टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से घरेलू कीमतों पर दबाव कम होगा : अधिकारी
नई दिल्ली। टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और गैर-बासमस्ती व उसना चावल को छोड़कर अन्य के निर्यात की खेप पर शुल्क से स्थानीय आपूर्ति बढ़ेगी और घरेलू कीमतों पर दबाव कम होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा रखे गए आंकड़ों के अनुसार, 14 सितंबर को थोक मूल्य 10.7 प्रतिशत बढ़कर 3,357.2 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जो एक साल पहले 3,047.32 रुपये प्रति क्विंटल था। खुदरा भाव 9.47 प्रतिशत बढ़कर 38.15 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है जो पहले 34.85 रुपये प्रति किलोग्राम है। पशुओं के चारे के दाम भी बढ़ गए हैं। मक्का की कीमत एक जनवरी, 2022 को 19 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर आठ सितंबर, 2022 को 24 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। इसी अवधि के दौरान टूटे चावल की कीमत भी 16 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 22 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। सरकारी गोदामों में पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के चालू खरीफ सत्र में चावल के उत्पादन में 60-70 लाख टन की संभावित गिरावट के बाद स्थानीय कीमतों में तेजी आई है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद स्थानीय चावल की कीमतों में स्थिरता आनी शुरू हो गई है। कुछ शहरों में हमने कीमतों में मामूली गिरावट भी देखी है।'' पिछले सप्ताह खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि टूटे चावल के निर्यात में ‘बिल्कुल असामान्य' वृद्धि हुई है। इस महीने की शुरुआत में लगाया गया प्रतिबंध देश के कुछ हिस्सों में अधिक वर्षा और बारिश की कमी दोनों के कारण धान की कम खेती के रकबे के मद्देनजर इस साल खरीफ चावल के उत्पादन में संभावित गिरावट की पृष्ठभूमि में आया था। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह तक धान का रकबा 4.95 प्रतिशत घटकर 393.79 लाख हेक्टेयर रह गया है। हालांकि, सरकार द्वारा फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में खरीफ चावल के उत्पादन का अनुमान आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया है, लेकिन अधिकारी ने कहा कि धान की बुवाई के रकबे में गिरावट और वर्तमान फसल की स्थिति के आधार पर कुल खरीफ चावल उत्पादन में 60-70 लाख टन की गिरावट हो सकती है।

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