एसबीआई ने सावधि जमा दरें बढ़ाईं, अब इतना मिलेगा ब्याज
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक साल की खुदरा सावधि जमाओं पर ब्याज दर 25 से 75 आधार अंक बढ़ा दी हैं, जो बुधवार, 15 मई से लागू हो गई हैं। एसबीआई के इस कदम के बाद दूसरे बैंक भी जमा दरें बढ़ा सकते हैं। एसबीआई 46 से 179 दिन में पूरी होने वाली 2 करोड़ रुपये तक की खुदरा सावधि जमा पर अब 4.75 फीसदी की जगह 5.5 फीसदी ब्याज देगा। 180 से 210 दिन की सावधि जमा पर ब्याज दर 5.75 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दी गई है। इसी तरह 211 दिन से लेकर एक साल से कम अवधि की जमा पर 6 फीसदी के बजाय 6.25 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाएगा।
2 करोड़ रुपये और उससे अधिक की थोक जमाओं में अल्पावधि से मध्यम अवधि के लिए ब्याज दरें 10 से 50 आधार अंक बढ़ाई गई हैं।
एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ऋण की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जमा दरें बढ़ाई गई हैं। उन्होंने कहा, ‘बाजार में तरलता जैसी मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखकर ब्याज दरों पर निर्णय किया गया है।’
अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक दरें नीचे आने की संभावना है। इसलिए खुदरा श्रेणी में कम अवधि वाली जमाओं पर ही ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं। बैंक मध्यम अवधि और लंबे समय की जमा पर ऊंची ब्याज दर के पक्ष में नहीं है।
इडिया रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बैंकिंग प्रणाली में जमा दरें ऊंची ही रह सकती हैं। एजेंसी ने कहा कि कर्ज की अधिक मांग के कारण कम से कम वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में तो दरें कम होती नहीं दिख रही हैं। एजेंसी के अनुसार नीतिगत दरों में अधिक कमी की गुंजाइश कमजोर पड़ने से बैंकिंग तंत्र में दरें अधिक रहनी चाहिए।
बैंक ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जब देश के सबसे बड़े बैंक ने जमा दरें बढ़ाई हैं तो दूसरे बैंक भी ऐसा करेंगे। बैंकों के बीच दरों की होड़ चल रही है और म्युचुअल फंड से भी उन्हें टक्कर मिल रही है।’
मार्च 2024 के अंत तक एसबीआई में जमा रकम साल भर पहले की तुलना में 11.13 फीसदी बढ़कर 49.16 करोड़ रुपये हो गई और ऋण आवंन 15.24 प्रतिशत बढ़ा। एसबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान जमा में 12-13 फीसदी तथा ऋण आवंटन में 14 से 16 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। अप्रैल 2024 में मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर जे स्वामीनाथन ने कहा था कि बैंक जमा जुटाने में काफी सक्रिय रहे हैं क्योंकि जमा एवं ऋण आवंटन में वृद्धि के बीच 3 से 3.5 फीसदी तक अंतर है।
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