जबरदस्त है केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की कार, 140 किमी का देती है माइलेज
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता गिरिराज सिंह को ज्यादातर लोग उनके भाषणों के लिए जानते हैं, लेकिन उनके व्यक्तित्व का छुपा पहलू भी है कि वे एक ऐसी कार का इस्तेमाल करते हैं, जो उनके मंत्रिमंडल में किसी के पास नहीं है। उन्होंने इस कार को दो साल पहले खरीदा था, लेकिन आज भी जब वे इस कार से निकलते हैं, तो कार्यकर्ताओं के साथ उनके साथी मंत्री भी उनसे प्रभावित होते हैं।
2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात ने उन्होंने शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक कारों के इस्तेमाल पर जोर दिया था। जिसके बाद उन्होंने नवंबर 2017 में एक इलेक्ट्रिक कार खरीद ली। अपने पहले और बाद के मंत्रिमंडल में संभवतया वे अकेले मंत्री और सांसद हैं, जो राजधानी में कहीं आने-जाने के लिए इलेक्ट्रिक कार इस्तेमाल करते हैं।
वर्तमान सरकार में केंद्रीय पशुपालन और मत्स्य मंत्री गिरिराज सिंह ने जब इलेक्ट्रिक कार खरीदी थी, तो वे उसे सबसे पहले भाजपा मुख्यालय लेकर गए थे। सोशल मीडिया पर शेयर अपनी पोस्ट में गिरिराज सिंह ने इसे प्रदूषण कम करने की कोशिश में एक अहम पहल बताया था। ं राजधानी में चार्जिंग की समस्या होने के बावजूद वे इसी से सफऱ करना पसंद करते हैं।
गिरिराज सिंह भी इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि राजधानी में अभी इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग की समस्या है। हालांकि लुटियन दिल्ली में कुछ इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग स्टेशन बन चुके हैं। जिसके चलते गिरिराज भी इस कार को केवल लुटियन दिल्ली में कहीं आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, वहीं वे लुटियन दिल्ली से बाहर जाने के लिए दूसरी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं।
गिरिराज सिंह के पास जो कार है वह महिंद्रा कंपनी ने बनाई है और इसका नाम ई2ओ प्लस है। वहीं इसका एक्स-शोरूम कीमत 7.44 लाख रुपये है, जिस पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बनी फेम-2 योजना के तहत सब्सिडी भी मिलती है। इसकी बैटरी फुल चार्ज में 140 किमी तक की दूरी तय करती है। वहीं कंपनी इस कार पर 3 साल की वारंटी भी दे रही है।
इससे पहले केन्द्र सरकार ने भी पहले अपने मंत्रालयों को अफसरों को इलेक्ट्रिक कारें इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। जिसके बाद वित्त मंत्रालय ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लि. के जरिए टाटा और महिंद्रा की कुछ इलेक्ट्रिक कारों को खरीदा था। जिनका अफसरों ने कुछ समय तक इस्तेमाल भी किया, लेकिन बाद में इसे लेकर असमर्थता जता दी।
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