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ग्राम स्वराज की अवधारणा के साथ न्याय के पथ पर बढ़ता छत्तीसगढ़

विशेष लेख : 2 अक्टूबर महात्मा गांधी जन्म दिवस
महात्मा गांधी महामानव के साथ एक जीवन मूल्य भी है
(एल.डी. मानिकपुरी, सहायक जनसम्पर्क अधिकारी)

सत्य और अहिंसा के पुजारी के रूप में विश्व विख्यात महात्मा गांधी की आज जयंती है। भारत सहित पूरी दुनिया उनके आदर्शों और विचारों को जानने, समझने और स्वीकार करने में लगे हुए हैं।किंतु आज की परिस्थिति में यह कैसे संभव था कि अहिंसा और सत्य के बल पर इस महान देश को स्वतंत्रता मिली होगी! लेकिन सत्य भी है व इतिहास साक्षी है कि मोहनदास करमचंद गांधी की जीजिविषा ने, उनके आत्मबल ने अंग्रेजों की तानाशाही, जुल्म और गुलामी के खिलाफ उन्होंने अहिंसाऔर सत्य की मन्त्र को ही चुना और इस तरह करोड़ों भारतवासियों के महात्मा बन गए।
महात्मा गांधी को जानने, समझने, पढ़ने और उनको आत्मसात करने के लिए बड़े दिल और दिमाम की जरूरत है। महात्मा गांधी ने जहां आदिवासियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े तबकों की समस्याओं और जरूरत को न सिर्फ समझे बल्कि उन्होंने उस दौर में जीया भी। छुआछूत, ऊंचनीच, जाति-धर्म और रंग के खिलाफ मुखर होकर वैचारिक हथियार के दम पर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले महात्मा की आज हम सबकी जरूरत है।
जब हम ग्राम स्वराज की बात करते हैं, तब परम्परागत व्यवसाय, लोक संस्कृति, पर्व, खान-पान, बोली-भाषा को उचित मान और नई पीढ़ी को उससे जोड़कर रखना भी है। विगत पौने पांच बरस से छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार है। सरकार बनाते ही उन्होंने किसानों, ग्रामीणों, श्रमिकों, आदिवासियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गाे, युवाओं, महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए ऐसी नीति तैयार की है, जो आने वाली पीढ़ियों को न्यायसंगत अधिकार भी दे रही है।
जब न्याय की बात होती है तो थाना, अदालत, कोर्ट-कचहरी आंखों के सामने दिखाई पड़ती है, इसके बावजूद मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने साफ और स्पष्ट करते हुए है कि हमारी सरकार किसी के हक को मारकर आगे नहीं बढ़ेगी। साथ ही  जरूरतमंद लोगों और समाज के सभी वर्गों को सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, आर्थिक न्याय मिले इसके लिए सरकार हर समय डटे रहेगी । सम्भवतः यही वह रीति- नीति है, जो बापू के पथ पर चलने में मददगार साबित हुई है।
जब हम नीति और न्याय की बात करते हैं, तब विगत पौने पांच बरसों के आंकड़े ढूंढने लगते हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर जब यह देखने को मिलता है कि आदिवासियों का मुख्य आय का जरिया तेन्दूपत्ता, लघुवनोपज आदि उत्पाद का सही दाम और सही समय पर मिलने लगे हैं, वहां निवासरत रहने वाले लोगों के जीवनस्तर में बदलाव देखने को मिल रहा है तब यह सामाजिक न्याय बन जाता है और यह सरकार की उत्कृष्ट नीति, सार्थक निर्णय का ही परिणाम रहा है।
कभी सोचने में भी मुश्किल होता था कि एक गरीब व सामान्य परिवार के बच्चे भी प्रदेश के उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ेगा किंतु यह भी दूरदर्शी नीति और सकारात्मक निर्णय का ही परिणाम रहा है कि अब प्रदेश के लाखों बच्चे स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल में पढ़ाई के साथ अच्छी अधोसंरचना के साथ खेलकूद में भी भाग ले रहे हैं।
जब कभी सर्दी-खांसी, बुखार परिवार के किसी सदस्य को हो जाए तो कुछ पल के लिए परेशानी बढ़ जाती है लेकिन यह भूपेश सरकार की नीति ही है जिन्होंने अस्पताल को चौखट तक ला दिया। परिवार के किसी भी सदस्य को कोई गंभीर बीमारी हो जाए तो आर्थिक स्थिति बुरी तरह से चरमरा जाती है, लेकिन एक संवेदनशील और लोक कल्याणकारी सरकार की अवधारणा पर चलने वाली भूपेश सरकार ने मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना के तहत पात्र व जरूरतमंद मरीजो के लिए 25 लाख रूपए तक मदद करने की जो नीति तैयार की है, वह भी एक न्याय है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी देश की आर्थिक स्थिति में अक्सर असर डालता है। किंतु छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार की ही नीति रही है, जिन्होंने कोरोना जैसे विपदा के समय भी आम लोगों को भरपेट भोजन, मनरेगा व अन्य रोजगार मुहैया कराने में सफल हुए। प्रदेश के लाखों युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है, उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि रोजगार व स्वरोजगार करने में मदद मिले। छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर लगातार कम रहना प्रदेश के लिए गौरव की बात है, तो गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या में कमी होना भी एक सुखद परिणाम है।
लोगों की बुनियादी जरूरतों, भोजन, आवास, सड़क, बिजली, अस्पताल, स्कूल, पीने की साफ पानी, रोजगार पर आंकलन करते हैं। तब हमें वह स्कूल की दीवार भी दिखाई देती है जो विगत 13 बरसों से बंद थीं। राज्य सरकार की संवेदनशील पहल के कारण अब स्कूल भी खुल गई और शिक्षा की रोशनी भी चमकने लगी है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक सड़क और पुल-पुलिया, 24 घंटे बिजली और हर परिवार को पक्का आवास देने जैसे कार्य योजना ने राज्य सरकार की नीति को ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ में बदल दी।
कौन सोच सकता था कि प्रदेश में गोबर व गौमूत्र की भी खरीदी होगी, लेकिन यही नीति ने तो ग्रामीणों और पशुपालकों के जीवन स्तर को संवारने का काम तो किया ही, उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करने में भी बड़ा योगदान दिया है। सुराजी योजना, गोधन न्याय योजना ने तो देश के अन्य राज्यों को अपनी ओर खींचने को विवश किया। कई कार्यों के लिए भारत सरकार से सम्मान प्राप्त हुए और सराहना भी मिली। तब ऐसी नीति, निर्णय और न्याय से बापू के उस ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार ने जिस जुनून और परिश्रम के साथ जुटे हैं तब यहां के लोगों ने सहसा कहना शुरू कर दिए कि ‘भूपेश है तो भरोसा है।’ और इस तरह बापू के बताए मार्ग पर चलते हुए राज्य सरकार कुपोषण से छुटकारा पाने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान छेड़ा है तो अन्नदाताओं के उपज का सही दाम दिलाने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना और राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के माध्यम से इन परिवारों को आर्थिक मदद भी की जा रही है।
महात्मा गांधी जी को याद करते व श्रद्धांजलि देते समय, हमें यह संकल्प भी लेना होगा कि मीठी जुबान, सद्व्यवहार, सहयोग, सद्भाव, संवेदनशीलता, सहानुभूति, सत्य और अहिंसा ही वह शस्त्र है, जिनके बल पर समाज, प्रदेश व देश के विकास में अपनी योगदान दे सकते हैं।
महामानव बापू निश्चित ही इस धरती में भौतिक रूप में नहीं है लेकिन उनके विचार, सिद्धांत युगों-युगों तक अमर रहेगा। नमन बापू..।

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