एमपीसी का फैसला अपेक्षा के अनुरूप, आरबीआई के महंगाई रोकने के प्रयास जारी: बैंकर
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत ब्याज दर में बदलाव नहीं करने के बृहस्पतिवार के फैसले को बैंकरों ने अपेक्षित बताते हुए कहा कि इससे मुद्रास्फीति पर केंद्रीय बैंक की सख्त निगरानी भी उजागर होती है। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन और सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी ए के गोयल ने कहा, “दरों को यथावत रखना और नीति में बदलाव नहीं करना अपेक्षित था। स्पष्ट है कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति के मामले में अपनी निगरानी बनाए रखी है।” गोयल ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआई) पर आरबीआई का 5.1 प्रतिशत का अनुमान अप्रैल में अनुमानित 5.2 प्रतिशत से थोड़ा कम है। आरबीआई मुद्रास्फीति पर रेपो दर में साल भर में हुई कुल 2.5 प्रतिशत वृद्धि के पूरे प्रभाव का आकलन करना चाहता है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने मुद्रास्फीति के संदर्भ में भविष्य के लिए बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप आए आरबीआई के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “विकास को लेकर विभिन्न नीतियों में बदलावों से बाजार की सूक्ष्म संरचना से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा।” आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक सुरेश खटनहार ने कहा कि दर वृद्धि के सिलसिले पर रोक लगना एक अच्छा संकेत है क्योंकि इससे मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने, निवेश बढ़ाने और धारणाओं को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। विदेशी ऋणदाता स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की भारत में प्रमुख जरीन दारूवाला ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का निर्णय वृद्धि को बढ़ावा देने के साथ-साथ मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने की उसकी प्रतिबद्धता दोहराता है। बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री एवं शोध प्रमुख सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि एमपीसी बैठक में नीतिगत दर रेपो में परिवर्तन नहीं करना पूर्वानुमान के अनुरूप ही था। उन्होंने कहा, “दिलचस्प बात यह है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 0.5 प्रतिशत तक घटाने के बावजूद समूचे वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान लगभग अपरिवर्तित है।”
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