प्रशिक्षित गायिका भी थीं नूतन... अपनी इस फिल्म में गाया था गाना.....
अभिनेत्री नूतन किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी । एक अच्छी एक्ट्रेस के रूप में वे हमेशा जानी जाती रही । नूतन ने अपने फि़ल्मी जीवन की शुरुआत 1950 में की थी जब वह स्कूल में ही पढ़ती थीं। वे पहली मिस इंडिया रहीं। सबसे ज्यादा फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड भी लंबे समय तक उनके नाम रहा। सन् 1974 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
नूतन की पुरकशिश आवाज के तो लोग प्रसंशक थे ही, मगर बहुत कम लोगों को मालूम है कि नूतन एक प्रशिक्षित गायिका भी थी और उन्होंने कई गाने भी गाए हैं। उनका एक गाना हेमंत कुमार के साथ है- लहरों पे लहर, उलफत है जवां। यह फिल्म छबीली का गाना है, जो 1960 में बनी थी। इसका निर्माण नूतन की मां शोभना समर्थ ने ही किया था। इसमें उन्होंने अपनी दोनों बेटियों नूतन और तनुजा को लिया था। दोनों बहनों की साथ में यह पहली और आखिरी फिल्म थी। अभिनय को महत्व देने के कारण वो संगीतकारों की कोशिशों के बावजूद ज्यादा नहीं गा सकीं। उन्होंने हमारी बेटी , छबीली और मयूरी जैसी फिल्मों मे गीत गाए। उन्होंने कुछ भजन भी रिकॉर्ड करवाए थे। फिल्म छबीली में उनका गाया गाना - ले रोक अपनी नजर ना देख इस कदर भी... लोकप्रिय हुआ है। उन्होंने कुछ भजन भी रिकॉर्ड करवाए थे।
संगीतकार कल्याणजी आनंद जी के कई स्टेज शो में नूतन ने गाने गाए। फिल्म छलिया में कल्याणजी-आनंद जी ने गाना-तेरी राहों में खड़े हैं दिल थाम के, नूतन की आवाज में ही रिकॉर्ड करवाया था। बाद में लता मंगेशकर की आवाज में इसे फिर से रिकॉर्ड किया गया। इसका कारण क्या था किसी को नहीं पता चल पाया। आज भी यू ट्यूब पर नूतन के गाये गाने देखे जा सकते हैं।
अस्सी के आखिरी सालों मे नूतन पहले ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हुईं जो बाद में फेफड़े तक फैल गया। वह दर्द से घबराती थीं इसलिए उन्होने अपने पति से कहा था कि बस इस बात का ध्यान रखा जाए कि उन्हें दर्द कम हो। पूरा ध्यान रखा गया लेकिन 21 फरवरी 1991 को महज 54 साल की उम्र में नूतन अपना शरीर छोड़ गईं. और साथ ही छोड़ गईं वह खाली स्थान जो सिर्फ वही भर सकती थीं। (छत्तीसगढ़ आज डॉट कॉम विशेष)
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