संगीत के शौक ने मनहर उधास को इंजीनियर से गायक बना दिया...
मुंबई। फिल्म इंडस्ट्री के जाने- माने पाश्र्व गायक मनहर उधास के गाने आज भी लोकप्रिय हैं। हिंदी के अलावा उन्होंने अपनी मातृभाषा गुजराती में भी खूब गाने गाए हैं। मशहूर गजल गायक पंकज उधास के बड़े भाई मनहर उधास आज अपना 79 वां जन्मदिन मना रहे हैं।
उनका जन्म 13 मई 1943 हुआ गुजरात में हुआ था। मनहर, पंकज और निर्मल उधास तीनों भाईओं को बचपन से ही गाने और बड़े-बड़े गायकों को सुनने का बेहद शौक था। 1960 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनहर नौकरी की तलाश में मुंबई गए। 1969 की फिल्म विश्वास के एक गीत से हिंदी फिल्मों में उन्हें गाने का मौका मिला। इसके बाद मुंबई में एसडी बर्मन के संगीत निर्देशन में उन्हेंन फिल्म अभिमान में लता मंगेशकर के साथ 'लूटे कोई मन का नगरÓ गीत गाने का मौका मिला। इस गाने से उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट गीत दिए।
अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि मुंबई में उन्होंने एक कंपनी में नौकरी की भी। इसी दौरान उनकी पहचान संजय लीला भंसाली से हुई। घर में संगीत का माहौल था। मनहर ने बताया-मैं उनके साथ बैठाना शुरू हो गया। मैं उन्हें गाकर सुनाता था। एक दिन उन्होंने कहा आपकी आवाज टेस्ट करना है। कमिटमेंट नहीं करते थे। मैंने गाना गाया। यह गाना फिल्म विश्वास के लिए गाया जा रहा था। हालांकि, मुझे बताया नहीं गया था। तीन-चार महीने बाद जब फिल्म आई तो मुझे पता चला। गाना मशहूर हुआ । इस तरह से इंडस्ट्री में मेरी एंट्री हुई। हालांकि इसके बाद संघर्ष का दौर जारी रहा।
अपनी बेहतरीन आवाज की वजह से मनहर उधास लोगों के बीच काफी मशहूर हो गए थे। एक समय ऐसा भी था जब उनका फिल्मी करियर ऊंचाई पर था। इसी दौरान उन्हें अचानक साईं भजन गाने का ऑफर मिला। उस समय उनका भजन गायन के प्रति रुझान नहीं था। लेकिन फिर बाद में उन्होंने फिर साईं के भजनों की पहली एलबम 'साईं अर्पणÓ तैयार की। इसके बाद उन्होंने लगातार भजनों की 30 एलबम रिकार्ड किए। सभी भजन लोकप्रिय हुए। उनकी आवाज में अलग ही अपनापन झलकता है। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के कई मशहूर गानों को अपने सुरों में पिरोया। मनहर उधास के गाए गानों में हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे, प्यार करने वाले कभी डरते नहीं, तू मेरा जानू है, इलु-इलु, मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू, तेरा नाम लिया जैसे मशहूर गीत शामिल हैं।
आज भले ही गायकों की भीड़ में उनकी आवाज सुनाई नहीं देती है, लेकिन उनके गाये गीत आज भी जुबां पर हैं।
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