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 एच 1-बी वीजा फीस बढ़ने से आईटी स्टॉक्स में खलबली

 नई दिल्ली।  भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों में सोमवार सुबह बड़ी गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इमिग्रेशन नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा की है। इस कारण आईटी शेयरों में भारी गिरावट आई और निफ्टी आईटी इंडेक्स (Nifty IT Index) 3 फीसदी से ज्यादा टूट गया।

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप  ने 19 सितंबर को अचानक एक नए आदेश के तहत एच1-बी वीजा शुल्क बढ़ाने की घोषणा की। इससे एच1-बी वीजा पर काम कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों के बीच चिंता, घबराहट और अविश्वास का माहौल पैदा हो गया।
एनालिस्ट्स का मानना है कि इस फैसले से बाजार में शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव आ सकता है। लेकिन लॉन्ग टर्म में असर सीमित रहेगा। बड़े आईटी कंपनियों पर असर कम होगा। जबकि मिड-टियर फर्मों के लिए यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बाजार में निफ्टी आईटी इंडेक्स अब तक का सबसे कमजोर सेक्टर रहा है। 2025 में यह इंडेक्स 16 फीसदी गिरा है। जबकि इस दौरान निफ्टी50 में 7 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
H-1B फैसले के बाद IT Stocks पर ब्रोकरेज हाउसेस की राय
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि इसका पहला असर वित्त वर्ष 2026-27 की याचिकाओं पर पड़ेगा। H-1B लॉटरी और फाइलिंग साल की चौथी तिमाही से पहली तिमाही के बीच होती है। पिछले दशक में भारतीय आईटी कंपनियों ने H-1B पर निर्भरता घटाई है। यह आदेश अमेरिका में कानूनी चुनौती का सामना कर सकता है। गूगल, अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा जैसी बिग टेक कंपनियां H-1B की ज्यादा नई अप्लिकेशन देती हैं। लोकलाइजेशन और सब-कॉन्ट्रैक्टिंग जैसे मॉडल पहले से ही तैयार हैं। ज्यादा लागत के कारण कंपनियां नई अप्लिकेशन से बच सकती हैं और ऑफशोर डिलीवरी बढ़ा सकती हैं या स्थानीय लोगों की भर्ती कर सकती हैं।
वहीं, नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि फीस बढ़ने से भारतीय आईटी ऑपरेशंस प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन असर सीमित रहेगा। उपाय के रूप में कंपनियां ऑफशोरिंग, नियरशोरिंग और लोकल हायरिंग को बढ़ा सकती हैं। पिछले आठ सालों में इंडस्ट्री ने H-1B पर निर्भरता कम कर दी है। नई अप्लिकेशन को कंपनियां आर्थिक रूप से नॉन-प्रेक्टिकल मानकर छोड़ सकती हैं। थोड़ा ऑपरेशनल और फाइनेंशियल असर जरूर पड़ेगा। लेकिन लॉन्ग टर्म में ऑफशोरिंग इस असर को कम कर देगा। हालांकि, शॉर्ट टर्म में सेक्टर में अस्थिरता बनी रह सकती है।
एमके ग्लोबल के अनुसार, कंपनियां लोकल हायरिंग बढ़ाकर L-1 वीजा का उपयोग कर सकती हैं। साथ ही H-1B का सीमित उपयोग कर, कॉन्ट्रैक्ट्स को फिर से तय कर या काम को ऑफशोर करके तैयार हो सकती हैं।
ब्रोकरेज ने कहा कि कुल असर बहुत बड़ा नहीं होगा, लेकिन शेयर कीमतों पर शॉर्ट टर्म में दबाव रह सकता है। भारतीय आईटी कंपनियां पहले से ही H-1B का सीमित इस्तेमाल करती हैं, वो भी तब जब कोई स्किल गैप होता है। अभी कमाई पर फिलहाल खतरा नहीं है। लेकिन ऑनसाइट वेतन लागत और नई फीस वित्त वर्ष 2026-27 में मुनाफे को प्रभावित कर सकती है।

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