ऑफिस में काम करते समय आती है नींद, तो ये टिप्स आएंगे काम
अक्सर लोगों की शिकायत होती है कि उन्हें ऑफिस में काम करते समय बहुत नींद आती है। लगातार बैठे बैठे काम करने से आपका शरीर सुस्त होने लगता है, जिससे आप बार बार जम्हाई लेते हैं और पलकें भारी होने लगती हैं। आंखें बंद होने लगती है। यह नींद आने के लक्षण होते हैं। ऑफिस में नींद आना काम में लापरवाही नहीं बल्कि शरीर की सुस्ती है। अधिकतर लंच के बाद या दोपहर में नींद आती है। ऑफिस में आप किसी जरूरी मीटिंग में हो या फिर किसी कॉन्फ्रेंस में, नींद कभी भी आ सकती है। ऐसे में आप जो भी काम कर रहे हैं, उसमें तो गलती हो ही सकती है, साथ ही अगर आपके सीनियर या बाॅस ने सोते हुए देख लिया तो डांट भी पड़ सकती है। इसलिए ऑफिस में नींद आने की समस्या का समाधान निकाल लें, इससे आप काम के दौरान ऊर्जावान तो रहेंगे ही, साथ ही शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
ऑफिस में नींद आने की वजह-----------------
-विशेषज्ञों के मुताबिक ऑफिस में नींद आने के पीछे की वजह होती है, लगातार एक ही जगह पर बैठे-बैठे काम करना।
-शारीरिक थकान के कारण नींद आती है।
-काम में मन न लगने के कारण या मस्तिष्क की थकान के कारण नींद आ सकती है।
ऑफिस में नींद की समस्या से कैसे पाए छुटकारा-------------
डेस्क स्ट्रेचिंग
लगातार काम करते करते आपका शरीर थक जाता है। खासकर खाना खाने के बाद आपको अधिक थकान महसूस होती है। ऐसे में भोजन पचाने और थकान को दूर करने के लिए आपको डेस्क स्ट्रेचिंग करनी चाहिए। डेस्क स्ट्रेचिंग से आपकी मांसपेशियां लचीली होती है। जिससे शरीर में रक्त प्रवाह बनता है और ऊर्जा मिलती है। इसमें आप फुट पंप, नेक रोल और आर्म सर्कल अपना सकते हैं। इन स्ट्रेचिंग से शरीर में गतिशीलता बनी रहती है।
10-15 मिनट टहलें
कनाडा की एक यूनिवर्सिटी में हुए शोध के मुताबिक, हर घंटे में लगभग 15 मिनट आपको खड़े होना चाहिए। लगातार डेस्क पर बैठे बैठे काम करने से शरीर सुस्त हो जाता है। ऐसे में काम के बीच में समय निकाल कर कुछ देर टहले। पैदल चले या फिर खड़े होकर काम करें। इससे आपकी हार्ट बीट बढ़ती है जो थकान को कम करने में काम आती है। वहीं शरीर भी वॉक करने से स्वस्थ रहता है।
सूरज की रोशनी है जरूरी
एक कमरे या हॉल में लगातार काम करने से भी सुस्ती महसूस होती है। शोध के मुताबिक, सूरज की रोशनी शरीर में सेरोटोनिन के लेवल को बढ़ाती है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। इसलिए काम के बीच जब टहलने के लिए उठे तो बाहर निकलें या छत पर जाकर टहलें। यहां खुली हवा और सूरज की रोशनी आपके मूड को बेहतर बनाकर सकारात्मकता का प्रवाह करती है।
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