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छत्तीसगढ़ में हरियाली के साथ बढ़ेगी किसानों की आय

 *आलेख-आनंद सोलंकी, घनश्याम केशरवानी*

 

घटती हरियाली, धरती के बढ़ते तापमान और पर्यावरण प्रदूषण ने आज दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन की बड़ी समस्या पैदा कर दी है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान से जहां जलवायु और मानव जनजीवन प्रभावित हो रहा है, वहीं कृषि उत्पादन पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। वनस्पतियों की कई प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लम्बे समय से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इनका अपेक्षित प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। हाल के वर्षाें में दुनिया के कई हिस्से हीट वेव से प्रभावित हो रहे हैं।

चवालिस प्रतिशत वनों से आच्छादित भूमि वाला छत्तीसगढ़ देश के आक्सीजोन के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यूं तो छत्तीसगढ़ में हर वर्ष बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इसी कड़ी में एक नई पहल करते हुए राज्य में क्लाइमेट चेंज के प्रभावों को कम करने और हरियाली के प्रसार के साथ साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री वृ़क्षारोपण प्रोत्साहन योजना की शुरूआत की है। छत्तीसगढ़ में 1 जूून 2021 से लागू की गई इस योजना‘ से किसानों और अन्य भू-धारकों को जोड़ने के लिए कई व्यावहारिक कदम उठाए गए हैं। किसानों को जोड़ने और उनकी आय सुनिश्चित करने के लिए वृक्ष कटाई के नियम सरल किए गए हैं।

      इस योजना से जहां वृक्षों से मिलने वाली बहुमूल्य लकड़ी और फलों से आय अर्जित करने का नया जरिया किसानों और भू-स्वामियों को मिलेगा, वहीं इससे काष्ठ के उत्पादन में वृद्धि होगी। इससे रोजगार के नए अवसर भी बढ़ेंगे। इस योजना से निजी भूमि, खाली पड़ी जमीन पर हरियाली बढेगी, आसपास का वातावरण स्वच्छ होगा, इमारती लकड़ी, गैर इमारती लकड़ी, जलाऊ लकड़ी के लिए जंगलों पर दवाब कम होगा और हमारे बहुमूल्य वनों का संरक्षण भी हो सकेगा। साथ ही भू-जल स्तर में भी वृद्धि होगी।

*मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना*

निजी भूमि पर किसान, वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त हितग्राही पट्टे की जमीन पर, गैर वनीय क्षेत्रों की खाली जमीन पर शासकीय विभागों एवं ग्राम पंचायतों, वन प्रबंधन समितियों द्वारा इमारती, गैर इमारती प्रजातियों के वृक्षों, फलदार वृक्ष, लघु वनोपज, और औषधिय प्रजातियों के वृ़क्षों का रोपण इस योजना में किया जा सकता है।  छत्तीसगढ़ के सभी नागरिक, सभी ग्राम पंचायतें एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियां इस योजना का लाभ ले सकती हैं। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों के लिए यह प्रावधान किया गया है कि जिन किसानों ने पिछले खरीफ सीजन में धान की फसल ली है, यदि वे धान की फसल के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण करते हैं, तो उन्हें आगामी 3 वर्षों तक प्रतिवर्ष 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

        ग्राम पंचायतें यदि अपने पास भूमि एवं राशि से वाणिज्यिक वृक्षारोपण करती है, तो एक वर्ष बाद सफल वृक्षारोपण की दशा में संबंधित ग्राम पंचायतों को शासन की ओर से 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इससे भविष्य में पंचायतों की आय में वृद्धि हो सकेगी। इसी तरह संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक आधार पर राजस्व भूमि पर वृक्षारोपण किया जाता है, तो पंचायत की तरह ही संबंधित समिति को एक वर्ष बाद वृक्षारोपण सफल होने पर 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वृक्षों को काटने व विक्रय का अधिकार संबंधित समिति का होगा। वृक्षारोपण करने वाले किसानों, ग्राम पंचायतों और वन प्रबंधन समितियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए सीधे उनके खातों में राशि देने का प्रावधान योेजना में किया है।

*निजी भूमि पर रोपित तथा पूर्व से खड़े वृक्षों की कटाई के नियम हुए आसान*

भू-स्वामियों द्वारा स्वयं के खाते में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों और प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों के कटाई के नियमों का सरलीकरण किया गया है। अब स्वयं की भूमि पर रोपित किए गए वृक्षों की कटाई के लिए भू-स्वामी को एसडीएम को केवल सूचना देनी होगी। इसमें यह ध्यान रखा गया है कि किसानों और भू-स्वामियों को वृक्ष कटाई के लिए शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटना नहीं पड़े इसलिए अनुमति देने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। वृक्षों की कटाई से मिलने वाली लकड़ी की कीमत भी एक माह की अवधि में दिलाने के प्रावधान शामिल किए गए हैं।

   वृक्ष प्राकृतिक रूप से उगे होने की स्थिति में वृक्षों की कटाई के लिए भू-स्वामी को एसडीएम से लिखित अनुमति प्राप्त करनी होगी। प्राकृतिक रूप से उगे वृक्ष की कटाई के लिए एसडीएम को आवेदन देने के बाद राजस्व तथा वन विभाग का अमला निरीक्षण कर 30 दिन में प्रतिवेदन देगा। एसडीएम आवेदन प्राप्ति के 45 दिन के भीतर अपनी अनुशंसा आवेदक तथा वन मंडलाधिकारी भेजेंगे, लिखित अनुशंसा नहीं मिलने पर स्मरण हेतु आवेदन दिया जाएगा, यदि अगले 30 कार्य दिवस में लिखित निर्णय प्राप्त नहीं होता है, इसे अनुशंसा मानकर आवेदक अपनी जमीन पर उपजे वृक्षों की कटाई के लिए स्वतंत्र होगा। एक कैलेण्डर वर्ष में एक खाते में प्राकृतिक रूप से उगे चार वृक्ष प्रति एकड़ के मान से अधिकतम 10 वृक्षों की कटाई के लिए एसडीएम अनुशंसा कर सकेंगे।

भू-स्वामी द्वारा अपने खाते में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों की कटाई के लिए एसडीएम एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी को कटाई से एक माह पूर्व निर्धारित प्रारूप में सूचना देना होगा। जिसका दस्तावेजी एवं भौतिक सत्यापन पटवारी एवं वनपाल के माध्यम से कराया जाएगा। भू-स्वामी द्वारा लिखित में इच्छा व्यक्त करने पर रोपित वृक्षों की कटाई वन विभाग द्वारा की जा सकेगी। वन मंडलाधिकारी द्वारा प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों के कटाई के संबंध में सक्षम अनुशंसा और भू-स्वामियों द्वारा स्वयं के खाते में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों की कटाई के लिए लिखित रूप में इच्छा व्यक्त किए जाने पर आवेदन प्राप्ति के 30 कार्य दिवस के भीतर निर्धारित दर पर लकड़ी के मूल्य की गणना कर मूल्य का 90 प्रतिशत भू-स्वामी के बैंक खाते में और 10 प्रतिशत वन विभाग के खाते में जमा करेंगे। वन विभाग में जमा की जाने वाली राशि से प्रत्येक काटे जाने वाले वृक्ष के 10 गुना संख्या में वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण एवं उनका रख-रखाव किया जाएगा।

आने वाले समय में वाणिज्यिक, औद्योगिक वृक्षारोपण को प्रोत्साहन मिलने के साथ, पर्यावरण में सुधार, जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों को कम करने तथा वृक्षारोपण के माध्यम से कृषकों की आय में वृद्धि करते हुये उनके आर्थिक सामाजिक स्तर में सुधार लाने में मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना मील का पत्थर साबित होगी।

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