रिया के लिए आम जनता की लाइन में लगने से इंकार करने पर श्री राजपक्षे को श्रीलंका छोड़ने से दो बार रोक दिया गया था। श्री गोताबाया राजपक्षे पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और आर्थिक कुप्रबंधन के आरोप हैं। श्री राजपक्षे की नीतियों के कारण श्रीलंका दिवालिया हो गया और स्वतंत्रता के बाद सबसे गंभीर वित्तीय संकट में फंस गया है।
कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने मीडिया की इन खबरों का आज स्पष्ट रूप से खंडन किया कि भारत ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे को देश छोड़ने में मदद की। उच्चायोग ने इन खबरों को आधारहीन और अटकलबाजी बताया है। ट्वीट में उच्चायोग ने दोहराया कि भारत श्रीलंका के लोगों का सहयोग करता रहेगा क्योंकि वे लोकतांत्रिक माध्यमों से प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं। - संयुक्त राष्ट्र। भारत के अगले साल दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकल जाने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई है।संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रखंड के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा ‘विश्व जनसंख्या संभावना 2022’ में कहा गया कि वैश्विक जनसंख्या 15 नवंबर, 2022 को आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है।वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद से सबसे धीमी गति से बढ़ रही है, और 2020 में यह एक प्रतिशत से कम हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अनुमानों से पता चलता है कि दुनिया की जनसंख्या 2030 में लगभग 8.5 अरब और 2050 में 9.7 अरब तक बढ़ सकती है।अनुमान के मुताबिक इसके 2080 के दौरान लगभग 10.4 अरब लोगों की आबादी के साथ ही शिखर पर पहुंचने और वर्ष 2100 तक उसी स्तर पर बने रहने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने कहा, “इस वर्ष का विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) एक ऐसे वर्ष के दौरान आता है, जब हम पृथ्वी के आठ अरबवें निवासी के जन्म की उम्मीद कर रहे हैं। यह हमारी विविधता का जश्न मनाने, हमारी समान मानवता को पहचानने और स्वास्थ्य में प्रगति पर आश्चर्य करने का अवसर है जिसने जीवन प्रत्याशा को बढ़ाया है और नाटकीय रूप से मातृ एवं बाल मृत्यु दर में कमी आई है।”उन्होंने कहा, “इसके साथ ही, यह हमारे ग्रह की देखभाल करने के लिए हमारी साझा जिम्मेदारी की याद दिलाता है और यह प्रतिबिंबित करने का भी वक्त है कि हम अब भी एक दूसरे के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से कहां चूकते हैं।” रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत के 2023 के दौरान दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान है।”इसके मुताबिक, 2022 में दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया थे, जहां 2.3 अरब लोग रह रहे हैं, जो वैश्विक आबादी के 29 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, मध्य और दक्षिणी एशिया की आबादी 2.1 अरब है जो कुल वैश्विक जनसंख्या के 26 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करती है।चीन और भारत इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं। इन दोनों देशों की आबादी 2022 में 1.4 अरब से अधिक है।वैश्विक जनसंख्या में 2050 तक अनुमानित वृद्धि की आधे से अधिक आबादी सिर्फ आठ देशों डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया में केंद्रित होगी।रिपोर्ट, “दुनिया के सबसे बड़े देशों में असमान जनसंख्या वृद्धि दर आकार के अनुसार उनकी रैंकिंग को बदल देगी। उदाहरण के लिए, भारत के 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान है।”रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत की आबादी 1.412 अरब है, जबकि चीन की आबादी 1.426 अरब है। भारत 2023 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पछाड़ देगा, और उसकी आबादी अनुमान के मुताबिक 2050 में 1.668 अरब होगी, जो सदी के मध्य तक चीन की अनुमानित 1.317 अरब आबादी से बहुत आगे है।रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया कि दस देशों से 2010 और 2021 के बीच 10 लाख से अधिक लोग बाहर गए। इनमें पाकिस्तान (2010-21 के बीच एक करोड़ 65 लाख लोग), भारत (35 लाख लोग), बांग्लादेश (29 लाख लोग), नेपाल (16 लाख लोग) और श्रीलंका (10 लाख लोग) शामिल हैं।
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कोलंबों । श्रीलंका में मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्ष के इस्तीफे के बाद सर्वदलीय अंतरिम सरकार बनाने पर सहमत हो गए हैं। राष्ट्रपति ने बुधवार को त्यागपत्र देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रम सिंघे ने भी इस्तीफा देने की पेशकश की है। विपक्षी दलों ने कल बैठक में देश को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने और आगे ले जाने के उपायों पर व्यापक विचार-विमर्श किया।
इस बीच, देश के प्रमुख प्रशासनिक प्रतिष्ठान पर कब्जा करने वाले प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि राष्ट्रपति के इस्तीफे तक वे नहीं हटेंगे।प्रदर्शनकारी शनिवार को राष्ट्रपति के सरकारी आवास में घुस गए थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री विक्रम सिंघे के निजी आवास को आग लगा दी थी।भारत ने श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस वर्ष तीन अरब अस्सी करोड़ डॉलर की अभूतपूर्व सहायता दी है। श्रीलंका की स्थिति में बारे में मीडिया के प्रश्नों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिन्दम बागची ने कहा कि भारत घटनाक्रमों पर नजर रख रहा है और वहां के लोगों की लोकतांत्रिक माध्यम से समृद्धि और प्रगति की आकांक्षाओं के साथ है। श्री बागची ने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के पारपंरिक गहरे संबंध हैं और भारत इस कठिन चुनौती से निपटने में श्रीलंका के साथ है। - कोलंबो । भारत ने भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को ऋण सुविधा के तहत 44,000 टन से अधिक यूरिया मुहैया कराया है। भारतीय उच्चायोग ने यहां बताया कि श्रीलंका के किसानों को समर्थन और खाद्य सुरक्षा के लिए द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए जारी प्रयासों की तहत यह मदद दी गई है।श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा से मुलाकात कर उन्हें 44,000 टन से अधिक यूरिया आने की जानकारी दी।भारतीय उच्चायोग ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘उच्चायुक्त ने श्रीलंका के कृषि मंत्री से मुलाकात की और उन्हें भारत की तरफ से श्रीलंका को दी गई ऋण सुविधा के तहत आपूर्ति किए गए 44,000 टन से अधिक यूरिया के बारे में बताया।’’ उच्चायुक्त ने जोर देकर कहा कि भारत की तरफ से यह सहायता श्रीलंका के किसानों समेत लोगों का समर्थन करने और देश के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
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काठमांडू.। नेपाल ने पहली बार भारत को सीमेंट का निर्यात शुरू किया है और 3,000 बोरियों की पहली खेप उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे एक चेक पोस्ट के जरिए भारत में आ चुकी है। नेपाल के नवलपरासी जिले में पल्पा सीमेंट इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को इतिहास में पहली बार सुनौली सीमा से सीमेंट की पहली खेप भारत भेजी है। सरकार द्वारा बजट में सीमेंट निर्यात के लिए आठ प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने के बाद नेपाल के उद्योगपति भारत को सीमेंट निर्यात करने को लेकर उत्साहित हैं। पल्पा इंडस्ट्रीज के जनसंपर्क प्रबंधक, जीवन निरौला के अनुसार, नवलपरासी संयंत्र में प्रतिदिन 1,800 टन क्लिंकर और 3,000 टन सीमेंट का उत्पादन करने की क्षमता है। पल्पा सीमेंट इंडस्ट्रीज लिमिटेड के बैनर तले तानसेन ब्रांड सीमेंट का उत्पादन करने वाली पल्पा ने गुणवत्ता मानकों की जांच सहित सभी सरकारी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद भारत को सीमेंट का निर्यात शुरू किया। नवीनतम घटनाक्रम ने नेपाल में काम कर रही पांच अन्य सीमेंट कंपनियों को अपने उत्पादों को भारत में निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित किया है। नेपाल सीमेंट प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अनुसार, इस हिमालयी राष्ट्र में 150 अरब नेपाली मुद्रा के सीमेंट निर्यात की क्षमता है। नेपाल के सीमेंट उद्योग अपनी विशाल क्षमता के बावजूद बाजार की कमी के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पल्पा इंडस्ट्रीज लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक शेखर अग्रवाल ने कहा कि भारत को सीमेंट के निर्यात से नेपाली उत्पाद अब अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। नवलपरासी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष केशव भंडारी ने कहा कि सरकारी अनुदान के साथ भारत को सीमेंट का निर्यात देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
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नई दिल्ली। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कल जर्मनी, भारत, चेक गणराज्य, नॉर्वे और हंगरी में नियुक्त अपने राजदूतों को हटाये जाने की घोषणा की। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इन राजदूतों को नई जिम्मेदारी दी जाएगी या नहीं। इस फैसले का कोई कारण भी नहीं बताया गया है।
जर्मनी में बनी टर्बाइन की मरम्मत इस समय कनाडा में की जा रही है, जिसे लेकर यूक्रेन और जर्मनी के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। जर्मनी चाहता है कि रूस की प्राकृतिक गैस कंपनी गाज़प्रोम को कनाडा यह टर्बाइन दे दे ताकि यूरोप में गैस भेजी जा सके। इस बीच जेलेंस्की ने अपने राजदूतों से यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सैन्य सहायता जुटाने का आग्रह किया है ताकि 24 फरवरी से जारी रूस की सैन्य कार्रवाई से बचाव किया जा सके। -
कोलंबों । श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्ष ने त्यागपत्र देने की घोषणा की है। आर्थिक कुप्रबंधन के मुद्दे पर महीनों से जारी प्रदर्शनों के बाद लाखों लोग श्री राजपक्ष से त्यागपत्र की मांग करते हुए राजधानी कोलंबो में एकत्र हुए। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के सरकारी निवास में घुस गए और देर रात प्रधानमंत्री आवास में आग लगा दी। उस समय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति वहां मौजूद नहीं थे।
श्री राजपक्ष 13 जुलाई को त्यागपत्र देंगे। प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे भी त्यागपत्र देने के लिए तैयार हो गए हैं। संसद अध्यक्ष महिंदा अभयवर्धने ने कहा कि राष्ट्रपति ने सत्ता का शांतिपूर्ण अंतरण सुनिश्चित करने के लिए त्यागपत्र देने का फैसला किया है। उन्होंने लोगों से कानून का सम्मान करने और शांति बनाये रखने का आग्रह किया। राष्ट्रपति आवास पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से छुटकारा पाने और श्रीलंका के लिए नया युग सुनिश्चित करने का समय आ गया है।श्रीलंका जबरदस्त मंहगाई के साथ 70 वर्ष के सबसे भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। खाने-पीने की चीज़ों, ईंधन और दवाओं के आयात के लिए भी परेशानी हो रही है। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया है और निजी वाहनों के लिए पेट्रोल -डीजल की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना पड़ा है। - नयी दिल्ली। स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी कंपनी फोर्टिस हेल्थकेयर ने मौजूदा स्थानों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए अगले पांच साल में अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या लगभग 1,500 बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। फोर्टिस हेल्थकेयर के वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है। फोर्टिस हेल्थकेयर के अस्पतालों में वर्तमान में 4,300 से अधिक बिस्तर हैं।कंपनी ने वार्षिक रिपोर्ट में अपने शेयरधारकों को सूचित किया, ‘‘हम विकास और विस्तार के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हमने पुरानी परियोजनाओं के विस्तार के जरिये वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 225 बिस्तर जोड़ने की योजना बनाई है। इसके तहत चुनिंदा अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की योजना है।'' इसमें कहा गया है कि अधिकतर नए बिस्तर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, बेंगलुरु और कोलकाता में बढ़ाये जाएंगे।
- दुबई। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रहने वाले एक भारतीय उद्यमी ने शुक्रवार को याद किया कि कैसे जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 2015 में वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान उनके दिए उपहार गोल्डन बेज जैकेट की सराहना की थी और उसे स्वीकार किया था। आबे (67) की शुक्रवार को पश्चिमी जापान में एक बंदूकधारी ने हत्या कर दी। हमलावर ने आबे पर तब गोलियां चलायी जब वह चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे।
बुर्जील होल्डिंग्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शमशीर वायलिल ने बताया कि आबे के बारे में खबरें सामने आने के बाद उन्हें 2015 की नयी दिल्ली की अपनी यात्रा की याद आ गई, जो भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए आबे की आधिकारिक तीन दिवसीय भारत यात्रा के साथ हुई थी। शमशीर को जापान के साथ चिकित्सा प्रौद्योगिकी सहयोग के अवसरों पर चर्चा करने के लिए अपनी यात्रा के पहले दिन आबे से मिलने का मौका मिला था। शमशीर ने कहा, ‘‘गोल्डन बेज रंग की जैकेट देखकर वह रोमांचित हो गए और कहा कि अब इसे आजमाते हैं। उन्होंने मुझे सफेद कमीज के ऊपर जैकेट डालने में मदद करने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने खुशी-खुशी जैकेट पहने एक फोटो भी खिंचवाई। मेरे जाने के बाद भी उन्होंने जैकेट नहीं उतारी, यह भारत और जापान के बीच दोस्ती का प्रतीक लग रही थी ।'' अगले दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आबे ने वाराणसी का दौरा किया। वाराणसी में दोनों नेताओं ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में एक साथ हिस्सा लिया। कार्यक्रम के दौरान आबे ने काली कमीज के ऊपर गोल्डन बेज रंग की जैकेट पहनी थी। जब आबे की समारोह के लिए घाट की ओर जाने की तस्वीरें टीवी पर दिखाई दीं, तब शमशीर को एहसास हुआ कि उनका उपहार कितना पसंद आया। शमसीर ने कहा, ‘‘हमारे यहां मेहमानों को उपहार देने की परंपरा है, यह हमारे दिलों को छू लेता है जब वे उपहारों को पूरे दिल से स्वीकार करते हैं। मैं उन्हें इस महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान भारत-जापान संबंधों के प्रतीक के रूप में जैकेट पहने हुए देखकर खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहा था।'' - वाशिंगटन। अमेरिका के नियोक्ताओं ने बढ़ती मुद्रास्फीति और कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि से उपजी चिंताओं को दरकिनार करते हुए जून के महीने में 3.72 लाख नई नौकरियां दीं। अमेरिकी सरकार ने शुक्रवार को जून के रोजगार आंकड़े जारी करते हुए कहा कि बेरोजगारी दर लगातार चौथे महीने 3.6 प्रतिशत पर बनी हुई है। नए रोजगार देने की रफ्तार में मजबूती दर्शाती है कि तमाम कारोबारों को अपनी बढ़ती मांग पूरी करने के लिए नए कामगारों की जरूरत है। जून के महीने में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में मजबूत रोजगार वृद्धि दर्ज की गई। स्वास्थ्य देखभाल में 78,000 नई नौकरियां पैदा हुईं जबकि परिवहन एवं भंडारण क्षेत्र में 36,000 नए लोगों को रोजगार मिले। वहीं पेशेवर सेवाओं से जुड़े 74,000 नई नौकरियां भी इस दौरान पैदा हुईं। खास बात यह है कि जून में औसत पारिश्रमिक में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। औसत प्रति घंटा पारिश्रमिक 5.1 प्रतिशत बढ़कर 32 डॉलर से ऊपर पहुंच गया। इतने बड़े पैमाने पर नए रोजगार पैदा होने से अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व नीतिगत दर में बढ़ोतरी को लेकर नया नजरिया अपना सकता है।
- नारा (जापान) । जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को गोली मारे जाने के बाद निधन हो गया। सरकारी प्रसारणकर्ता ‘एनएचके’ ने यह जानकारी दी एनएचके ने बताया कि आबे (67) को पश्चिमी जापान के नारा में शुक्रवार को भाषण शुरू करने के कुछ मिनटों बाद ही पीछे से गोली मार दी गयी थी। आबे को विमान से एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी सांस नहीं चल रही थी और उनकी हृदय गति रुक गयी थी। अस्पताल में बाद में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।पुलिस ने घटनास्थल पर ही संदिग्ध हमलावर को गिरफ्तार कर लिया। घटना के बाद प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और उनके कैबिनेट मंत्री देशभर में अन्य प्रचार अभियानों को बीच में रोक कर तोक्यो लौट आए। किशिदा ने इस हमले को ‘‘कायराना और बर्बर’’ बताया और कहा कि चुनावी अभियान के दौरान हुआ यह अपराध पूरी तरह अक्षम्य है। आबे 2020 में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण इस्तीफा देने से पहले, देश के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माने जाने वाले जापान में इस घटना ने लोगों को स्तब्ध कर दिया है।एनएचके’ ने घटना का एक फुटेज प्रसारित किया है, जिसमें नारा में एक मुख्य ट्रेन स्टेशन के बाहर आबे को भाषण देते हुए देखा गया। जब गोली चलने की आवाज सुनी गयी तो आबे खड़े थे, उन्होंने गहरे नीले रंग के कपड़े पहने हुए थे और अपनी मुठ्ठी उठा रहे थे। इसके बाद फुटेज में आबे को सड़क पर गिरते हुए देखा गया और कई सुरक्षाकर्मी उनकी ओर भाग रहे थे। उन्होंने अपने सीने पर हाथ रखा हुआ था और उनकी कमीज पर खून लगा हुआ था। फुटेज में नजर आता है कि इसके अगले क्षण ही सुरक्षाकर्मी भूरे रंग की कमीज पहने एक व्यक्ति को दबोच लेते हैं। जमीन पर एक बंदूक गिरी हुई दिखायी देती है। नारा की पुलिस ने हत्या की कोशिश के लिए एक संदिग्ध को गिरफ्तार किए जाने की पुष्टि की और उसकी पहचान तेत्सुया यामागामी (41) के तौर पर की। ‘एनएचके’ ने बताया कि संदिग्ध 2000 में तीन साल के लिए समुद्री आत्म-रक्षा बल में सेवाएं दे चुका है।एक अन्य फुटेज में चुनाव प्रचार अधिकारियों को अपने लोकप्रिय नेता के आसपास इकट्ठा होते देखा गया। आबे सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रभावशाली नेता थे और वह उसके सबसे बड़े धड़े सेइवकाई का नेतृत्व करते थे। जापानी संसद के ऊपरी सदन के लिए मतदान रविवार को होना है। आबे पर हमले से भावुक किशिदा ने कहा, ‘‘मैं कड़े से कड़े शब्दों में इस कृत्य की निंदा करता हूं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेगी लेकिन साथ ही कहा कि आबे को शीर्ष स्तर की सुरक्षा मिली हुई थी। विपक्षी दलों के नेताओं ने हमले की निंदा करते हुए इसे जापान के लोकतंत्र के लिए चुनौती बताया। घटना के बाद तोक्यो में, लोग अख़बारों के अतिरिक्त संस्करण लेने या टीवी कवरेज देखने के लिए सड़क पर रुक गए। आबे ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि उनमें एक पुरानी बीमारी ‘अल्सरेटिव कोलाइटिस’ फिर से उभर आयी है। आबे ने उस समय पत्रकारों से कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए ‘‘परेशान करने वाली बात’’ है। उन्होंने वर्षों पहले उत्तर कोरिया द्वारा अगवा किए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे, रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद और जापान के युद्ध त्यागने वाले संविधान के संशोधन के मुद्दों को हल करने में अपनी नाकामी की बात की थी।दुनिया भर के नेताओं ने इस हमले की निंदा की है। आबे 2006 में 52 साल की उम्र में जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनका पहला कार्यकाल एक साल बाद अचानक समाप्त हो गया। आबे जब 2012 में फिर से प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, राजकोषीय प्रोत्साहन, मौद्रिक सुगमता और ढांचागत सुधारों पर जोर दिया। आबे ने छह राष्ट्रीय चुनाव जीते और जापान की रक्षा भूमिका और क्षमता तथा अमेरिका के साथ इसके सुरक्षा गठबंधन को मजबूत करते हुए सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाई।
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नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा की। सरकार के कई विवादों से घिरे होने के बाद उनके निकट सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ दिया था। श्री जॉनसन ने कहा कि कंजर्वेटिव पार्टी के उनका उत्तराधिकारी चुनने तक वे प्रधानमंत्री के रूप में काम करते रहेंगे।
श्री जॉनसन के इस्तीफे के बाद कंजर्वेटिव पार्टी में नेतृत्व संघर्ष शुरू हो गया है। कई सांसद प्रधानमंत्री पद की दौड़ में आने का प्रयास कर रहे हैं।भारत ने कहा है कि श्री जॉनसन के इस्तीफे से दोनों देशों के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ब्रिटेन एक महत्वपूर्ण कार्यनीतिक साझेदार है, वहां के प्रधानमंत्री का त्याग पत्र आंतरिक मामला है और भारत इसपर बारीकी से नजर रख रहा है। - संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहन सुब्रमण्यम को दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआईएसएस) का अपना नया ‘फोर्स कमांडर’ नियुक्त किया है।वह भारतीय सेना से ही नाता रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल शैलेश तिनाइकर की जगह लेंगे।एजेंसी से मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘ यूएनएमआईएसएस फोर्स कमांडर के रूप में उनके (तिनाइकर के) अथक समर्पण, अमूल्य सेवा और प्रभावी नेतृत्व के लिए महासचिव उनके आभारी हैं।’’लेफ्टिनेंट जनरल शैलेश तिनाइकर को गुतारेस ने मई 2019 में यूएनएमआईएसएस का ‘फोर्स कमांडर’ नियुक्त किया था।लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रमण्यम ने 36 वर्ष तक भारतीय सेना में सेवाएं दीं। हाल ही में, उन्होंने मध्य भारत में मिलिट्री रीज़न (ऑपरेशनल एंड लॉजिस्टिक रेडीनेस ज़ोन) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में अपनी सेवाएं दीं।इससे पहले, उन्होंने 2019 से 2021 तक रक्षा मंत्रालय (सेना) के एकीकृत मुख्यालय में खरीद एवं उपकरण प्रबंधन के लिए अतिरिक्त महानिदेशक और 2018 से 2019 तक ‘स्ट्राइक इन्फैंट्री डिवीज़न’ में डिप्टी जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में कार्य किया। 2015 से 2016 तक ‘इन्फैंट्री डिवीज़न’ के डिप्टी जनरल ऑफिसर कमांडिंग और 2013 से 2014 तक ‘माउंटेन ब्रिगेड’ के कमांडर के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं।उन्होंने 2008 से 2012 के बीच वियतनाम, लाओस और कंबोडिया में भारत के रक्षा प्रभारी के रूप में और 2000 में सिएरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ एक ‘स्टाफ ऑफिसर’ के रूप में कार्य किया था।लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रमण्यम के पास रक्षा एवं प्रबंधन अध्ययन और सामाजिक विज्ञान में ‘मास्टर ऑफ फिलॉसफी’ की डिग्री है।गौरतलब है कि भारत, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सबसे अधिक योगदान देने वाले देशों में से एक है। दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन में नवंबर 2021 तक 17,982 कर्मी तैनात थे। भारत, यूएनएमआईएसएस में दूसरा सबसे बड़ा सैन्य-योगदान करने वाला देश है। मिशन में 2385 शांतिरक्षकों के साथ भारत दूसरे स्थान पर है। सबसे अधिक शांतिरक्षक रवांडा के हैं। भारत के वर्तमान में यूएनएमआईएसएस में 30 पुलिस कर्मी तैनात हैं।
- काठमांडू । भारत ने रविवार को नेपाल को 75 एम्बुलेंस और 17 स्कूल बसें उपहार में दीं। दोनों देशों के बीच “मजबूत एवं लंबे समय से” चली आ रही विकास साझेदारी तथा नेपाल को स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करने के प्रयासों के तहत भारत ने पड़ोसी देश को यह उपहार दिया। भारत के नवनियुक्त राजदूत नवीन श्रीवास्तव ने नेपाल के शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री देवेंद्र पौडेल की उपस्थिति में वाहनों की चाबी सौंपी। भारतीय दूतावास ने कहा कि 75 एम्बुलेंस का उपहार भारत की आजादी के 75 साल का भी प्रतीक है। श्रीवास्तव ने कहा, “एम्बुलेंस और स्कूल बसों को उपहार में देना दोनों देशों के बीच मजबूत विकास साझेदारी का हिस्सा है।” उन्होंने कहा कि यह पहल नेपाल-भारत विकास भागीदारी कार्यक्रम के तहत भारत सरकार की लंबे समय से चली आ रही परंपराओं में से एक रही है, ताकि स्वास्थ्य और शिक्षा में अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए नेपाल सरकार के प्रयासों को बढ़ावा दिया जा सके। पौडेल ने नेपाल में जारी भारत की विभिन्न विकास परियोजनाओं की सराहना की और कहा कि यह पहल लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए जारी रहेगी। भारतीय दूतावास ने बताया कि 75 एम्बुलेंस और 17 स्कूल बसें नेपाल के विभिन्न जिलों में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न सरकारी विभागों और गैर-सरकारी संगठनों को सौंपी जाएंगी। भारत ने 2021 में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए नेपाल की मदद करने के अपने प्रयासों के तहत वेंटिलेटर से लैस 39 एम्बुलेंस उपहार में दिये थे। इसी तरह, 2020 में, भारत ने महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के अवसर पर नेपाल को 41 एम्बुलेंस और छह स्कूल बसें उपहार में दिये थे।