कल पृथ्वी के करीब से गुजरेगा बड़ा उल्का पिंड, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि एक उल्कापिंड इस 29 अप्रैल को पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा, जिसकी गति 19 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने उम्मीद जतायी है कि यह धरती से टकरायेगा नहीं इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।
इस उल्कापिंड का नाम 1998 ओ आर 2 है। बताया जा रहा है कि बुधवार यानि कल यह घरती के बेहद करीब से गुजरेगा। भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इस उल्कापिंड की दिशा पर गहरी नजर बनाए हुए हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज की मानें तो अनुसार, इसी बुधवार यानि 29 अप्रैल को सुबह 5:56 बजे उल्कापिंड के पृथ्वी के पास से होकर गुजरेगा। वैज्ञानिकों को डर बस इस बात का सता रहा है कि इसकी राह में हल्का सा भी परिवर्तन आया तो इसका प्रभाव पूरे विश्व को भुगतना पड़ सकता है।
हर सौ साल में उल्कापिंड के धरती से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार उल्कापिंड जैसे ही पृथ्वी के पास आता है तो जल जाता है। आज तक के इतिहास में बहुत कम मामला ऐसा है जब इतना बड़ा उल्कापिंड धरती से टकराया हो। धरती पर ये उल्कापिंड कई छोटे-छोटे टुकड़े में गिरते हैं। जिनसे किसी प्रकार का कोई नुकसान आज तक नहीं हुआ है। जैसा कि ज्ञात हो इसके बारे में वैज्ञानिकों ने करीब एक महीने पहले ही बताया था कि यह पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा.
क्या होता है उल्कापिंड
आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का और साधारण बोलचाल में टूटते हुए तारे अथवा लूका कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड कहते हैं। प्राय: प्रत्येक रात्रि को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरने वाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है।
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