दिल्ली में झारखंड के मरीज की रोबोट की मदद से हुई घुटना प्रतिरोपण सर्जरी
पहले ही दिन चलने लगा
नयी दिल्ली. पिछले आठ वर्षों से घुटने के गंभीर दर्द से जूझ रहे झारखंड के 54 वर्षीय एक व्यक्ति ने यहां रोबोट की सहायता से सीमेंटरहित ‘मीडियल पिवट टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी (घटना प्रतिरोपण संबंधी ऑपरेशन) करवाई है और उसी दिन उसने चलना भी शुरू किया। झारखंड के धनबाद के 54 वर्षीय बृज किशोर आठ साल से अधिक समय से घुटने के दर्द और अन्य संबंधित परेशानियां से जूझ रहे थे। किशोर ने बताया कि इस दौरान, उन्होंने स्थानीय डॉक्टरों से इलाज करवाया, होम्योपैथिक दवाइयां भी लीं और यहां तक कि चिकित्सा परामर्श के लिए कोलकाता भी गए तथा आखिरकार, वह दिल्ली आ गए। यहां उनकी 23 जून को साकेत के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सर्जरी हुई।
अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उनके दोनों घुटनों में गंभीर ‘ऑस्टियोआर्थराइटिस' के साथ-साथ ‘वारस (धनुष-पैर)' और ‘फ्लेक्सन (घुटने मुड़े हुए)' संकुचन जैसी जटिल विकृतियां सामने आयीं। वह बिना सहारे के चलने में असमर्थ थे। इस सर्जरी का नेतृत्व ‘मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट' के अध्यक्षन डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी ने किया, जिन्होंने मरीज की गतिशीलता बहाल करने के लिए सीमेंटरहित ‘मीडियल पिवट क्रूसिएट-रिटेनिंग (सीआर) इम्प्लांट' के साथ-साथ उन्नत रोबोटिक तकनीक (सीयूवीआईएस रोबोटिक सिस्टम) का इस्तेमाल किया। भट्टाचार्जी ने कहा कि यह ‘इम्प्लांट (प्रतिरोपित कृत्रिम अंग)' का डिजाइन इसके चारों ओर प्राकृतिक हड्डी के विकास की अनुमति देता है, जिससे पारंपरिक सीमेंट की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और बेहतर दीर्घकालिक परिणाम मिलते हैं। उन्होंने दावा किया, ‘‘दुनिया में रोबोटिक संयुक्त प्रतिस्थापन में यह पहली बार हुआ है। रोबोट द्वारा सक्षम सटीकता और सीमेंटरहित ‘इम्प्लांट' के उपयोग से मरीज तेजी से स्वस्थ हुआ ..।'' डॉ. भट्टाचार्जी ने कहा,‘‘सर्जरी से पहले वह मुश्किल से चल पा रहा था। लेकिन ऑपरेशन के दिन ही, वह सहायता के साथ चलने में कामयाब हो गया। कुछ ही दिनों में, वह नए आत्मविश्वास के साथ स्वतंत्र रूप से चलने लगा।'
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