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 भारत ने जी20 को आर्थिक सहयोग के एक ‘प्रमुख मंच’ के रूप में स्थापित किया
 आलेख- लक्ष्मी पुरी  (लेखिका भारत की पूर्व राजदूत और संयुक्त राष्ट्र की सहायक महासचिव हैं )
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 20 वर्षों में एक बार मिलने वाली जी20 की इंडिया यानी भारत की अध्यक्षता ऐतिहासिक मानी जाएगी। इस अध्यक्षता ने एक ऐसी अमिट छाप छोड़ी है जिसकी अनदेखी करना घरेलू और विदेशी आलोचकों के लिए भी कठिन होगा। भारत की भौतिक, सांस्कृतिक, सभ्यतागत भव्यता और इसकी आर्थिक, वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति एवं गतिशीलता पूरी तरह से परिलक्षित हुई।
भारत की कूटनीतिक व सर्वसम्मति निर्माण कौशल और सबसे अधिक आबादी वाले एवं युवाओं की संख्या के मामले में सबसे समृद्ध तथा सबसे पुराने, सबसे बड़े एवं सबसे अधिक विविधतापूर्ण लोकतांत्रिक देश की हैसियत ने इस ‘जनता के जी20’ में इसकी अध्यक्षता को एक विशेष गरिमा प्रदान की। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की असाधारण प्रतिबद्धता ने भारत को ‘विश्वगुरु’ और ‘विश्वामित्र’ के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित कर दिया। भारत की यह छवि उच्चतम स्तर की भागीदारी और एक सार्थक दिल्ली घोषणा में दिखाई दी।
यह परिधि से निकलकर वैश्विक आर्थिक निर्णय-प्रक्रिया के केन्द्र में पहुंचने की भारत की यात्रा का प्रतिनिधित्व करता है। भारत ने यह संकेत दिया कि वह उत्तर-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने और संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसकी सामाजिक न्याय की विशाल परियोजनाएं ग्लोबल साउथ के देशों में प्रतिकृति और विस्तार की दृष्टि से मानक बनती हैं। तीव्र आर्थिक विकास, सतत विकास, जलवायु कार्रवाई और सभी के लिए मानवीय प्रतिक्रिया से लैस वैश्विक सार्वजनिक कल्याण सुनिश्चित करने के विकसित एवं विकासशील देशों के इस सबसे शक्तिशाली समूह को आगे बढ़ाने के जिम्मेदारियों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी का समावेशी एवं मानव-केन्द्रित दृष्टिकोण जी20 की भारत की सफल अध्यक्षता की पहचान बन गया।
एक अभिजात्य बहुपक्षीय मंच के तौर पर, जी20 का जन्म 2008 के वैश्विक संकट के दौरान हुआ था।  इसने वास्तविक सार्वभौमिक बहुपक्षीय मंच से वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय शासन के एजेंडे को अपहृत कर लेने की आलोचना को सहते हुए इस संकट से उबरने में काफी हद तक मदद की। पिछले कुछ वर्षों में, जी20 ने अपनी उपयोगिता साबित की है। लेकिन, अब इसे अब तक के गंभीरतम संकटों से निपटना है। अतिव्यापी और आपस में एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हुए ये संकट एक साथ उभरे हैं। इन संकटों में जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय क्षरण से लेकर कोविड-19 से उपजे व्यापक सामाजिक-आर्थिक विनाश, रूस-यूक्रेन युद्ध, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, भोजन, उर्वरक, ईंधन एवं वित्तीय संकट और आपूर्ति श्रृंखला की असुरक्षा शामिल है, जो ग्लोबल साउथ के देशों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। यह सब एक ऐसे समय में हो रहा है जब संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन जैसे बहुपक्षीय संस्थान संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटिरेज के शब्दों में “भारी शिथिलता के शिकार हो गए हैं”।
18वें जी20 शिखर सम्मेलन में दक्षिणी दुनिया के देशों से किए गए प्रधानमंत्री श्री मोदी के वादे – “आपकी आवाज भारत की आवाज है, आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं" - को प्रभावशाली और ठोस तरीके से निभाया गया है। भारत ने 54 देशों वाले अफ्रीकी संघ - दूसरे सबसे बड़े संसाधन संपन्न महाद्वीप, जहां 1.466 बिलियन लोग सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पाने के लिए जूझ रहे हैं - को जी20 में शामिल करके वैश्विक शासन की समावेशिता एवं लोकतंत्रीकरण की राह में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
जी20 की अध्यक्षता के लिए भारत की सभी सात विषयगत प्राथमिकताओं का जहां तक प्रश्न है, इसने वास्तव में ग्लोबल साउथ के देशों के लिए “समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्योन्मुख और निर्णायक” परिणाम दिए हैं। इन परिणामों में एसडीजी को हासिल करने की दिशा में हुई प्रगति में तेजी लाना तथा जी20 कार्ययोजना एवं उच्चस्तरीय सिद्धांतों को लागू करना; वित्तपोषण के मामले में व्याप्त अंतर को पाटने तथा यूएनएसजी के एसडीजी संबंधी प्रोत्साहन का समर्थन करने हेतु सभी स्रोतों से किफायती, पर्याप्त एवं सुलभ वित्तपोषण जुटाना; जी20 रोडमैप के अनुरूप स्थायी वित्त को बढ़ाना; खाद्य सुरक्षा एवं पोषण से संबंधित दक्कन उच्चस्तरीय सिद्धांतों के अनुरूप वैश्विक खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना, खाद्यान्नों एवं उर्वरकों की कीमतों में व्याप्त अस्थिरता से निपटना और आईएफएडी संसाधनों को बढ़ाना शामिल है। ‘एक स्वास्थ्य’ के दृष्टिकोण को अपनाते हुए, जी20 ने सहयोग का एक व्यापक पैकेज अपनाया, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व वाली महामारी से जुड़ी तैयारियों एवं निगरानी प्रणालियों को बढ़ाना और स्वास्थ्य सहयोग को वित्तपोषित करना शामिल है।
सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि पेरिस प्रतिबद्धताओं को लागू करने के मजबूत संकल्प के साथ ठोस हरित विकास समझौता थी। प्रधानमंत्री मोदी के लाइफ मिशन को सतत विकास के लिए जीवनशैली से संबंधित जी20 के उच्चस्तरीय सिद्धांतों में रूपांतरित कर दिया गया।
इसने हरित जलवायु कोष (ग्रीन क्लाइमेट फंड) की महत्वाकांक्षी दूसरी पुनःपूर्ति और निजी वित्त और जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास, साझाकरण, तैनाती और वित्तपोषण और बहुवर्षीय तकनीकी सहायता योजना (टीएएपी) कार्यान्वयन पर मजबूत प्रतिबद्धता का आह्वान किया। इसने अपने एनडीसी को लागू करने के लिए 2030 से पहले ग्लोबल साउथ के देशों के लिए 5.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत और अकेले स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए चार ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत को रेखांकित किया। इसने विभिन्न पक्षों से 100 बिलियन की पेरिस प्रतिबद्धता को लागू करने और एक महत्वाकांक्षी, पता लगाने योग्य एवं पारदर्शी नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (एनसीक्यूजी) को निर्धारित करने का आह्वान किया। न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन के संबंध में, ऊर्जा परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के उच्चस्तरीय सिद्धांतों द्वारा संचालित ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर शुभारंभ किया गया। जी20 ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के शुभारंभ के लिए भी संदर्भ प्रदान किया।
प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के संबंध में, इसने जी20 2023 वित्तीय समावेशन कार्य योजना, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की प्रणालियों के लिए जी20 फ्रेमवर्क और एक वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे से संबंधित रिपॉजिटरी के निर्माण व रखरखाव की भारत की योजना का समर्थन किया। कम आय वाले देशों में डीपीआई के लिए क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और वित्त पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के वन फ्यूचर एलायंस (ओएफए) के भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया गया। क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए एक साझा एफएसबी एवं एसएसबी कार्ययोजना तथा एक व्यापक एवं समन्वित नीतियों एवं नियामक ढांचे के लिए एक रोडमैप निर्धारित किया गया।
जी20 ने संयुक्त राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को फिर से सुदृढ़ करने एवं उनमें सुधार करने, बड़े, बेहतर एवं अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंक प्रदान करने, आईडीए की महत्वाकांक्षी 21 पुनःपूर्ति सहित विकास वित्त में बिलियन से ट्रिलियन तक की लंबी छलांग लगाने और आईएमएफ शासन कोटा में सुधार को दिसंबर 2023 तक पूरा करने का संकल्प व्यक्त किया। विकासशील देशों के अभूतपूर्व 9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण के मामले को संबोधित करते हुए, जी20 ने जी20 की ऋण निलंबन पहल के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन का आह्वान किया और इससे आगे जाने पर सहमति व्यक्त की। 21वीं सदी के लिए विश्व स्तर पर निष्पक्ष, टिकाऊ एवं आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कराधान प्रणाली और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद एवं धन शोधन के मामले में उल्लेखनीय प्रगति हुई।
जी20 शिखर सम्मेलन ने यूक्रेन-रूस संघर्ष के मुद्दे पर आम सहमति का प्रतिनिधित्व किया और इस बात पर जोर दिया कि यह युद्ध का युग नहीं होना चाहिए। यह भरोसे के निर्माण की दृष्टि से एक बड़ी जीत है। इसने भारत को जी20 को सबसे अच्छे और सबसे बुरे समय में बेहद जरूरी वैश्विक आर्थिक सहयोग के एक 'प्रमुख मंच' के रूप में बहाल करने में समर्थ बनाया।
 

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