चंद्रमुखी मेरी पहली फिल्म होनी चाहिए थी : प्रसाद ओक
मुंबई. मराठी फिल्मों के अभिनेता एवं निर्देशक प्रसाद ओक का कहना है कि 'चंद्रमुखी' के रूप में आखिरकार उन्हें एक ऐसी फिल्म बनाने के सपने को पूरा करने का मौका मिला जो महाराष्ट्र की लोक संस्कृति को उसकी राजनीति के साथ जोड़ती है। 'चंद्रमुखी' एक उभरते हुए राजनेता दौलत और एक प्रमुख 'तमाशा' गायिका एवं नर्तकी के जीवन पर आधारित एक संगीतमय प्रेम कहानी है, जिसकी पटकथा प्रसाद के सहयोगी चिनमय मांडलेकर ने लिखी है। फिल्म में आदिनाथ कोठारे और अमृता खानविलकर अहम भूमिका में नजर आएंगे। यह फिल्म प्रसिद्ध लेखक विश्वास पाटिल के इसी नाम के उपन्यास का ही एक रूपांतरण है।
प्रसाद ओक ने कहा, '' 'चंद्रमुखी' ही मेरी पहली फिल्म मानी जा रही है। पिछले 10 साल से अधिक समय से मैं कहानी के अधिकार हासिल करना चाहता था, लेकिन विश्वास पाटिल उस समय तैयार नहीं थे। मुझे लगा कि उन्हें मुझ पर उस समय विश्वास नहीं था। हो सकता है कि 'कच्चा लिम्बू' और 'हिरकानी' देखने के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया हो।'' प्रसाद (47) ने कहा कि पाटिल के काम के प्रति उनका लगाव तब शुरू हुआ जब उन्होंने पहली बार ‘रणांगन' (1999-2000) नामक उनके एक नाटक में अभिनय किया। वह जल्द ही पाटिल के प्रशंसक बन गए और 'पानीपत', 'जदाजादती', 'महानायक' और 'चंद्रमुखी' सहित उनके उपन्यासों को पढ़ना शुरू कर दिया। निर्देशक ने कहा, ‘‘मैं उनके लेखन का दीवाना हूं, जो बहुत आकर्षक होता है। मैं विश्वास पाटिल का एक बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। जब मैंने 2004 में 'चंद्रमुखी' उपन्यास पढ़ा, तो मैं उस पर एक फिल्म बनाना चाहता था और सोचा कि यह मेरी पहली फिल्म होनी चाहिए। लेकिन, मैं उस समय नया था और संघर्ष कर रहा था।'' प्रसाद ओक ने 2009 की कॉमेडी फिल्म ‘हे के ने के' के साथ निर्देशन की दुनिया में कदम रखा था। लेकिन, फिल्म ने व्यावसायिक रूप से अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।
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