अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए उपलब्धियों भरा रहा वर्ष 2022, अगले साल से भी कई उम्मीदें
नयी दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2023 में विज्ञान प्रयोगों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। इस साल सूर्य को समर्पित ‘आदित्य' और चंद्रमा को समर्पित चंद्रयान-3 मिशनों पर काम किया जाएगा। दूसरी ओर स्टार्ट-अप सेक्टर अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित अनुप्रयोगों के मामले में ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है। आगामी वर्ष भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान परियोजना ‘गगनयान' से संबंधित प्रयोगों की एक श्रृंखला का भी गवाह बनेगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस महीने संसद को बताया था कि इसरो अगले साल की शुरुआत में कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल परीक्षण स्थल से पुन: प्रक्षेपित होने वाले वाहन का पहला रनवे लैंडिंग प्रयोग (आरएलवी-एलईएक्स) करने की योजना बना रहा है। इस साल भारतीय स्टार्टअप ने भी अंतरिक्ष क्षेत्र में दस्तक दी है। एक ओर ‘स्काईरूट एयरोस्पेस' ने ‘विक्रम-एस' रॉकेट का प्रक्षेपण किया, जो किसी निजी कंपनी द्वारा किया गया पहला रॉकेट प्रक्षेपण था, तो दूसरी ओर पिक्सल नामक कंपनी ने अप्रैल में स्पेसएक्स कंपनी के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए अपने ‘हाइपरस्पेक्ट्रल' उपग्रह शकुंतला का प्रक्षेपण किया। वहीं, नवंबर में पिक्सल ने इसरो के पीएसएलवी के जरिए आनंद नामक ‘हाइपरस्पेक्ट्रल' उपग्रह प्रक्षेपित किया। निजी रूप से विकसित भारत के पहले रॉकेट को नवंबर में प्रक्षेपित करने वाली कंपनी ‘स्काईरूट एयरोस्पेस' अगले साल एक ग्राहक के लिए उपग्रह कक्षा में भेजने की योजना पर काम कर रही है, जबकि आईआईटी-मद्रास कैंपस में शुरू हुआ स्टार्ट-अप ‘अग्निकुल कॉसमॉस' भी अपने अग्निबाण रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए तैयार है। पिक्सल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवैस अहमद ने कहा, “हम छह वाणिज्यिक हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजरी उपग्रह विकसित कर रहे हैं, जो अगले साल प्रक्षेपण के लिए तैयार होंगे।” अहमद ने कहा कि दुनिया भर में कई और रॉकेट कंपनियां प्रक्षेपण करेंगी, जिससे रॉकेट प्रक्षेपण की दौड़ को बढ़ावा मिलेगा। फिलहाल अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने की दौड़ में कुछ ही कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां देश में विशाल अंतरिक्ष अनुप्रयोग बाजार पर नजर गड़ाए हुए हैं, जिसपर अब तक इसरो का ही दबदबा रहा है। ये कंपनियां पृथ्वी अनुसंधान क्षेत्र, छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए रॉकेट विकसित करने, उपग्रहों के लिए सस्ता ईंधन उपलब्ध कराने और पर्यटकों को अंतरिक्ष यात्रा पर ले जाने तक की योजना पर काम कर रही हैं। ‘ध्रुवस्पेस' के मुख्य वित्तीय अधिकारी चैतन्य डोरा सुरापुरेड्डी ने बताया, ''नवोन्मेषी अंतरिक्ष अनुप्रयोगों की संभावना बहुत अधिक है। खासकर अगर स्थापित अंतरिक्ष कंपनियां पारंपरिक रूप से अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम नहीं करने वालीं दवा निर्माता और कृषि कंपनियों के साथ साझेदारी या कारोबार करती हैं, तो इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं।” भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त) ने कहा, “भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या पहले ही 100 को पार कर चुकी है और इन स्टार्टअप ने 24.535 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि जुटाई है।” वर्ष 2022 में, अंतरिक्ष उद्योग को कुछ मील के पत्थर हासिल करते हुए देखा गया। इस साल न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) द्वारा गठित अंतरिक्ष समूह को मंजूरी प्रदान की। साथ ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अगले पांच पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (सीएसएलवी) के व्यावसायिक विकास के लिए 860 करोड़ रुपये का अनुबंध किया। कुल मिलाकर यह साल अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए उपलब्धियों भरा रहा। अगले साल में भी इस क्षेत्र में इसी तरह की उपलब्धियां हासिल करने की उम्मीद की जा रही है।
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