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इस बार दुर्गा पंडाल में  कोलकाता के औपनिवेशिक युग के घरों की  झलक देखने को मिलेगी


 नयी दिल्ली।  कोलकाता के औपनिवेशिक युग के घरों की एक झलक चाहते हैं? तो... इस दुर्गा पूजा में दिल्ली के चितरंजन पार्क पहुंचें जहां कारीगर झीनी खिड़कियों, प्रांगण और सीढ़ियां युक्त थीम-आधारित पंडाल को अंतिम रूप दे रहे हैं। शहर में एक अन्य दुर्गा पूजा आयोजन समिति कार्डबोर्ड, लकड़ी से निर्मित डिस्पोजेबल चम्मच और चावल की भूसी से पर्यावरण के अनुकूल पंडाल बना रही है। कोविड के चलते दो साल की खामोशी के बाद दिल्ली नवरात्रि और दुर्गा पूजा को उत्साह के साथ मनाने के लिए तैयार है, वहीं कारीगरों को महामारी के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की उम्मीद है। चितरंजन पार्क के सहकारी मैदान में दुर्गा पूजा समिति के सचिव सौरव चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘पंडाल कोलकाता के पारंपरिक घर की तरह दिखेगा। हम विशेष रूप से झीनी खिड़कियों और औपनिवेशिक युग के लोहे के ताले और दरवाजों के लिए जंजीरों जैसी विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।'' सहकारिता मैदान में खाने, साड़ियों और खिलौनों के स्टॉल लगाए गए हैं तथा दो साल में पहली बार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी योजना बनाई गई है।
चितरंजन पार्क के के-ब्लॉक में एक पूजा पंडाल को कागज, कार्डबोर्ड, लकड़ी से निर्मित डिस्पोजेबल चम्मच और चावल की भूसी से डिजाइन किया जा रहा है। के-ब्लॉक पंडाल को सजाने वाली टीम का हिस्सा रहे पिंटू हलदर ने कहा, ‘‘हम इसे हंसों से सजा रहे हैं जो हमने कागज की लुग्दी से बनाए हैं। देवी दुर्गा के चेहरे को कार्डबोर्ड पर चावल की भूसी के साथ डिजाइन किया जा रहा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों में हममें से अधिकतर के पास काम नहीं था। इस साल, हम नुकसान की भरपाई होने की आशा कर सकते हैं।'' उन्होंने कहा कि इस साल समारोह के लिए आयोजकों में उत्साह है। के-ब्लॉक में एक अन्य पूजा पंडाल के डिजाइनर राकेश डे ने कहा कि कुछ थीम आधारित पूजा पंडालों को डिजाइन करने में आमतौर पर एक महीने का समय लगता है। उन्होंने कहा, ‘‘महामारी से पहले, हमें काम पूरा करने में कम से कम दो महीने लगते थे। लेकिन इस बार, हम ऑर्डर की संख्या के बारे में निश्चित नहीं थे।'' न्यू अशोक नगर में इस साल के पंडाल की थीम पर्यावरण के अनुकूल रही है। आयोजकों में से एक ने कहा कि पंडाल और दुर्गा की मूर्तियों के निर्माण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री ‘पर्यावरण के अनुकूल' है। न्यू अशोक नगर में दुर्गा पूजा के मूर्तिकार मनोज प्रधान ने कहा, ‘‘मूर्ति मिट्टी का उपयोग करके बनाई जा रही है। हम प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग बिलकुल नहीं कर रहे हैं। मूर्तियों को पेंट करने के लिए वाटर कलर का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि इसे सबसे सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल माध्यमों में से एक माना जाता है।'

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