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 जानिए  किसे उपवास रखना चाहिए और किसे नहीं.....
उपवास या व्रत शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर मे मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका उपवास यानि व्रत रखना है। उपवास गैस की समस्या को खत्म करता है और शरीर को स्वस्थ रखता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि उपवास के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।  विशेषज्ञ सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास करने की सलाह देते हैं। लेकिन यह बात हर किसी पर लागू नहीं होती है।   
 आपको कितने दिन व्रत रखना चाहिए, आयुर्वेद में इस बात के भी अलग-अलग आधार तय किए गए हैं, जो आपके शरीर में वात, पित्त और कफ दोषों के आधार पर तय होते हैं। आज हम जानेंगे कि किसे उपवास या व्रत रखना चाहिए और किसे नहीं
1. वात- वात दोष वाले लोगों को सप्ताह में तीन दिनों से अधिक समय तक उपवास नहीं करना चाहिए। दरअसल ऐसे लोगों के लंबे समय तक उपवास करने से शरीर में वात की विकृति हो सकती है, और शरीर में कमजोरी व घबराहट हो सकती है।
2. पित्त- पित्त दोष वाले लोगों को सप्ताह में चार दिन से ज्यादा उपवास नहीं करना चाहिए। चार दिनों से अधिक उपवास करने से शरीर में अग्नि तत्व बढ़ जाता है, जिससे गुस्सा आने के साथ-साथ चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
3. कफ- कफ दोष वाले लोग लंबे समय तक उपवास रख सकते हैं। उपवास रखने से वे अच्छा महसूस करते हैं और उनका ध्यान भी बेहतर होता है। यानि ऐसे लोग किसी काम को केंद्रित होकर कर पाते हैं।
4. हमारा पाचन तंत्र उपवास के समय आराम कर रहा होता है, इसलिए पाचन अग्नि पर दबाव न डालना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को महसूस करते हैं, तो उपवास बंद कर देना चाहिए।
5. यदि आपके पेट में दर्द, जलन या गैस्ट्राइटिस की समस्या महसूस हो, तो तुरंत उपवास रखना बंद कर दें। गैस्ट्राइटिस वह अवस्था है जिसमें म्यूकोसा और पेट में सूजन आती है यदि ऐसे में  उपवास करें, तो  उचित सावधानी भी बरतें।
6. यदि   उल्टी, चक्कर या बेहोश होने की स्थिति निर्मित हो रही है, तो यह संकेत है कि शरीर को ग्लूकोज की जरूरत है। उल्टी आने का लक्षण शरीर में गैस्ट्रिक जलन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन को दर्शाता है। ऐसे में  तुरंत उपवास खत्म कर देना चाहिए। अगर  व्रत नहीं तोड़ सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द फलों का जूस लें। फलों में प्राकृतिक रूप से सुक्रोज होता है, जो शरीर में ग्लूकोज की जरूरत को पूरा करता है।
7.  शरीर उपवास के लिए तैयार न हो तो उपवास न रखने में भलाई है। क्योंकि स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। छाती, पेट या पेट के आसपास दर्द से कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं।  
8. डायरिया यानि अतिसार, दस्त अक्सर गलत खान-पान, शरीर में पानी व पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। उपवास के दौरान डायरिया आपके द्वारा लिए गए फलों या भोजन की मात्रा या गुणवत्ता के कारण भी हो सकता है। ज्यादातर फल प्रकृति में ठंडे होते हैं, इसलिए श्वसन संबंधी समस्याओं से पीडि़त लोगों को ठंडी तासीर वाले फलों को खाने से बचना चाहिए। इसके कारण इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है। उपवास के दौरान इन सब लक्षणों को ध्यान में रखते हुए ही उपवास करें।
9. उपवास को कैसे तोड़ा जाए, यह जानना उपवास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उपवास के दौरान आपका शरीर आराम की अवस्था में होता है, इसलिए आपका पेट सिकुड़ जाता है और आंतें भी निष्क्रिय हो जाती हैं। इसलिए हल्के और कम खाने से शुरूआत करें, और धीरे-धीरे अन्?य चीजें खाएं। व्रत के दौरान आपको हल्का भोजन करना चाहिए। अगर आप अचानक से जानिए  किसे उपवास रखना चाहिए और किसे नहीं.....
उपवास या व्रत शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर मे मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका उपवास यानि व्रत रखना है। उपवास गैस की समस्या को खत्म करता है और शरीर को स्वस्थ रखता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि उपवास के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।  विशेषज्ञ सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास करने की सलाह देते हैं। लेकिन यह बात हर किसी पर लागू नहीं होती है।   
 आपको कितने दिन व्रत रखना चाहिए, आयुर्वेद में इस बात के भी अलग-अलग आधार तय किए गए हैं, जो आपके शरीर में वात, पित्त और कफ दोषों के आधार पर तय होते हैं। आज हम जानेंगे कि किसे उपवास या व्रत रखना चाहिए और किसे नहीं
1. वात- वात दोष वाले लोगों को सप्ताह में तीन दिनों से अधिक समय तक उपवास नहीं करना चाहिए। दरअसल ऐसे लोगों के लंबे समय तक उपवास करने से शरीर में वात की विकृति हो सकती है, और शरीर में कमजोरी व घबराहट हो सकती है।
2. पित्त- पित्त दोष वाले लोगों को सप्ताह में चार दिन से ज्यादा उपवास नहीं करना चाहिए। चार दिनों से अधिक उपवास करने से शरीर में अग्नि तत्व बढ़ जाता है, जिससे गुस्सा आने के साथ-साथ चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
3. कफ- कफ दोष वाले लोग लंबे समय तक उपवास रख सकते हैं। उपवास रखने से वे अच्छा महसूस करते हैं और उनका ध्यान भी बेहतर होता है। यानि ऐसे लोग किसी काम को केंद्रित होकर कर पाते हैं।
4. हमारा पाचन तंत्र उपवास के समय आराम कर रहा होता है, इसलिए पाचन अग्नि पर दबाव न डालना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को महसूस करते हैं, तो उपवास बंद कर देना चाहिए।
5. यदि आपके पेट में दर्द, जलन या गैस्ट्राइटिस की समस्या महसूस हो, तो तुरंत उपवास रखना बंद कर दें। गैस्ट्राइटिस वह अवस्था है जिसमें म्यूकोसा और पेट में सूजन आती है यदि ऐसे में  उपवास करें, तो  उचित सावधानी भी बरतें।
6. यदि   उल्टी, चक्कर या बेहोश होने की स्थिति निर्मित हो रही है, तो यह संकेत है कि शरीर को ग्लूकोज की जरूरत है। उल्टी आने का लक्षण शरीर में गैस्ट्रिक जलन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन को दर्शाता है। ऐसे में  तुरंत उपवास खत्म कर देना चाहिए। अगर  व्रत नहीं तोड़ सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द फलों का जूस लें। फलों में प्राकृतिक रूप से सुक्रोज होता है, जो शरीर में ग्लूकोज की जरूरत को पूरा करता है।
7.  शरीर उपवास के लिए तैयार न हो तो उपवास न रखने में भलाई है। क्योंकि स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। छाती, पेट या पेट के आसपास दर्द से कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं।  
8. डायरिया यानि अतिसार, दस्त अक्सर गलत खान-पान, शरीर में पानी व पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। उपवास के दौरान डायरिया आपके द्वारा लिए गए फलों या भोजन की मात्रा या गुणवत्ता के कारण भी हो सकता है। ज्यादातर फल प्रकृति में ठंडे होते हैं, इसलिए श्वसन संबंधी समस्याओं से पीडि़त लोगों को ठंडी तासीर वाले फलों को खाने से बचना चाहिए। इसके कारण इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है। उपवास के दौरान इन सब लक्षणों को ध्यान में रखते हुए ही उपवास करें।
9. उपवास को कैसे तोड़ा जाए, यह जानना उपवास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उपवास के दौरान आपका शरीर आराम की अवस्था में होता है, इसलिए आपका पेट सिकुड़ जाता है और आंतें भी निष्क्रिय हो जाती हैं। इसलिए हल्के और कम खाने से शुरूआत करें, और धीरे-धीरे अन्?य चीजें खाएं। व्रत के दौरान आपको हल्का भोजन करना चाहिए। अगर आप अचानक से भारी भोजन करजानिए  किसे उपवास रखना चाहिए और किसे नहीं.....
उपवास या व्रत शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर मे मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका उपवास यानि व्रत रखना है। उपवास गैस की समस्या को खत्म करता है और शरीर को स्वस्थ रखता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि उपवास के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।  विशेषज्ञ सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास करने की सलाह देते हैं। लेकिन यह बात हर किसी पर लागू नहीं होती है।   
 आपको कितने दिन व्रत रखना चाहिए, आयुर्वेद में इस बात के भी अलग-अलग आधार तय किए गए हैं, जो आपके शरीर में वात, पित्त और कफ दोषों के आधार पर तय होते हैं। आज हम जानेंगे कि किसे उपवास या व्रत रखना चाहिए और किसे नहीं
1. वात- वात दोष वाले लोगों को सप्ताह में तीन दिनों से अधिक समय तक उपवास नहीं करना चाहिए। दरअसल ऐसे लोगों के लंबे समय तक उपवास करने से शरीर में वात की विकृति हो सकती है, और शरीर में कमजोरी व घबराहट हो सकती है।
2. पित्त- पित्त दोष वाले लोगों को सप्ताह में चार दिन से ज्यादा उपवास नहीं करना चाहिए। चार दिनों से अधिक उपवास करने से शरीर में अग्नि तत्व बढ़ जाता है, जिससे गुस्सा आने के साथ-साथ चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
3. कफ- कफ दोष वाले लोग लंबे समय तक उपवास रख सकते हैं। उपवास रखने से वे अच्छा महसूस करते हैं और उनका ध्यान भी बेहतर होता है। यानि ऐसे लोग किसी काम को केंद्रित होकर कर पाते हैं।
4. हमारा पाचन तंत्र उपवास के समय आराम कर रहा होता है, इसलिए पाचन अग्नि पर दबाव न डालना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को महसूस करते हैं, तो उपवास बंद कर देना चाहिए।
5. यदि आपके पेट में दर्द, जलन या गैस्ट्राइटिस की समस्या महसूस हो, तो तुरंत उपवास रखना बंद कर दें। गैस्ट्राइटिस वह अवस्था है जिसमें म्यूकोसा और पेट में सूजन आती है यदि ऐसे में  उपवास करें, तो  उचित सावधानी भी बरतें।
6. यदि   उल्टी, चक्कर या बेहोश होने की स्थिति निर्मित हो रही है, तो यह संकेत है कि शरीर को ग्लूकोज की जरूरत है। उल्टी आने का लक्षण शरीर में गैस्ट्रिक जलन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन को दर्शाता है। ऐसे में  तुरंत उपवास खत्म कर देना चाहिए। अगर  व्रत नहीं तोड़ सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द फलों का जूस लें। फलों में प्राकृतिक रूप से सुक्रोज होता है, जो शरीर में ग्लूकोज की जरूरत को पूरा करता है।
7.  शरीर उपवास के लिए तैयार न हो तो उपवास न रखने में भलाई है। क्योंकि स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। छाती, पेट या पेट के आसपास दर्द से कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं।  
8. डायरिया यानि अतिसार, दस्त अक्सर गलत खान-पान, शरीर में पानी व पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। उपवास के दौरान डायरिया आपके द्वारा लिए गए फलों या भोजन की मात्रा या गुणवत्ता के कारण भी हो सकता है। ज्यादातर फल प्रकृति में ठंडे होते हैं, इसलिए श्वसन संबंधी समस्याओं से पीडि़त लोगों को ठंडी तासीर वाले फलों को खाने से बचना चाहिए। इसके कारण इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है। उपवास के दौरान इन सब लक्षणों को ध्यान में रखते हुए ही उपवास करें।
9. उपवास को कैसे तोड़ा जाए, यह जानना उपवास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उपवास के दौरान आपका शरीर आराम की अवस्था में होता है, इसलिए आपका पेट सिकुड़ जाता है और आंतें भी निष्क्रिय हो जाती हैं। इसलिए हल्के और कम खाने से शुरूआत करें, और धीरे-धीरे अन्?य चीजें खाएं। व्रत के दौरान आपको हल्का भोजन करना चाहिए। अगर आप अचानक से भारी भोजन करते हैं, तो आपको अपच हो सकती है। यह बात हमेशा याद रखें कि स्वस्थ तरीके से उपवास करने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और  शरीर में हल्कापन व मन में स्पष्टता विकसित होती है। उपवास कब्ज से राहत देने में भी मदद करता है।
---ते हैं, तो आपको अपच हो सकती है। यह बात हमेशा याद रखें कि स्वस्थ तरीके से उपवास करने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और  शरीर में हल्कापन व मन में स्पष्टता विकसित होती है। उपवास कब्ज से राहत देने में भी मदद करता है।
---भारी भोजन करते हैं, तो आपको अपच हो सकती है। यह बात हमेशा याद रखें कि स्वस्थ तरीके से उपवास करने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और  शरीर में हल्कापन व मन में स्पष्टता विकसित होती है। उपवास कब्ज से राहत देने में भी मदद करता है।
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