इतिहास में आज-27 अप्रैल- बाबर बना दिल्ली का सुलतान, पोलैंड में नाजियों ने यातना शिविर शुरू किया
इतिहास में 27 अप्रैल का दिन कई मायनों में अहमियत रखता है। यह दिन कई छोटी बड़ी घटनाओं का गवाह रहा है। इनमें कुछ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं तो कुछ भुला दी गईं।
एक तो भारत की मुगल सल्तनत के इतिहास में 27 अप्रैल का खास महत्व है। 1526 में 27 अप्रैल के दिन ही बाबर ने दिल्ली का तख्त-ओ-ताज संभाला था।
दूसरा 27 अप्रैल 1940 में नाजियों ने पोलैंड के ओस्वीसिम में यातना शिविर का निर्माण शुरू किया। इसे आउश्वित्स के नाम से जाना जाने लगा और इसे बनाने के आदेश वरिष्ठ नाजी अफसर हाइनरिष हिमलर ने दिए। आउश्वित्स के दरवाजे पर आरबाइट माख्ट फ्राई लिखा गया था, जिसका अर्थ है मेहनत आजाद करती ह।
आउश्वित्स में तीन बड़े कैंप थे जिनमें पांच शवदाह केंद्र थे। इस यातना शिविर में करीब 11 लाख बंदियों को मारा गया लेकिन कुछ अनुमानों के मुताबिक मारे गए लोगों की संख्या 20 लाख तक हो सकती है। इनमें से ज्यादातर बंदी यहूदी थे। ज्यादातर कैदियों को सिक्लोन बी नाम की जहरीली गैस से खास कमरों में मारा गया लेकिन कई कैदी भूख और कड़ी मजदूरी की वजह से अपनी जान खो बैठे। इस शिविर में नाजियों ने कई बर्बर प्रयोग भी किए। पहले तो आउश्वित्स में जर्मनी का विरोध कर रहे पोलैंड के निवासियों को कैद करने की बात थी, लेकिन 1941 में हिमलर ने तय किया कि यह यातना शिविर यूरोप में रह रहे सारे यहूदियों को खत्म करने का काम करेगा। इस सिद्धांत को अंतिम निपटारा का नाम दिया गया और इसके तहत यूरोप भर से यहूदियों को जमा कर उन्हें मारने की योजना बनाई गई और इसे अमल में भी लाया गया। पश्चिमी मित्र देशों के जर्मनी पर हमले के बाद आउश्वित्स को यहूदियों को दी गई यातना की याद में स्मारक घोषित किया गया।
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