वरिष्ठ चिकित्सा शिक्षक डॉ. अरविन्द नेरल को सेवानिवृत्ति पर भाव-भीनी विदाई
-"रक्त दानवीर डॉ. नेरल की विदाई पर भावुक हुआ संस्थान"
-"जिन्दगी का अंतिम दिन मेरा अंतिम क्रियाशील दिन होगा डॉ. नेरल"
, रायपुर। पं. ज.ने. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के वरिष्ठतम चिकित्सा शिक्षक डॉ. अरविन्द नेरल को सेवानिवृत्ति पर भाव-भीनी विदाई दी गयी। महाविद्यालय और मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में यह संवेदनशील विदाई समारोह महाविद्यालय परिसर में स्थित अटल बिहारी बाजपेयी सभागार में आयोजित किया गया। डॉ. अरविन्द नेरल पैथालॉजी विभाग में प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष रहे हैं। उनके सम्मान में आयोजित इस समारोह में महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विवेक चौधरी ने कहा कि डॉ. नेरल ने अपने लंबे सेवाकाल में न सिर्फ शिक्षा, चिकित्सा एवं रिसर्च के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया, बल्कि महाविद्यालय के सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यों की भी कमान सम्हाली। हम उनके सेवा-भाव को नमन करते हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में पैथालॉजी विभाग की सह-प्राध्यापक डॉ. वर्षा पाण्डेय ने डॉ. नेरल के जीवन और सेवाओं पर आधारित ऑडियो विजुअल प्रस्तुति दी जिसमें उन्होने डॉ. नेरल के समर्पण, कार्यशैली, सामाजिक कार्यों और मानवीय संवेदनाओं को बहुत सुन्दर तरीके से दर्शाया। साथ ही "कभी अलविदा ना कहना" शीर्षक से वीडियो द्वारा डॉ. नेरल के कार्यों को उजागर किया। तत्पश्चात् डॉ. देवप्रिया लकरा, डॉ. संतोष सोनकर, डॉ. जया लालवानी, डॉ. राबिया परवीन सिद्दीकी, डॉ. ओंकार खण्डवाल, डॉ. आकाश लालवानी और डॉ. विजय कापसे ने डॉ. नेरल के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार और संवेदनायें व्यक्त की। इसके पूर्व पैथालॉजी विभाग के शिक्षकों, टेक्निशियन और अन्य कर्मचारियों की ओर से भी विदाई समारोह का पृथक से आयोजन किया गया था।
अपने विदाई संदेश में डॉ. अरविन्द नेरल ने कहा कि इस महाविद्यालय में 41 वर्ष का लंबा कार्यकाल बहुत संतोषजनक और उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा है। इस महाविद्यालय में गुजारे लम्हें, वरिष्ठों, सहपाठियों और सभी शिक्षकों, कर्मचारियों से मिला साथ, सहयोग और सहभागिता मेरे जीवन की अमूल्य धरोधर है और चीर-स्मरणीय रहेगी। उन्होंने कहा रक्तदान, एड्स जागरूकता और कोविड-19 एपिडेमिक काल में किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिये छत्तीसगढ शासन द्वारा सम्मानित किया जाना विशेष उपलब्धि रही है। विदाई समारोह में डॉ. नेरल को शॉल-श्रीफल, प्रतीक चिन्ह, उपहार और यादगार फोटो फ्रेम दिये गये।
डॉ. अरविन्द नेरल के चिकित्सा शिक्षकीय सेवाओं की विशेषतायें
(1) न्यूनतम 24 वर्ष की उम्र से 65 वर्ष की उम्र तक 41 वर्षों तक लगातार एक ही चिकित्सा महाविद्यालय में शिक्षक के रूप में सेवायें।
(2) 31 वर्ष की उम्र से 34 वर्षों तक विभागाध्यक्ष के रूप में सेवायें।
(3) फॉरेन्सिक मेडिसीन, माइक्रोबायोलॉजी एवं पैथालॉजी तीन अलग-अलग विभागों का विभागाध्यक्ष के रूप में संचालन और शिक्षण।
(4) 05 वर्षों तक दो विभागों का एक साथ संचालन।
(5) फॉरेन्सिक मेडिसीन और माइक्रोबायोलॉजी विभागों की लगभग शून्य से स्थापना।
(6) तीन-तीन चिकित्सा विषयों में आंतरिक एवं बाह्य विश्वविद्यालयीन परीक्षक के रूप में सेवायें।
सेवानिवृत्ति पर मातृशिक्षण संस्थान को उपहार
1. अपने मातृ शिक्षण संस्थान जहां से शिक्षा ग्रहण की उस संस्थान के प्रति आभार व्यक्त करते हुये डॉ. अरविन्द नेरल ने विगत 41 वर्षों से अपने खून-पसीने से (44 लीटर खून 126 बार रक्तदान के माध्यम से) अपनी सेवायें देने के पश्चात् मृत्यु उपरांत अपना शरीर भी संस्थान को दान किये जाने का शपथ-पत्र एनाटामी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जागृति अग्रवाल को वरिष्ठ चिकित्सा शिक्षकों के साक्ष्य उपस्थिति में प्रदान किया। उनकी मंशा है कि उनका शरीर मृत्यु पश्चात् भी महाविद्यालय परिसर में ही रहे और यथासंभव काम आता रहे।
2. ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की फाईबर से एक कलाधार द्वारा बनायी गयी आकर्षक मूर्ति महाविद्यालय के अधिष्ठाता कक्ष के लिये प्रदान की।
3. डॉ. अरविन्द नेरल ट्रॉफी के रूप में नौ रनिंग ट्रॉफियाँ महाविद्यालय को प्रदान की गयी। ये ट्रॉफियाँ प्रत्येक वर्ष प्राणीण्य सूची में प्रथम आने वाले मेधावी विद्यार्थियों के खेलकूद, साहित्य एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को दिये जायेंगे।
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