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 कश्मीर में आर्थिक प्रगति आएगी और सरकार का हालिया फ़ैसला इसमें मददगार साबित होगा- प्रधानमंत्री

नई दिल्ली  । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी किए जाने के बाद पहली बार चीन-अमरीका, कश्मीर और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी है. पीएम मोदी ने कहा है कि आने वाले समय में कश्मीर में आर्थिक प्रगति आएगी और सरकार का हालिया फ़ैसला इसमें मददगार साबित होगा. अंग्रेजी अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने कई मुद्दों पर बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में निवेश की संभावनाओं पर कहा है कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर के युवा राज्य को नई ऊंचाइंयों पर ले जाएंगे. पीएम ने इस इंटरव्यू में कहा, मुझे पूरा भरोसा है कि ये होकर रहेगा. यही नहीं, कई बड़े उद्यमियों ने अभी से ही जम्मू-कश्मीर में निवेश करने के प्रति अपना रुझान दिखाना शुरू कर दिया है. आज के दौर में एक बंद माहौल में आर्थिक प्रगति नहीं हो सकती. खुले दिमाग़ और खुले बाज़ार ये आश्वस्त करेंगे कि घाटी के युवा कश्मीर को प्रगति के रास्ते पर लेकर जाएं क्योंकि एकीकरण निवेश, अन्वेषण, और आमदनी को बढ़ावा देता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 370 पर हालिया फ़ैसला आश्वस्त करता है कि घाटी में ये सभी तत्व मौजूद हों. ऐसे में निवेश होना निश्चित है. क्योंकि ये क्षेत्र कुछ ख़ास उद्योगों जैसे पर्यटन, आईटी, खेती और हेल्थकेयर के लिए काफ़ी मुफीद है. इससे एक ऐसा इको-सिस्टम तैयार होगा जो कि कौशल, प्रतिभा और क्षेत्रीय उत्पादों के लिए मुफीद साबित होगा. आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के खुलने की वजह से युवाओं के लिए शिक्षा के बेहतर अवसर पैदा होंगे और कश्मीर को भी बेहतर कामगार मिलेंगे. हवाई-अड्डों और रेलवे के आधुनिकीकरण की वजह से यातायात करना बेहतर होगा. इससे इस क्षेत्र के उत्पाद पूरे देश में पहुंच पाएंगे जिससे आम आदमी को फायदा होगा. इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि ये पूरी तरह आंतरिक मामला है. प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने ये निर्णय बहुत सोच-समझकर लिया है. मैं इसे लेकर पूरी तरह निश्चिंत हूं. इससे आने वाले दिनों में लोगों का भला होगा. पीएम मोदी से एक सवाल किया गया कि एनडीए सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जल संरक्षण को अपना उद्देश्य बनाया है, क्या इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की मॉनसून पर निर्भरता कम करने का व्यापक लक्ष्य साधा जा रहा है? इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा है कि जल-शक्ति अभियान सिर्फ़ एक सरकारी प्रक्रिया नहीं है. बल्कि, ये आम लोगों का आंदोलन है जिसमें केंद्र सरकार एक साझेदार की भूमिका निभा रही है. मोदी ने कहा, भारत को आगे ले जाने के लिए आर्थिक कदम उठाने के साथ-साथ व्यवहार में बदलाव करने की भी ज़रूरत है. जब एक किसान ड्रिप इरिगेशन शुरू करता है तो इसमें पानी का छिड़काव करने के लिए उपकरणों की खरीद एक आर्थिक पहलू को सामने लाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी को लेकर भी सवाल किया गया. उनसे पूछा गया कि इस मुद्दे से उपजने वाले आर्थिक अवसर को लेकर उनकी क्या राय है. इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, मैं इसे इस तरह देखता हूं. जिस तरह 90 के दशक में सॉफ़्टवेयर और आईटी के क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपना असर दिखाया था, ठीक उसी तरह डेटा का क्षेत्र निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपना असर दिखाएगा. हमें डेटा को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए. जितनी ज़्यादा मात्रा में डेटा हासिल किया जा रहा है और सहेजा जा रहा है, वो अपने आप में नौकरियों, कंपनियों और उद्योगों के विशाल क्षेत्र का निर्माण कर रहा है. भारत अपने प्रतिभावान युवा, बढ़ती अर्थव्यवस्था, मुफ़ीद सरकार और विशाल बाज़ार के साथ दुनिया भर में डेटा साइंस, एनालिटिक्स और स्टोरेज़ का केंद्र बन सकता है. पीएम मोदी के साक्षात्कार पर वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुराणिक कानज़रिया गहराई से देखें, तो पीएम मोदी की अर्थनीति एक गहन वामपंथी रुख ले चुकी है और उसमें गरीबों, किसानों, मजदूरों की बातें वैसी हैं, जैसी आम तौर पर वामपंथी नेता करते दिखते हैं. भाजपा अपनी नीतियों में जितनी वामपंथी दिखायी पड़ रही है, उतने तो वामपंथी भी वामपंथी दिखायी नहीं पड़ते. किसानों को सालाना छह हजार रुपए, 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपए सालाना तक की बीमा योजना की मदद. देश के महत्वपूर्ण आर्थिक अखबा़र इकोनोमिक टाइम्स में पीएम नरेंद्र मोदी का दो पेज का साक्षात्कार छपा है. मोटे तौर पर पीएम मोदी ने अपनी उन बातों को दोहराया है, जो वह तमाम मंचों से लगातार दोहराते रहे हैं. अस्तित्व के संकट से बचाने के लिए अर्थव्यवस्था में भरपूर इंतजाम हैं पर तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में मांग को मजबूत करने के लिए जो नक्शा चाहिए, वह इस साक्षात्कार में नहीं है. आयुष्मान से लेकर किसानों के लिए छह हजार रुपये साल तक के जरिये सरकार न्यूनतम खर्च का इंतजाम कर देगी, पर तेज गति से विकास की ज़िम्मेदारी कौन उठाएगा यह नहीं मालूम. इस साक्षात्कार में विस्तार से इस बात पर विमर्श नहीं है कि किस तरह से ठीक ठाक नौकरियों का विकास होगा. किसानों को 6000 रुपये साल से उठा कर निर्यातक की श्रेणी में लाने की बात इस साक्षात्कार में है, पर इसे ठोस कार्ययोजना में कैसे बदला जायेगा, इस पर महीन विमर्श होना अभी बाकी है. पीएम मोदी राजनीतिक अर्थव्यवस्था का वह कोड खोल चुके हैं, जिसके तहत कुछ विपन्न तबकों को कुछ करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफ़र करके वोट हासिल करना मुश्किल नहीं है. किसानों के खाते में ट्रांसफर से लेकर छोटे कारोबारियों के लिए शुरू हुई मुद्रा कर्ज़ की योजनाओं की राजनीतिक सफलता यह साफ करती है कि समग्र अर्थव्यवस्था भले ही धीमी गति से चले पर कुछ वर्गों के हाथों में अगर क्रय क्षमता है तो पीएम मोदी को राजनीतिक दिक्कत नहीं होगी. इसे लेन देन की राजनीतिक अर्थव्यवस्था भी कह सकते हैं. पीएम मोदी इस साक्षात्कार में एक बार फिर दोहरा रहे हैं कि आगामी पांच सालों में निवेश आधारित विकास होगा. 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है. पर यह बात अलग है कि तमाम उद्योगपति निवेश को बढ़ाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर में भारत को लाभ क्यों नहीं मिल रहा है? चीन से तमाम कंपनियां भारत की तरफ क्यों नहीं आ रही हैं? इन सवालों का जवाब दरअसल पीएम मोदी के पास भी नहीं है. केंद्र और राज्य के स्तर पर इतनी तरह की औपचारिकताएं हैं कि कारोबार करना आसान अब भी नहीं है. खास तौर पर विदेशी निवेशकों के लिए गति धीमी है और मौजूदा ढांचे में इसमें तेजी संभव नहीं है. यह साक्षात्कार ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए थोड़ी राहत की बात करता है. पीएम मोदी इस सेक्टर को एक न्यूनतम आश्वस्ति देते हैं कि परंपरागत तकनीक पर आधारित ऑटोमोबाइल वाहनों को एक झटके में ही बिजली चालित तकनीक पर नहीं लाया जायेगा. बिजली चालित तकनीक और परंपरागत तकनीक का अस्तित्व साथ साथ बना रह सकता है. ऑटोमोबाइल सेक्टर का समग्र मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर में बड़ा योगदान है. पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 से जुड़े सवाल का जो जवाब दिया है उसके विश्लेषण के लिए थोड़ा वक्त देना होगा. पीएम मोदी ने साक्षात्कार में जो कहा है, उसका आशय है कि नई स्थितियों में कश्मीर में निवेश बढ़ने की संभावनाएं हैं. सेंटर फॉर इंडियन इकॉनोमी यानी सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2016 से जुलाई 2019 के बीच जम्मू कश्मीर बेरोज़गारी के चार्ट में सबसे ऊपर है. इस अवधि में जम्मू कश्मीर में मासिक औसत बेरोज़गारी दर 15 प्रतिशत रही. इसी अवधि में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.4 प्रतिशत रही है. पूरे देश के मुकाबले दोगुने से ज्यादा बेरोज़गार जम्मू कश्मीर में है. तीन-चार साल में अगर जम्मू कश्मीर की बेरोज़गारी का स्तर राष्ट्रीय स्तर पर आ जाता है, तो माना जाना चाहिए कि कम से रोजगार के स्तर पर जम्मू कश्मीर देश की मुख्यधारा में आ गया है.
 

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