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भारतीय वैज्ञानिकों ने बच्चों में दुर्लभ USP18 जीन म्यूटेशन की पहचान की

  नई दिल्ली।  भारतीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने बच्चों में बार-बार होने वाली न्यूरोलॉजिकल गिरावट (recurrent neurological decline) से जुड़ी USP18 जीन में दुर्लभ म्यूटेशन की पहचान की है। दुनिया में इस तरह के केवल 11 मामले अब तक दर्ज किए गए थे, और भारत में यह पहला मामला है।यह शोध इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (बेंगलुरु) द्वारा रामजस कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) और रेडक्लिफ लैब्स के सहयोग से किया गया है। अध्ययन को जर्नल Clinical Dysmorphology में प्रकाशित किया गया है।

कौन-सा रोग है इससे जुड़ा?
यह म्यूटेशन Pseudo-TORCH syndrome type-2 से संबंधित है—
एक अत्यंत दुर्लभ आनुवंशिक रोग, जिसमें बच्चों में ऐसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखते हैं जो जन्मजात संक्रमण जैसे लगते हैं, जबकि कोई संक्रमण होता नहीं है।
USP18 जीन आमतौर पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है।जब यह जीन ठीक से काम नहीं करता, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक सक्रिय हो जाती है और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाती है।
अध्ययन में मिला नया म्यूटेशन
शोधकर्ताओं ने USP18 जीन में पहले कभी रिपोर्ट न हुए c.358C>T (p.Pro120Ser) वेरिएंट की पहचान की।
यह खोज बीमारी के कारणों को समझने में महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है।
डॉक्टरों ने क्या कहा?
डॉ. व्यकुंतराजु के. गौड़ा (पेडियाट्रिक न्यूरोलॉजी, IGICH) ने कहा:“सालों तक हम सिर्फ लक्षणों के आधार पर इलाज करते रहे। अब इस दुर्लभ USP18 म्यूटेशन की पहचान ने निदान को बदल दिया है और बच्चे के भविष्य को भी।”उन्होंने बताया कि इस खोज से:
गलत या अनावश्यक इलाज से बचाव,
सही थेरेपी का चयन,
और परिवारों को सटीक जेनेटिक काउंसलिंग देने में मदद मिलेगी।
कैसे पता चला यह म्यूटेशन?
शोध एक 11 वर्षीय बच्ची के मामले से शुरू हुआ, जिसमें शैशवावस्था से ही ये लक्षण थे:
बार-बार बुखार के साथ बेहोशी के दौरे
दौरे (seizures)
विकास में देरी
सिर का छोटा आकार
समय के साथ दिमाग में कैल्शियम जमा होना
उसके लिए एक्सोम सीक्वेंसिंग और माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम सीक्वेंसिंग की गई, जिससे यह नया म्यूटेशन सामने आया।
शोधकर्ताओं के अनुसार
डॉ. हिमानी पांडे, सह-अनुसंधानकर्ता, ने बताया:
“यह USP18 म्यूटेशन के कारण बार-बार होने वाली febrile encephalopathy का दुनिया में पहला मामला है।”
यह शोध यह भी दर्शाता है कि जिन बच्चों में कारण स्पष्ट न होने पर न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ दिखती हैं, उनमें जल्दी जेनेटिक टेस्टिंग बेहद महत्वपूर्ण है।
 
 
 
 

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