देश में पहली बार महिलाएं चलाएंगी मालगाड़ी
चंदौसी। घर की गाड़ी बखूबी चला लेने वाली बेटियां अब रेल ट्रैक पर ट्रेनों का संचालन भी करेंगी। चंदौसी के रेलवे प्रशिक्षण कॉलेज में छह बेटियां प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर इनका चयन हुआ है। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके लिए ट्रेन को चलाना रोमांच से भरा हुआ होगा और इसे लेकर वे बहुत उत्साहित हैं। आने वाले दिनों में जब ट्रेनों की कमान उनके हाथ में होगी तो वे जिम्मेदार लोको पायलट की तरह ट्रेनों को चलाएंगी। अब तक यात्री गाड़ी को तो बेटियों ने चलाया है। लेकिन शायद यह पहला मौका होगा जब मालगाड़ी की कमान भी बेटियों को दी जाएगी।
अलीगढ़ की नयन ज्योति सिंह ने इलेक्ट्रानिक में पॉलीटेक्नीक किया और पहले ही प्रयास में वह असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर चयनित हो गईं। अब चंदौसी स्थिति रेलवे ट्रेनिंग कालेज में प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं। मुरादाबाद की रजनी गौतम ने मैकेनिकल में पॉलिटेक्निक से डिप्लोमा किया। रजनी ने बताया कि यह नौकरी एक चुनौती है जिसे उन्होंने खुद स्वीकार किया है।
राजस्थान के दौसा शहर की निवासी पिंकी कुमारी मीणा ने बताया कि उन्हें अब इस बात की खुशी है कि दौसा की तमाम बेटियां हैं उनकी तरह से लोको पायलट और दूसरी सरकारी नौकरी में जाने के सपना देखने लगी हैं। उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल की सोनिया ने बताया कि बेशक यह चुनौती भरा करियर है पर जब चुनौतियों का सामना करेंगे तभी हम अपने आपको मजबूत साबित कर सकेंगे।
चंडीगढ़ की रुषिका राज ने कहा कि रोमांच से भरी यह नौकरी है। वैसे भी अब कोई नौकरी बिना संघर्ष के नहीं रह गई है।
हापुड़ की विशाखा दयाल ने कहा कि चुनौतियों का सामना करना उन्हें अच्छा लगता है। आने वाले दिनों में वह पहले मालगाड़ी में और इसके बाद यात्री ट्रेनों की कमान संभालेगी।
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