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 बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, किसे कितनी देर एक्सरसाइज करना चाहिए?
-डब्ल्यूएचओ ने जारी की नई गाइडलाइन
  कोरोना वायरस के कारण जब पूरी दुनिया अपने घरों में है और गतिहीन जीवन जी रही है, इसका गहरा असर लोगों के स्वास्थ्य पर हो रहा है। इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने हर उम्र के लोगों के लिए गाइडलाइन्स जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें, तो अगर दुनियाभर के लोग रोज बस कुछ घंटे ही एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी   करें, तो हर साल लगभग 50 लाख लोगों की मृत्यु कम होगी। साथ ही इस गाइडलाइन्स में बच्चों से लेकर गर्भवति महिलाओं तक के लिए शारीरिक गतिविधियों के महत्व को बताया गया है। 
 बच्चों और किशोरों के लिए गाइडलाइन्स
बच्चों और किशोरों यानी कि 5 से 17 वर्ष की आयु के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि पहले तो, बच्चों में बैठने वाली गतिविधियों में कमी लाएं। इसके लिए टीवी देखने और मोबाइल चलाने के समय में कमी करवाएं। फिर रोज 60 मिनट एरोबिक एक्सरसाइज या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। इससे उनके शरीर को कई लाभ होंगे, जैसे कि
 - बेहतर फिटनेस होगी 
- ब्लड प्रेशर, ग्लूकोज और इंसुलिन सेंसिटिविटी में  कमी आएगी।
-हड्डी का स्वास्थ्य बेहतर होगा।
- संज्ञानात्मक और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहेगा।
 वयस्कों के लिए
वयस्कों के लिए फिजिकल एक्टिविटी का न करना उन्हें लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार बना सकता है।  इसलिए उम्र बढऩे के साथ जरूरी ये है कि 18 से 64 वर्ष की आयु के वयस्क हर रोज 2 से 5 घंटे तक धीमी गति वाले एरोबिक एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी करें। इससे डाइप-2 डायबिटीज,  हृदय रोग और कैंसर के कारण होने वाले मृत्यु दर में कमी आएगी। इसके लिए जरूरी है कि वयस्कों को बैठने रहने वाले गतिविधियों को करने से बचना चाहिए और इसकी जगह सीढ़ी चढऩे, दौडऩे और चलने वाली गतिविधियों को ज्यादा करना चाहिए।
 सीनियर सिटीजन 
65 वर्ष और इससे अधिक आयु वाले लोगों को अक्सर हड्डियों से जुड़ी परेशानियां रहती हैं। इसके लिए जरूरी ये है कि उम्र बढऩे के साथ हम ज्यादा से ज्यादा एक्टिव रहने की कोशिश करें। कम से कम 5 घंटे से ज्यादा मोडरेट इंटेसिटी वाले फिजिकल एक्टिविटी तो जरूर करें। सीनियर सिटीजन में इन गतिविधियों को करने से उनके हार्ट रेड व हाई ब्लड प्रेशर में कमी आएगी, नींद से जुड़ी परेशानियां कम होंगी और वे अल्जाइमर जैसी मानसिक बीमारियों से बचे रहेंगे।
 प्रेग्नेंट और प्रसवोत्तर महिलाओं में
विश्व स्वास्थ्य संगठन  ने  गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं (प्रसव के बाद) में, शारीरिक गतिविधियों को करने से विभिन्न लाभों के बारे में बताया है। डब्ल्यूएचओ  की गाइडलाइन्स में बताया गया है कि पे्रग्नेंट महिलाओं को हफ्ते में कम से कम 150 मिनट एरोबिक एक्सरसाइज करना चाहिए। इससे प्री-एक्लेमप्सिया, गर्भकालीन मधुमेह, वजन बढऩा और प्रसव संबंधी जटिलताएं में कमी आ सकती है। इसी तरह उन्हें प्रसव के बाद भी गतिहीन लाइफस्टाइल फॉलो करने से बचना चाहिए।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन  की मानें, तो कोरोना वायरस के कारण जब लोगों की जिंदगी गतिहीन हो गई है तो, जरूरी है कि हम खुद को  एक्टिव रहने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे हमारे शरीर में संतुलन और समन्वय बना रहेगा। इसके अलावा नियमित शारीरिक गतिविधि करना हृदय रोग, टाइप -2 मधुमेह, अवसाद और स्ट्रेस को कम कर सकता है। साथ ही ये संज्ञानात्मक गिरावट को कम करने, स्मृति में सुधार और मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए भी जरूरी हैं।
 डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडहोम कहते हैं कि 'हर कदम मायने रखता है, खासकर अब जब हम कोविड-19 महामारी से लड़ रहे हैं। हम सभी को हर दिन सुरक्षित और रचनात्मक रूप से आगे बढऩा चाहिए।  सभी शारीरिक गतिविधि फायदेमंद है। चाहे बात घरेलू काम की हो या खेल या डांस की, हमें ज्यादा से ज्यादा एक्टिव रहने की कोशिश करनी चाहिए।'' तो, हेल्दी रहने के लिए एक्टिव बने रहें।

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