इस वजह से मिली थी प्रवीण कुमार को महाभारत में भीम की भूमिका..
नई दिल्ली। अभिनेत्रा और पूर्व खिलाड़ी प्रवीण कुमार सोबती अब इस दुनिया में नहीं हैं। वे बी. आर. चोपड़ा के सीरियल महाभारत में भीम का किरदार निभाकर लोकप्रिय हुए थे। हालांकि उन्होंने 50 से ज्यादा फिल्में की थीं, लेकिन उन्हें असली पहचान 'महाभारत' का 'भीम' बनकर मिली थी। लेकिन एक खिलाड़ी को यह रोल कैसे मिला था, इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।
महाभारत सीरियल में काम करने के बारे में प्रवीण कुमार ने एक साक्षात्कार में बताया था कि 'एक दिन मेरे एक करीबी दोस्त ने मुझे बुलाया और कहा कि बीआर चोपड़ा सर 'महाभारत' बना रहे हैं। उन्होंने सारे कैरेक्टर्स के लिए कास्टिंग कर ली है, बस भीम के रोल के लिए कोई नहीं मिल रहा। उसने कहा कि तुम्हारी फिजीक अच्छी है और ऐक्टिंग एक्सपीरियंस भी है तो ट्राई करना चाहिए। मैंने अपॉइंटमेंट लिया और बीआर चोपड़ा सर से मिलने चला गया। मैं उनसे मिला और उन्होंने मुझे तुरंत साइन कर लिया। भीम के रोल के लिए मेरी फिजीक तो थी, लेकिन आवाज बड़ी समस्या थी।'
प्रवीण कुमार ने आगे कहा था, 'कुछ दिनों तक मैंने कुछ डायलॉग बोले, लेकिन क्रू ने आकर कहा कि वो किसी और से डबिंग करवा लेंगे। यह सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और कहा- मैं कोई मूर्ति नहीं हूं। मैं डायलॉग के बिना रोल नहीं करूंगा। मैंने उनसे रिक्वेस्ट की कि मुझे एक हफ्ते का टाइम दे दें। तो चोपड़ा साहब ने कहा कि ठीक है एक हफ्ते का टाइम ले लो, पर उसके बाद हम फाइनल फैसला लेंगे। मेरे पास बस एक हफ्ते का टाइम था। मैंने 'महाभारत ग्रंथ' खरीदा और जोर-जोर से लाइनें बोलकर घर में प्रैक्टिस करने लगा। उनमें कुछ मुश्किल शब्द भी थे। मैं उन्हें पेपर पर लिखकर, जोर-जोर से रिपीट करता था। एक हफ्ते बाद मैं जब 'महाभारत' के सेट पर गया तो सबको प्रभावित कर दिया।'
प्रवीण कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1981-82 में की थी। उन्होंने 50 से ज्यादा फिल्में कीं, जिनमें जितेंद्र से लेकर अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गजों के साथ काम किया। प्रवीण कुमार ने फिल्मों में ज्यादातर खलनायक का किरदार निभाया। इसके बाद प्रवीण कुमार 2013 में राजनीति में भाग्य आजमाया, लेकिन वे सफल राजनेता नहीं बन पाए।
वे पेंशन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से काफी नाराज थे। उन्होंने हाल ही में बताया था कि उन्हें केवल बीएसएफ की पेंशन मिलती है। उन्होंने कहा था कि पंजाब की जितनी भी सरकारें आईं, सभी से उनकी शिकायत है। जितने भी एशियन गेम्स या मेडल जीतने वाले प्लेयर थे, उन सभी को पेंशन दी, लेकिन उन्हें वंचित रखा गया, जबकि सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते। वो अकेले एथलीट थे, जिन्होंने कॉमनवेल्थ को रिप्रेजेंट किया। फिर भी पेंशन के मामले में उनके साथ सौतेला व्यवहार हुआ।
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