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भारत अगले वित्त वर्ष में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा: सान्याल

नयी दिल्ली.  प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के सदस्य संजीव सान्याल ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत 2024-25 में 4,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा और अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। सान्याल ने यह भी कहा कि कमजोर निर्यात समेत विभिन्न चुनौतियों को देखते हुए देश के लिए सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर अच्छी वृद्धि दर होगी। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘निश्चित रूप से चालू वित्त वर्ष में हम 4,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था होंगे।'' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि भारत 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत वर्तमान में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बाजार मूल्य पर अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 3,700 अरब डॉलर है। सान्याल ने कहा कि जापान अब 4,100 अरब डॉलर के साथ हमसे थोड़ा ही आगे है।
उन्होंने कहा, ‘‘या तो अगले साल की शुरुआत में या इसी साल, हम जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।'' सान्याल ने कहा कि जर्मनी 4,600 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है और यह बढ़ नहीं रही है। इस लिहाज से यह एक स्थिर लक्ष्य है। उन्होंने कहा, ‘‘शायद दो साल में हम जर्मनी से आगे निकल जाएंगे। इसलिए, मुझे लगता है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के मामले में, हम अब लक्ष्य के काफी करीब हैं।'' सान्याल ने तर्क दिया कि सरकार को आर्थिक वृद्धि को आठ-नौ प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए किसी भी वित्तीय कदम पर जोर नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप इसे समझ गए, तो बढ़िया है, लेकिन समय के साथ लगभग सात प्रतिशत की वृद्धि एक बहुत अच्छी वृद्धि दर है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें नौ प्रतिशत को वृद्धि लेकर बहुत उत्साहित नहीं होना चाहिए।''
सान्याल ने कहा कि वृद्धि पर वृद्धि (चक्रवृद्धि) होना सबसे महत्वपूर्ण चीज है क्योंकि इससे नौकरियां सृजित होंगी और कर संग्रह बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और फिच रेटिंग्स ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स और मॉर्गन स्टेनली ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी विशेष वर्ष में बहुत ऊंची वृद्धि दर हासिल करने की कोशिश को लेकर भावुक होने की जरूरत नहीं है।'' सान्याल ने उदाहरण देते हुए कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया में अन्य देश भी हैं, जो 90 के दशक के मध्य में हमारी स्थिति में थे। उन्होंने कहा, ‘‘आपको इंडोनेशिया, थाइलैंड आदि देशों की वृद्धि याद होगी। कुछ समय तक वे बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। और फिर एशियाई संकट में यह सब खत्म हो गया।'' रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से जुड़े एक सवाल के जवाब में सान्याल ने कहा कि यह रुपये को अधिक मांग वाली मुद्रा में बदलने के बारे में है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आंकाक्षा अगले दशक में अन्य कई मुद्राओं की तरह रुपये को ऐसी मुद्रा बनाने की आकांक्षा है, जिसकी दूसरे देशों में मांग हो। हम दुनिया की प्रमुख मुद्रा बनने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।

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